मिर्ज़ापुर में मेजा बाँध अपने समृद्ध वन्यजीवन के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान पक्षी-प्रेमियों के मध्य भी काफी लोकप्रिय है जो यहाँ बड़ी संख्या में स्थानीय एवं प्रवासी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों का अध्ययन करने के लिए आते हैं। मिर्ज़ापुर से 50 किमी दूर स्थित यह...
सिरसी जलप्रपात पर बनाया गया सिरसी बाँध मिर्ज़ापुर से लगभग 45 किमी दूर है। यह बाँध पानी संग्रहन की सुविधा के लिए बनाया गया है और यह टांडा फाल्स के पास स्थित है। यह स्थान बहुत सुंदर है क्योंकि पानी काफ़ी उंचाई से गिरता है। यहाँ का प्राकृतिक परिवेश एवं हरापन आपको एक...
मिर्ज़ापुर में टांडा फाल्स इस क्षेत्र के अत्यंत रम्य पिकनिक स्थलों में से एक है। शांतिपूर्ण वातावरण एवं प्रचुर सुंदरता के कारण ये प्राकृतिक धाराएं एवं जलाशय मुख्य पर्यटक आकर्षण हैं। इस जलप्रपात ताज आसानी से पहुंचा जा सकता है और ये मिर्ज़ापुर शहर से लगभग 14 किमी...
पक्का घाट बलुआ पत्थर पर सुंदर नक्काशी के साथ एक अद्भुत संरचना है। ये घाट बहुत सुंदर हैं और यहाँ स्थित मंदिर इस क्षेत्र को एक रहस्यमय गुणवत्ता प्रदान करते हैं। इस विस्तृत संरचना में चौड़ी सीढीयाँ हैं जो नीचे जलमार्ग तक जाती हैं। इस स्थान पर बहुधा साधू एवं पुजारी...
कजरी महोत्सव मिर्ज़ापुर का एक बहुत प्रसिद्ध त्योहार है। यह त्योहार राजा कंतित की पुत्री कजली को श्रद्धांजली प्रदान करता है। कजली अपने पति की याद में गाने गया करती थी जिनसे वह अपने जीवन में कभी नहीं मिल पाई। हालांकि इस त्योहार को आजकल आधुनिक रूप प्राप्त हो गया है,...
कंतित में यहाँ आयोजित किये जाने वाले कई मेलों में से एक है जिसे स्थानीय लोगों एवं पर्यटकों द्वारा मनाया जाता है। यह मेला सार्वभौमिक भाईचारे का प्रतीक है। प्रत्येक क्षेत्र से लोग यहाँ खुशी एवं आनंद मनाने के लिए आते हैं।
इस प्राकृतिक जलप्रपात का नाम सिद्धनाथ बाबा के नाम पर पड़ा जो यहाँ साधना किया करते थे। यह स्थल स्थानीय लोगों एवं पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। इसके अलावा लोग पुराने शैल चित्रों एवं नक्काशियों का अध्ययन करने के लिए भी यहाँ आते हैं। यह प्राचीन शिला स्थल एवं झरना...
काल भैरव मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो विंध्याचल शहर के दक्षिण पश्चिम में स्थित है। यह मंदिर श्री काल भैरव को समर्पित है जिन्हें क्षेत्रपाल या मंदिर का पालक भी कहा जाता है। धार्मिक त्योहार के दौरान भक्तों की भारी भीड़ यहाँ आती है। मंदिर के पास स्थित भैरव कुंड या...
नरघाट, मिर्ज़ापुर शहर के किनारे स्थित है। इतिहास में ऐसा दर्ज है कि नरेन नाम का एक तालाब इस स्थान पर मौजूद था पर बाद में यह नदी में मिल गया। इसके बाद नरघाट मालवाहक नौकाओं के लिए एक घाट के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा, जिन पर माल लाद कर पास के शहरों में...
ओझाला मेला, मिर्ज़ापुर में आयोजित किया जाने वाला एक प्रसिद्ध मेला है। इस मेले का नाम पास ही बहने वाली ओझाला नदी के नाम पर पड़ा है। ओझाला इस नदी का वर्तमान नाम है, जिसका पुराना नाम उज्जवला है। यह मेला प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है एवं इस दौरान कई पर्यटक एवं स्थानीय...
चुनर किला एक प्राचीन एवं प्रसिद्ध किला है जो चुनर में स्थित है। इस किले का निर्माण सोलहवीं शताब्दी में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई राजा भरथरी के लिए करवाया था। मिथक यह बताते हैं कि राजा भरथरी ने इस किले में महासमाधि ली थी।
इसके बाद मुगलकाल के...
लोहंदी मेले का आयोजन उस समय किया जाता है जब भक्त शहर के दक्षिण में स्थित दो किमी दूर पुराने हनुमान मंदिर में आते हैं। इस समय मंदिर को दीयों एवं लाईट द्वारा सुंदरता से सजाया जाता है। इस मेले का आयोजन कार्तिक पूर्णिमा के दौरान एवं श्रावण महीने (वर्षा ऋतु का हिंदू...
झूलनोत्सव या झूला त्योहार हिंदू भगवानों को समर्पित है एवं इस क्षेत्र के तीन मुख्य मंदिर श्री द्वारकाधीश मंदिर, गंगा जमुना सरस्वती मंदिर, एवं कुंज भवन में मनाया जाता है। इस समय इन तीन मंदिरों में कई भक्त आते हैं। यह आम तौर पर गर्मियों के महीने में आयोजित किया जाता...