क्राइस्ट चर्च को 1836 में अंग्रेजों के द्वारा बनवाया गया था, जो हिमालय पर्वतमाला का सबसे पुराना चर्च माना जाता है। 1906 में, वेल्स की राजकुमारी ( जो बाद में इंग्लैंड की क्वीन मैरी बन गई थी ) ने इस चर्च का दौरा किया था। उन्होने इस चर्च के आंगन में एक देवदार के वृक्ष को लगाया था और यह वृक्ष आज तक यहां लगा हुआ है।
यह चर्च गोथिक स्थापत्य शैली में बना हुआ है और यहां कांच की बनी खिड़कियों से यीशु मसीह के जीवन को चित्रित किया गया है। चर्च की वेदी, यीशु मसीह के क्रॉस पर लटके होने को भी दर्शाती है। चर्च का इंटीरियर यानि भीतरी हिस्सा बहुत खूबसूरती से बनाया गया है।
साल भर में बड़ी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु, इस चर्च में दर्शन, प्रार्थना करने और यहां की सुंदर स्थापत्य कला को निहारने आते हैं। पर्यटक एक सौ साल पुराना विलियम हिल ऑर्गन भी देख सकते हैं जो ऐतिहासिक महत्व रखता है।