मांडवी कच्छ का प्रमुख बंदरगाह है तथा मुंबई या सूरत के पहले यह गुजरात का भी प्रमुख बंदरगाह था। पूर्वी अफ्रीका, फारस की खाड़ी, मालाबार तट और दक्षिण – पूर्वी एशिया से जहाज यहाँ अरब सागर के इस बंदरगाह पर आते थे।
बंदरगाह शहर का महत्व
कच्छ के राजा खेंगार्जी ने सन 1574 में मांडवी की स्थापना बंदरगाह शहर के रूप में की। मांडवी जल्दी ही समृद्ध हुआ क्योंकि यह गुजरात का बहुत महत्वपूर्ण बंदरगाह बन गया था। बहुत ही कम समय में मांडवी के ऐतिहासिक स्थान जैसे सुंदरवर मंदिर, जामा मस्जिद, लक्ष्मी नारायण मंदिर, काजीवाली मस्जिद और रामेश्वर मंदिर का निर्माण हुआ।
एक महत्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में मांडवी के पास 400 जहाजों का बेडा था जो इंग्लैंड तक जाते और वापस आते थे। मांडवी एक किले के द्वारा संरक्षित था जिसकी दीवार 8 मीटर ऊंची थी, इसमें कई दरवाज़े और 25 बुर्ज़ थे। वर्तमान में यह दीवार लगभग नष्ट हो चुकी है परंतु दक्षिण पश्चिम में स्थित सबसे बड़ा बुर्ज़ अभी लाईटहाउस का काम कर रहा है। एक बंदरगाह के रूप में मांडवी का महत्व कम हो गया क्योंकि बड़े आधुनिक जहाजों को यहाँ नहीं रखा जा सकता परन्तु रुक्मावती नदी के किनारे हाथों से जहाज़ बनाने की परंपरा आज भी कायम है।
जनसांख्यिकी
मांडवी की संस्कृति कच्छ की वास्तविक संस्कृति को प्रदर्शित करती है। व्यापारी और नाविक यहाँ के प्रमुख निवासी हैं।
संस्कृति
मांडवी स्थानीय रोटी जिसे दाबेली कहा जाता है, के लिए प्रसिद्ध है। दाबेली की खोज वर्ष 1960 में केशवजी गाभा चुडासमा ने की थी।
मांडवी तथा इसके आसपास पर्यटन के स्थान
लगभग 400 सालों से मांडवी जहाज़ बनाने के उद्योग का केंद्र रहा है। रुक्मावती नदी के किनारे स्थित जहाज़ बनाने के शिपयार्ड हैं जहाँ आप हाथ से बने हुए लकड़ी के जहाज़ देख सकते हैं। यहाँ एक अन्य स्थान है जिसे टॉवर ऑफ वागेर्स कहा जाता है जहाँ जहाज़ के मालिक मानदंडों के अनुसार जहाज़ की बारीकी से जांच करते हैं जब उनका बेडा वापस लौटने वाला होता है। मांडवी शांत और स्वच्छ समुद्र तटों के लिए भी प्रसिद्ध है जहाँ प्रवासी पक्षी जैसे फ्लेमिंगो अपनी यात्रा के बीच में रुकते हैं।
मांडवी का एक अन्य आकर्षण विजय विलास महल है जिसका निर्माण राव विजयराजजी ने वर्ष 1929 में किया था। यह ब्रिटिश उच्चआयोग का गर्मियों का घर था तथा यहाँ स्थित कब्रिस्तान इस बात का प्रमाण है कि ब्रिटिश लोग इस क्षेत्र में भी सक्रिय थे।
जहाज़ बनाने के प्राचीन कौशल के साथ साथ, सांस्कृतिक इतिहास और मांडवी के समुद्र तट निश्चित रूप से भुलाया न जा सकने वाला अनुभव है।
मांडवी की यात्रा के लिए उत्तम समय
पर्यटक मई से अक्टूबर के बीच मांडवी की यात्रा कर सकते हैं।
मांडवी कैसे पहुंचे
मांडवी की सैर की योजना बनाने वाले पर्यटक हवाई मार्ग, रेलमार्ग और रास्ते द्वारा यहाँ पहुँच सकते हैं।