यह एक छोटा पर सुंदर गाँव है जो नारनौल से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गाँव राम मंदिर के लिए प्रसिद्ध है और पूरे वर्ष भक्तों को आकर्षित करता है।
धौसी हिल नारनौल से लगभग 5 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह स्थान वास्तव में एक विलुप्त ज्वालामुखी है और आज भी यहाँ लावा पाया जाता है। हालाँकि इसकी प्रसिद्धि का एक कारण यह भी है कि यहाँ वैदिक काल के ऋषि च्यवन का आश्रम भी है। ऐसा विश्वास है कि यह वही स्थान है जहाँ...
मंडोला की तरह सेहलोंग का भी धार्मिक महत्व है। खिमाग देवता की याद में यहाँ प्रतिवर्ष जनवरी – फरवरी के महीने में एक मेला लगता है। ऐसा विश्वास है कि यदि कुष्ठरोग से पीड़ित कोई व्यक्ति यहाँ आकर ज्योत जलाता है तो उसका कुष्ठरोग ठीक हो जाता है।
जैस कि नाम से पता चलता है यह मंदिर हिंदू भगवान हनुमान को समर्पित है। नारनौल – सिंघाना रोड़ पर स्थित इस मंदिर के आसपास का दृश्य सुहावना है और यह चारों ओर से पहाड़ों और हरियाली से घिरा हुआ है। अरावली की पहाड़ियों पर भगवान हनुमान की मूर्ति का प्रभुत्व दिखाई देता...
मंडोला को संत बाबा केसरिया के कारण प्रसिद्धि मिली। उनकी पूजा बड़ी श्रद्धा के साथ की जाती है और उनकी याद में प्रतिवर्ष सितम्बर के महीने में एक मेला भी भरता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस व्यक्ति को सांप काट लेता है वह भी यहाँ आकर ठीक हो जाता है।
बरंवास नारनौल से लगभग 25 किमी. की दूरी पर हरियाणा – राजस्थान सीमा के पास स्थित है। इसकी प्रसिद्धि का प्रमुख कारण बाबा रामेश्वर दास का मंदिर है। यह मंदिर गाँव में बना हुआ है – हालाँकि इसकी मुख्य दीवार राजस्थान के टिब्बा बसाई गाँव में आती है। यह मंदिर...
नारनौल – रेवारी रोड पर बस स्टैंड के पास स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। नारनौल का केवल यह ही एक ऐसा मंदिर है जो परिवार के सभी सदस्यों को आकर्षित करता है जहाँ वे भगवान शिव तथा अन्य हिंदू देवी देवताओं की पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एक व्यक्ति जब...
महासर एक सुंदर गाँव है जहाँ मार्च अप्रैल के महीने में ज्वाला देवी मेला लगता है। मेले के दौरान भक्त देवी ज्वाला की पूजा करते हैं और उन्हें शराब का प्रसाद चढ़ाते हैं। लोग अपने बच्चों का मुंडन संस्कार करने के लिए भी इस मंदिर की सैर करते हैं।
त्रिपोलिया दरवाज़े का निर्माण ईसा पश्चात 1589 में अकबर के शासन काल के दौरान राज्यपाल शाह क़ुली खान ने करवाया था जो उनके उद्यान का मुख्य प्रवेश द्वार था। इस उद्यान के तीन अन्य प्रवेश द्वार हैं। इसके अलावा यहाँ शाह क़ुली खान की कब्र भी है जिसका निर्माण उन्होंने स्वयं...
बागोट का बहुत धार्मिक महत्व है। यह महेंद्रगढ़ से लगभग 25 किमी. की दूरी पर स्थित है। इसके प्रसिद्ध होने का प्रमुख कारण यहाँ का शिव मंदिर है। शिवरात्रि के धार्मिक अवसर पर यहाँ बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। अनेक लोग अपनी इच्छापूर्ति के लिए यहाँ आते हैं। जब उनकी...
बावली का अर्थ पानी का कुआं होता है। मिर्ज़ा अली जान की बावली नारनौल के उत्तर में स्थित है जिसका निर्माण मिर्ज़ा अली जान ने किया था जो अकबर के शासन काल के दौरान नारनौल के नवाब थे। यह कुआं छोटा बड़ा तालाब से घिरा हुआ है। मुख्य इमारत का प्रवेशद्वार धनुषाकार है जिसमें एक...
कांति गाँव में दो महान संतों बाबा नरसिंह दास और बाबा गणेश दास का जन्म हुआ था। बाबा नरसिंह दास के आशीर्वाद से राजा को एक पुत्र और एक पुत्री हुई। बाद में राजा ने बाबा के सम्मान में एक मंदिर बनवाया जहाँ संगमरमर के पत्थर से बनी हुई एक समाधि और एक सरोवर है। बसंत पंचमी...
गुरुकुल खानपुर गाँव में नारनौल – नांगल चौधरी रोड पर स्थित है। आर्श गुरुकुल के नाम से प्रसिद्ध इस गुरुकुल का प्रबंधन आचार्य प्रद्युमन जी महाराज के द्वारा किया जाता था जो संस्कृत और वैदिक परम्पराओं के प्रसिद्ध गुरु थे। प्रसिद्ध योग गुरु स्वामी रामदेव ने अपनी...
यह समाधि शेर शाह सूरी के दादाजी इब्राहिम खान की याद में बनाई गई है जिन्होनें बंगाल पर शासन किया। इस कब्र का निर्माण शेख़ अहमद नियाज़ी ने करवाया था जो शेर शाह सूरी के निजी वास्तुकार थे। इसे प्रचलित पर्शियन शैली की वास्तुकला में बनाया गया है।
इस कब्र का निर्माण शेर शाह सूरी के दादाजी इब्राहिम सूरी की पवित्र याद में किया गया है जो बंगाल के शासक थे। इस कब्र का निर्माण शेर शाह सूरी के निजी वास्तुकार शेख अहमद नियाज़ी ने किया था। यह स्मारक पर्शियन शैली में बना है और उस समय की वास्तुकला को प्रदर्शित करता है।