नासिक शहर महाराष्ट्र में स्थित है और अंगूर की उत्पादन मात्रा के कारन भारत की शराब की राजधानी के रूप में जाना जाता है। यह मुंबई से 180 किमी दूर और पुणे से करीब 200 किलोमीटर के आसपास है। नापा घाटी के पश्चिमी घाट पर स्थित है। नासिक पूर्व में सत्वहना राजवंश की राजधानी थी। 16 वीं सदी के दौरान, शहर मुगल शासन के अधीन आया था और गुल्शानाबाद कहा जाता था। उसके बाद यह यह पेशवाओं के पास था, जो 19 वीं सदी के अंत में अंग्रेजों से हार गए थे। वीर सावरकर की तरह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी नासिक से रहे हैं।
ऐसा बताया जाता है कि 14 साल के वनवास के दौरान भगवान राम नासिक के पास एक तपोवन नामक जगह पर रहे थे। इसी जगह भगवान लक्ष्मण ने शूर्पनखा की नाक काटी थी, और इसलिए इस जगह का नाम नासिक पड़ा, जो की एक नाक का ही अनुवाद रूप है।
कालिदास, वाल्मीकि ने भी उनकी कृतियों में नासिक की बात की है। 150 ईसा पूर्व के प्रसिद्ध दार्शनिक, प्लोतेमी ने भी नासिक का उल्लेख किया है। नासिक वर्तमान में महाराष्ट्र के सबसे तेजी से बढ़ते शहरों में से है। इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, औद्योगिक, और कई अन्य पहलुओं - में नासिक ने काफी विकास किया है।
नासिक - एक पवित्र धाम
त्रिंबकेश्वर मंदिर नासिक से केवल कुछ किलोमीटर दूर है और एक प्रमुख तीर्थ आकर्षण है। मुक्ति धाम भारत में चार ज्योतिर्लिंगों में से एक जाना जाता है। यह हिंदू पवित्र पुस्तक भगवद गीता के अध्याय में भी है, जिसमे यहाँ की दीवारों पर के चलन का विस्तृत वर्णन है। कालाराम मंदिर एक और मंदिर है जो की काले पत्थर से बना है और अपने भक्तों के बीच पसंद किया जाता है।
यात्रा करने के लिए पंचवटी सीता गुफा है जिसका रामायण और इसके उपाख्यानों से संदर्भ है। यहाँ पर एशिया का एकमात्र अपनी तरह का पहला सिक्कों का संग्रहालय है। सिक्के रखने के शौकीन लोगों को यह जगह पसंद आयेगी, जहाँ पर कुछ दिनों पुराने से पुरानी सदी तक के सिक्के हैं। नजदीक की एक आर्टिलरी सेंटर है,जो की देख सकते हैं।
कुंभ मेला इस क्षेत्र में व्यापक रूप से भरता है जो की पूरी दुनिया में सबसे बड़ा मेला हैं। यह मेला सिर्फ चार साल में एक बार आयोजित होता है। लोग बड़ी संख्या में यहाँ नासिक में इकट्ठा होते हैं और मनोरंजन के विभिन्न रूपों के साथ मद्यपान का उत्सव भी मनाते हैं। यहाँ का आवास सब की जेब को सूट करता है। तीन सितारा और पांच सितारा होटल के साथ धर्मशाला भी हैं - किसी भी पृष्ठभूमि के तीर्थयात्री नासिक यात्रा कर सकते हैं और उनका यह भ्रमण सुखद और यादगार होगा। नासिक अंगूर के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। शराब के शोकीन लोगों को लिए सुला दाख की बाड़ी की यात्रा करनी चाहिए। यहाँ के मनोरम चिवड़ा को नहीं चूकना चाहिए।
नासिक - कुछ विशेष तथ्य
नासिक के बारे में ज्ञात तथ्य यह है कि यह राष्ट्र के पिता की जगह है, महात्मा गांधी जी ने असहयोग आंदोलन यहीं से शुरू किया था। यह एक बड़ी सफलता थी। डॉ. बी आर अम्बेडकर ने भी इसी तरीके का पालन किया और समाज के सबसे निचली पांत के रूप में माने जाने वाले 'अछूत' के समर्थन में आंदोलन का नेतृत्व किया।
नासिक की जलवायु उष्णकटिबंधीय है, जहाँ तापमान अधिक रहता है । अतः गर्म ग्रीष्मकाल में यात्रा का परहेज करें, शांत सर्दियों के मौसम में यहाँ यात्रा की जा सकती है। मानसून के मौसम में भी एक सुंदर समय इस शहर में व्यतीत किया जा सकता है, हालांकि यह केवल बारिश प्रेमियों के लिए एक अच्छा विकल्प बना हुआ है। नासिक देश के केन्द्र में स्थित है और इसलिए देश के किसी भी कोने से यहाँ आराम से यात्रा की जा सकती है।
अगर कोई हवाई जहाज से यात्रा करने की योजना बनता है तो नासिक हवाई अड्डा सबसे पास है। रेलवे लाइन द्वारा भी, नासिक मुंबई, पुणे, हैदराबाद और बंगलूर जैसे सभी प्रमुख बिंदुओं से आसानी से सुलभ है। यह एक प्रमुख जंक्शन है। सड़क से, यहाँ असंख्य विकल्प उपलब्ध हैं। राज्य परिवहन की बसों और निजी टूर ऑपरेटरों की बसों से यात्रा का व्यय बहुत कम है और हर किसी के द्वारा वहां किया जा सकता है।
नासिक भारत में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और सांस्कृतिक रूप से हमारे भारतीय इतिहास में गहरी पैठ रखता है। यह शहर पहले से ज्यादा उन्नति कर रहा है और आधुनिकता के साथ पुरानी इतिहास का एक सही मिश्रण मिलता है। इस जगह की यात्रा एक आकर्षण है और यहाँ से आप कई यादगार यादों को वापस घर ले जा सकते हैं।