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होम » स्थल » मुज़फ्फरनगर » आकर्षण
  • 01गवर्नमेंट एजुकेशनल म्यूजियम

    गवर्नमेंट एजुकेशनल म्यूजियम

    शासकीय शैक्षणिक संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1959 में भारत के समृद्ध भूतकाल को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से की गई थी। इस संग्रहालय में धातु की मूर्तियाँ, टेराकोटा (मिट्टी) की मूर्तियाँ, सिक्के एवं पत्थर की मूर्तियों का विशाल संग्रह है। यहाँ विभिन्न प्रकार की चित्र,...

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  • 02वहेलना

    वहेलना

    वहेलना एक छोटा गाँव है जो मुज़फ्फरनगर शहर के बाहरी भाग में स्थित है। यह गाँव लोहे के कारखानों और प्रचुर मात्रा में होने वाली गन्ने की फसल के लिए विख्यात है। इस गाँव में कई धार्मिक केंद्र भी हैं जिनमें जैन मंदिर, शिव मंदिर और मस्जिद(जो एक ही दीवार साझा करते हैं)...

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  • 03संकीर्तन भवन

    संकीर्तन भवन

    संकीर्तन भवन एक प्रसिद्ध मंदिर है जो भगवान् तिरुपति को समर्पित है। इसे कीर्तन भवन भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ रोज़ सूर्यास्त के समय कीर्तन होता है। रोज़ दोपहर को मंदिर के अधिकारियों द्वारा गरीब लोगों को भोजन कराया जाता है।

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  • 04शिव चौक

    शिव चौक

    शिव चौक का यह नाम इसलिए है क्योंकि इसके केंद्र में भगवान् शिव की एक विशाल मूर्ती है। यह चौक शहर के मध्य में है और चारों ओर से भीड़ भाड़ वाले बाज़ार से घिरा हुआ है। लोग रोज़ काम पर जाते समय भगवान् शिव की प्रार्थना करते हैं। यह भव्य संरचना मुज़फ्फरनगर की ख़ास पहचान...

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  • 05जूलॉजी संग्रहालय

    जूलॉजी म्यूजियम, मुज़फ्फरनगर में सनातन धर्म कॉलेज के परिसर में स्थित है। इस संग्रहालय की शुरूआत वर्ष 1970 में कॉलेज के पी.जी. विभाग ने विभिन्न प्रकार के प्राणियों का प्रदर्शन करने के लिए की थी। इस संग्रहालय का मुख्य आकर्षण इन्सेक्ट गैलेरी है। यह संग्रहालय कई...

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  • 06दुर्गा धाम

    दुर्गा धाम, देवी दुर्गा के भक्तों के लिए एक प्रसिद्ध स्थान है। देवी की 51 फुट ऊँची एक भव्य एवं सुंदर प्रतिमा भगवान् शिव के पास रखी गई है। इस स्थान पर एक प्राकृतिक गुफा भी है। कई भक्त भगवान् की पूजा करने के लिए रोज़ यहाँ आते हैं और अपनी गलतियों की माफी मांगने के...

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  • 07अक्षय वट वृक्ष

    मुज़फ्फरनगर में अक्षय वट वृक्ष एक पेड़ है जो हज़ारों साल पुराना है। ऐसा विश्वास है कि साधू शुकदेव ने राजा परीक्षित को श्रीमद भगवत पुराण इसी पेड़ के नीचे बैठकर सुनाया था। इसलिए यह पेड़ पूजा और पवित्रता का एक प्रतीक बन गया। हज़ारों भक्त इस वृक्ष की परिक्रमा करने और...

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  • 08कमला नेहरू वाटिका

    कमला नेहरू वाटिका

    कमला नेहरू वाटिका एक सुंदर प्राकृतिक उद्यान है जिसका नाम जवाहर लाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू के नाम पर दिया गया है। इस बगीचे में फलों के कई पेड़ हैं। जब फल पक जाते हैं तो उनकी नीलामी की जाती है। स्थानीय नगर पालिका इस स्थान की, पेड़ों की और फलों की देखभाल करती है।

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  • 09हनुमान धाम

    हनुमान धाम

    हनुमान धाम भगवान् हनुमान को समर्पित एक भव्य मंदिर है। इस स्थान पर भगवान् हनुमान की 72 फुट ऊँची प्रतिमा देखी जा सकती है। इसे सत्रहवीं शताब्दी के अंत में दो मुख्य भक्तों सुदर्शन सिंह चक्र और इंदर कुमार ने बनवाया था। मूर्ती के सामने एक आँगन है जिसमें पर्यटकों की...

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  • 10गणेशधाम

    गणेशधाम

    भगवान् गणेश को समर्पित गणेशधाम एक बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण गणेशजी की 35 फुट ऊँची भव्य प्रतिमा है। इस मूर्ती की स्थापना दो मुख्य स्थानीय व्यक्तियों ने कराई थी। गणेशधाम के पास दो नदियाँ बहती हैं जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को और अधिक बढ़ा देती...

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  • 11काली-नदी देवी मंदिर

    काली-नदी देवी मंदिर

    काली नदी देवी मंदिर शहर के सर्वाधिक पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का पौराणिक महत्व है। साल में एक बार देवी चौदस के दिन यहाँ एक विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है। होली के बाद मंदिर में एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। यहाँ साल भर खासकर पवित्र दिनों में...

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  • 12दरगाह हर श्रीनाथ

    दरगाह हर श्रीनाथ

    दरगाह हर श्रीनाथ भक्तों के मध्य काफी लोकप्रिय है। इस मंदिर ट्रस्ट की कई शाखाएं संपूर्ण भारत में फ़ैली हुई हैं। ट्रस्ट का मुख्यालय दिल्ली में है। इस स्थान पर शिवरात्री एवं अन्य पवित्र दिनों के अवसर पर भारी भीड़ होती है।

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  • 13भैरों का मंदिर

    भैरों का मंदिर, मुज़फ्फरनगर के मुख्य मंदिरों में से एक है। यह अपने ग्यारह शिवलिंगों के कारण प्रसिद्ध है। मंदिर की देखभाल और मंदिर के सभी प्रशासनिक एवं उत्सवों से संबंधित कार्य एक ब्राह्मण परिवार द्वारा किये जाते हैं। इस मंदिर में हज़ारों भक्त आते हैं और त्योहारों,...

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  • 14शुक्रताल

    शुक्रताल इस जिले का एक विख्यात धार्मिक शहर है। ये वह स्थान है जहाँ ऋषि सुक ने सात दिनों तक भगवत पुराण सुनाया था और इसके बाद एक भविष्यवाणी के अनुसार सांप के काटने पर उनकी मौत हो गई। प्रत्येक वर्ष इस स्थान पर कई भक्त आते हैं और इस अमर, बरगद के पेड़(अक्षय वट वृक्ष)...

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