रेजीडेंसी, लखनऊ के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों में से एक है, रेजीडेंसी में कई इमारतें शामिल हैं। इसका निर्माण नवाब आसफ-उद- दौला ने 1775 में शुरू किया करवाया था और 1800 ई. में इसे नवाब सादत अली खान के द्वारा पूरा करवाया गया। यह गोमती नदी के तट पर स्थित है। रेजीडेंसी के नाम से ही स्पष्ट है कि यह एक निवासस्थान है, यहां ब्रिटिश निवासी जनरल का निवास स्थान था, जो नवाबों की अदालत में ब्रिटिश सरकार का प्रतिनिधित्व किया करते थे।
इस पूरे परिसर ने भारत की आजादी की पहली लड़ाई में लखनऊ के प्रसिद्ध घेराबंदी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। रेजीडेंसी का एक प्रमुख हिस्सा अंग्रेजी बलों और भारतीय विद्रोहियों के बीच की लड़ाई में नष्ट हो गया था। युद्ध के बाद इसे जस का तस छोड़ दिया गया।
रेजीडेंसी की टूटी - फूटी दीवारों में आज भी तोप के गोलों के निशान बने हुए हैं। इस परिसर में एक खंडहर चर्च भी है जहां एक कब्रिस्तान है जिसमें लगभग 2000 अंग्रेज सैनिकों, आदमियों, औरतों और बच्चों की कब्र बनी हुई है। रेजीडेंसी में हर शाम को यहां के इतिहास पर प्रकाश ड़ाला जाता है। रेजीडेंसी परिसर में 1857 मेमोरियल म्यूजियम भी स्थापित किया गया है जहां 1857 में हुई भारत की आजादी की पहली क्रांति को बखूबी चित्रित किया गया है।