घोड़ा कटोरा राजगीर के पास एक छोटा परन्तु अत्यंत सुंदर पिकनिक स्थल है। हिंदू पुराणों के अनुसार यहाँ राजा जरासंध (भारतीय महाकाव्य महाभारत से) का अस्तबल था, इसलिए इस जगह का नाम घोड़ा कटोरा पड़ा। यह विश्व शान्ति पगोड़ा के पास स्थित है।
छोटी छोटी पहाड़ियों से...
बिहार शरीफ नालंदा जिले का आधुनिक जिला मुख्यालय है। यह नालंदा विश्विद्यालय के अवशेषों से 13 किमी दूर हिरन्य पर्वत पर पंचानन नदी के किनारे स्थित है। बिहार शरीफ पाल शासकों की तत्कालीन राजधानी था और यह अपने में एक समृद्ध इस्लामिक संस्कृति और विरासत को समेटें हुए...
हिरन्य पर्वत को पाल वंश के समय ओदंतपुरी या ओदंतपुरा या उद्दंतापुरा के नाम से जाना जाता था। इसका निर्माण पाल राजा धर्मपाल द्वारा आठवीं शताब्दी में करवाया गया था। यह पंचानन नदी के किनारे पर स्थित एक बौद्ध विहार या बगीचा था। इसे अब बिहार शरीफ़ नगर के रूप में विकसित...
सूरजपुर बड़ागाँव, नालंदा के उत्तर में स्थित है। यह स्थान एक झील और सूर्य भगवान् को समर्पित एक मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर के अंदर हिंदू और बौद्ध भगवानों की बहुत सारी मूर्तियाँ हैं। इसमें देवी पार्वती की 5 फीट ऊँची एक मूर्ती भी है। ‘छठ पूजा’ के...
सिलाओ, नालंदा और राजगीर के बीच बसा एक छोटा सा गाँव है। ये गाँव यहाँ मिलने वाली एक मिठाई ‘खाजा’ के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इस मिठाई को स्थानीय पारंपरिक हलवाईयों द्वारा बनाया जाता है। आप रास्ते में यहाँ रूकें और स्थानीय मिठाई का लुत्फ़ उठायें।
पावापुरी, नालंदा से 25 किमी दूर है और और जैनियों का तीर्थस्थल है। पावापुरी या अपापपुरी को पापमुक्त शहर भी कहा जाता है। एक कहावत के अनुसार एक सच्चा जैनी यहाँ पापमुक्त हो जाता है। जैन धर्म के सबसे बड़े प्रचारक और अंतिम तीर्थंकर भगवान् महावीर ने पावापुरी में अपना...
बड़ी दरगाह, पीर पहाड़ी नाम की छोटी पहाड़ी पर स्थित है। यह बिहार शरीफ शहर में स्थित संत मलिक इब्राहिम बायू का मंदिर है। यह पैमर नदी के किनारे स्थित है। बड़ी दरगाह के चारों ओर कई छोटे छोटे मकबरे हैं। दरगाह की दीवारों पर लिखे शिलालेखों के अनुसार संत की मृत्यु वर्ष...
नालंदा पुरातात्विक संग्रहालय, नालंदा विश्वविद्यालय अवशेषों के ठीक सामने है। यहाँ पुरातात्विक विभाग ने खुदाई के दौरान मिली हुई बौद्ध एवं हिंदू कांसे की वस्तुओं और बिना क्षतिग्रस्त हुई भगवान् बुद्ध की मूर्तियों के दुर्लभ संग्रह को सावधानीपूर्वक बरकरार रखा है।
...यह वैदिक काल की एक प्रसिद्ध नदी है जो सूख गई थी, लेकिन इसके नाम के कारण इस नदी को नालंदा जिले की राजगीर में पुनर्जीवित किया गया है और ऐसा माना जाता है कि यह नदी देवी सरस्वती जितनी ही पुरानी है। प्रशासन ने यहाँ खुदाई कर पानी निकाला और इस नदी को एक नया जीवन प्रदान...
पांचवी शताब्दी की नालंदा विश्वविद्यालय के खुदाई किये गए अवशेष 14 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले हुए हैं। संरचनाएं बहुत विस्तृत हैं और बगीचों का रखरखाव भी अच्छी तरह से किया गया है। बीच का एक रास्ता इमारत को बगीचे के दोनों ओर विभाजित करता है। यह रास्ता दक्षिण से उत्तर...
ह्वेन त्सांग मेमोरियल हॉल का निर्माण प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग की याद में किया गया था। यह हॉल उस चीनी यात्री को एक श्रद्धांजली है जिनके लेखों ने हमें मध्यकालीन भारत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी। नालंदा विश्वविद्यालय को प्रसिद्धि तब मिली जब 7वीं...