भारत इन दिनों तरक्की के नए आयाम लिख रहा है, इसी क्रम में रेलवे मंत्रालय की ओर से एक पेशकश की गई है जो भारत के लिए गर्व की बात है और यात्रियों के लिए भी ये बेहद खास होने वाला है। दरअसल, भारत में अब हाईड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें चलाई जाएंगी, जो रेलवे के इतिहास में पहली बार होने वाला है। ऐसे में ट्रेन से सफर करने वालों के लिए भी ये अच्छी खबर है। अब तक सिर्फ इसके बारे में लोग सुनते थे, लेकिन अब ऐसी ट्रेनों में बैठकर इसकी सुविधाओं का लाभ उठा पाएंगे।
रेलवे सेफ्टी कमिश्नर से भी मिला ग्रीन सिग्नल
अब कैबिनेट रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी इसको लेकर साफ कर दिया है। ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित SOA यूनिवर्सिटी में वैष्णव ने कहा कि गतिशक्ति टर्मिनल्स पॉलिसी के तहत रेल नेटवर्क के जरिए भारतीय रेलवे दूरस्थ इलाकों तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है और इस काम को काफी तेजी के साथ किया जा रहा है। इसके लिए हाल ही में रेलवे सेफ्टी कमिश्नर से ग्रीन सिग्नल मिल चुका है।
अगले साल के अंत तक मिलेगी सौगात
इस दौरान रेल मंत्री ने ये भी कहा कि स्वदेशी तकनीक से हाईस्पीड वंदे भारत ट्रेनों को बनाया गया और ये ट्रेनें पिछले दो सालों से बिना किसी बड़ी खराबी के चल रही हैं। इसी प्रकार वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें आईसीएफ में बनाई जा रही हैं और अगले साल तक इन्हें भी रेलवे की सेवा में लाया जाएगा, जो देश के विकास की डोर को और भी मजबूत करने का काम करेंगी।
ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम पर भी काम
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मंत्रालय का फोकस सिर्फ इन ट्रेनों के निर्माण पर ही नहीं है बल्कि ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम पर भी काम किया जा रहा है ताकि सेमी हाईस्पीड वाली ट्रेनें चलाई जा सकें। वहीं, वंदे भारत के ट्रायल की बात की जाए तो इसे 180 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया गया था, जिसमें पानी से भरा ग्लास तनिक भी हिला, जिसने सभी को हैरान कर दिया था। अब इसके सफल ट्रायल के बाद से ही और 72 वंदे भारत ट्रेनों का उत्पादन जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा।
अब तक जर्मनी में हाइड्रोजन ट्रेनों का संचालन
विश्वस्तर पर हाइड्रोजन ट्रेनों की बात की जाए तो अब तक सिर्फ जर्मनी में ही हाइड्रोजन से चलने वाली 14 ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है, जो इसी साल लॉन्च की गई है। इन ट्रेनों को फ्रेंच कंपनी आल्सटॉम ने 92 मिलियन डॉलर की लागत बनाया है।