हुसैनाबाद घंटाघर, हुसैनाबाद इमामबाड़ा के ठीक सामने स्थित है और रूमी दरवाजा से कुछ ही दूरी पर स्थित है। 67 मीटर या 221 फीट ऊंचा यह टावर देश की सबसे ऊंची इमारतों में से एक माना जाता है।
इस घंटाघर का निर्माण 1887 में करवाया गया था, जिसे रास्केल पायने ने डिजायन किया था। यह टॉवर भारत में विक्टोरियन - गोथिक शैली की वास्तुकला का शानदार उदाहरण है। इसके निर्माण की शुरूआत नवाब नसीर-उद-दीन ने अवध के पहले संयुक्त प्रांत के लेफ्टिनेंट गर्वनर जॉर्ज काउपर के स्वागत में करवाया था। 1887 में उनकी मृत्यु के कारण यह कार्य अधूरा ही रूक गया। उन दिनों इस घंटाघर पर 1.74 लाख की लागत लगी थी।
इस घंटाघर में लगी घड़ी की सुईयां बंदूक धातु की बनी हुई हैं जिन्हे लंदन के लुईगेट हिल से लाया गया था। चौदह फीट लंबा और डेढ़ इंच मोटा पेंडुलम, वेस्टमिनस्टर क्लॉक की तुलना में बड़ा है। इस घंटे के आसपास फूलों की पंखुडियों के आकार पर बेल्स लगी हुई हैं।