पचमढ़ी मध्य प्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन है। पचमढ़ी सतपुड़ा की रानी या क्वीन ऑफ सतपुड़ा के रूप में लोकप्रिय है। यह सतपुड़ा की श्रेणियों में स्थित है। यह 1110 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
पचमढ़ी – जनजातीय इतिहास
पचमढ़ी गौंड जनजाति के आदिवासी वंश की राजधानी थी। गौंड आदिवासियों के राजा भावुत सिंह थे। सन 1857 में ब्रिटिश सेना के कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने पचमढ़ी हिल स्टेशन की खोज की और इसका परिचय विश्व से करवाया।
पचमढ़ी में आधुनिक विकास का श्रेय जेम्स फोरसिथ को जाता है। उनके उत्साह ने इसे एक प्रतिष्ठित हिल स्टेशन में परिवर्तित कर दिया। मध्य भारत का उच्चतम बिंदु होने के कारण ब्रिटिशों ने इसे सैनिक छावनी का केंद्र बना दिया। वर्ष 2009 में यूनेस्कों ने पचमढ़ी को जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया।
पचमढ़ी तथा इसके आस पास के पर्यटन स्थल
पचमढ़ी में पर्यटकों के लिए कई स्थान है। पचमढ़ी में स्थित धूपगढ़ विंध्य सतपुड़ा श्रेणी का और मध्य भारत का सबसे उच्चतम बिंदु है। रोचक रूप से पचमढ़ी तश्तरी के आकार का हिल स्टेशन है। पचमढ़ी पचमढ़ी सैनिक छावनी के लिए भी प्रसिद्ध है। पचमढ़ी अपनी प्राचीन गुफाओं, स्मारकों, जलप्रपातों, प्राकृतिक सुंदरता, जंगलों और वनस्पतियों और जीव जंतुओं के लिए प्रसिद्ध है।
चट्टानी पहाड़ियां, हरी भरी घाटी, घने जंगल, जलप्रपात और आरामदायक मौसम इसे प्रकृति की देवी का आवास बनाते हैं। सूर्यास्त की सुन्दरता का आनंद उठाने के लिए पचमढ़ी एक उचित स्थान है। हांड़ी खोह, जटा शंकर गुफा, पांडव गुफाएं, अप्सरा विहार, बी फॉल, डचेस फॉल आदि पचमढ़ी के प्रमुख आकर्षण स्थलों में से हैं।
पचमढ़ी की यात्रा के लिए उत्तम समय
पचमढ़ी का मौसम पूरे वर्ष खुशनुमा रहता है। अत: इसकी सैर किसी भी समय की जा सकती है, हालाँकि अक्टूबर से जून का समय सबसे अच्छा माना जाता है। यहाँ का खुशनुमा मौसम पचमढ़ी में पर्यटन को बढ़ावा देता है।
पचमढ़ी कैसे पहुंचे
इस हिल स्टेशन तक पहुँचने के लिए आप भोपाल तक हवाई यात्रा या रेल यात्रा द्वारा पहुँचकर बची हुई दूरी को रास्ते द्वारा तय कर सकते हैं।