महाराष्ट्र के सतारा जिले में महाबलेश्वर एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। पश्चिमी घाटों में स्थित, यह जगह दुनिया के सबसे खुबसूरत हिल स्टेशनों में शामिल है। महाबलेश्वर में पर्यटक गर्मी के मौसम में आना पसंद करते है। महाबलेश्वर का शाब्दिक अर्थ होता है- गॉड ऑफ ग्रेट पॉवर यानि भगवान की महान शक्ति। महाबलेश्वर को पांच नदियों की भूमि भी कहा जाता है। यहां वीना, गायत्री, सावित्री, कोयना और कृष्णा नामक पांच नदियां बहती है। 4,450 फीट की ऊंचाई पर बसा यह शहर 150 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। महाबलेश्वर, मुम्बई से 220 किमी. और पुणे से 180 किमी. दूर स्थित है।
महाबलेश्वर का इतिहास
महाबलेश्वर की खोज सबसे पहले राजा सिंघन ने की थी। यहां का प्रसिद्ध महाबलेश्वर मंदिर इन्होने ही बनवाया था। 17 वीं शताब्दी के बाद शिवाजी राजे ने इस क्षेत्र पर कब्जा करके यहां प्रतापगढ़ किला बनवाया। 1819 में अंग्रेजों ने महाबलेश्वर को अपने हाथों में ले लिया। आजादी के बाद महाबलेश्वर, एक हिल स्टेशन के रूप में उभरा।
महाबलेश्वर में मोहक दृश्य और असली दृष्टिकोण
महाबलेश्वर में 30 से भी ज्यादा जगह है जहां पर्यटक भ्रमण कर सकते है। यहां की घाटियां, जंगल,झरने और झीलें यात्रियों की सारी थकान को मिटा देती है। यहां आकर शाम को विल्सन प्वांइट को देखनाकाफी अच्छा लगता है। ईको प्वांइट, बच्चों की पसंदीदा जगह है जहां तेजी से चिल्लाने पर आवाज वापस सुनाई देती है। यहां के एल्फिंसटन प्वाइंट, मार्जोरी प्वाइंट, कैसल रॉक, फ़ॉकलैंड प्वाइंट, कारनैक प्वाइंट और बंबई प्वाइंट देखना न भूलें। यहां का विश्व प्रसिद्ध प्रतापगढ़ किला शिवाजी महाराज ने बनवाया था जो पर्यटकों के लिए कौतूहुल का विषय बना हुआ है। महाबलेश्वर में कई प्राचीन मंदिर भी है जहां श्रद्धालु दर्शन कर सकते है।
महाबलेश्वर- ग्रीन साइड
महाबलेश्वर के जंगलों में कीमती औषधीय और आयुर्वेदिक पौधों की भरमार है। यहां की शुद्ध जलवायु में पेड़- पौधे भली-भांति पनपते है। बीमार व्यक्तियों को अक्सर महाबलेश्वर की सैर की सलाह दी जाती है ताकि उनको स्वच्छ हवा और शुद्ध वातावरण मिल सके। यहां स्थित पहाडि़यां गर्मियों को उष्णता बढ़ाने से रोकता है। यहां की जलवायु वर्ष भर सामान्य रहती है। साल के किसी भी मौसम में यहां घूमने आया जा सकता है। बारिश के मौसम में यहां काफी हरियाली हो जाती है। किसी भी हिल स्टेशन से ज्यादा यहां पर्यटक आना पसंद करते है। महाबलेश्वर के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि यहां के तीन पठारों में 1800 के दशक के दौरान चीनी और मलय दोषियों को सजा दी जाती थी और उन्हे यहां जेल काटनी पड़ती थी। इस दौरान कैदियों को कई कार्य भी करने पड़ते थे जैसे- टोकरियों को बनाना, खेती करना आदि। पर्यटक महाबलेश्वर जाकर स्ट्रॉबेरी और शहतूत का स्वाद चखना न भूलें।
महाबलेश्वर - एक स्वर्ग सी जगह
महाबलेश्वर की सुंदरता के बारे में संक्षिप्त में पहले ही बताया जा चुका है और आगे भी विस्तार में बताया जाऐगा। महाबलेश्वर आने के लिए हवाई, रेलवे और सड़क यातायात तीनों ही शामिल है। पर्यटक अपनी सुविधानुसार साधन का चयन करके आ सकते है। शहर में भ्रमण करने के लिए लोकल स्तर पर टैक्सी चलती है। अगर आप महाराष्ट्र की सैर पर आते है तो महाबलेश्वर घूमने के लिए अच्छी जगह है। यहां आकर आपको फील गुड फैक्टर आएगा जो आपमें नई ऊर्जा का संचार कर देगा। यहां की ठंडी हवा में ड्राइव करना और मोहक साइटस पर घूमना पर्यटकों को यहां बार-बार आने पर मजबूर कर देता है।