पिथौरागढ़ उत्तराखंड के राज्य का एक शहर है और यह शक्तिशाली हिमालय पर्वतमाला का प्रवेश द्वार है। खूबसूरत सोर घाटी में बसे इस शहर के उत्तर में अल्मोड़ा जिला है। इसके पूर्व में काली नदी से सटा पड़ोसी देश नेपाल है।यहां के अधिकांश प्राचीन मंदिर व किले पाल एवं चंद वंश के समय के बने हुए हैं।
15 वीं सदी में थोड़े समय के लिए इस पर ब्रह्म शासकों नें शासन किया। बाद में, चंद राजवंश के शासकों ने इस पर पुनःअधिकार कर किया और अंग्रेजों द्वारा इस पर आधिपत्य कायम करने तक शासन किया। ‘कुमाऊंनी’ यहाँ रहने वाली जनजातियों की भाषा है।
यहां चूना पत्थर, तांबा, मैग्नीशियम, और स्लेट जैसे प्राकृतिक संसाधनों के प्रचुर भंडार हैं। यह हरे शंकुधारी वनों, साल, चीड़ और ओक वनों से घिरा हुआ हैं।यह स्थान पहाड़ी सांभर और बाघ के साथ-साथ कई पक्षियों और सरीसृपों का ठिकाना है।
क्या है पिथौरागढ़ के आस पास
यहां कई चर्च, मिशन स्कूल, और इमारतें अंग्रेजों के समय की बनी हैं। पिथौरागढ़ घूमने की योजना में पर्यटक कपिलेश्वर महादेव मंदिर देख सकते हैं। यह मंदिर हिंदूओं के देवता भगवान शिव को समर्पित है। किसी लोककथा के अनुसार, प्रसिद्ध ऋषि कपिल नें इस स्थान पर तप किया था। शिवरात्रि के त्योहार के मौके पर भक्तों की भारी भीड़ इस मंदिर में दर्शनों के लिए आती है।
पिथौरागढ़ के दक्षिण में 8 किमी दूर स्थित थल केदार यहां का एक और लोकप्रिय धार्मिक आकर्षण का केन्द्र है।यहां से सुंदर अभयारण्य, अशरचूला घूमने का भी अवसर प्राप्त होता है। यह पिथौरागढ़ से बीस किमी दूर है। यह स्थान समुद्र तल से 5412 फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है।
इसके अलावा, मुनस्यारी एक और लोकप्रिय पर्यटन आकर्षण है जो जौहर क्षेत्र के लिए एक प्रवेश द्वार की भूमिका अदा करता है। यह प्रवेश द्वार मिलम नामिक तथा रालम ग्लेशियरों में ले जाता है। पिथौरागढ़ का किला एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। हमले के बाद, 1789 में गोरखों नें इस किले को बनाया था।
पर्यटक यहां कस्तूरी हिरन (वैज्ञानिक नाम-मास्कस लूकोगस्टर) के संरक्षण हेतु स्थापित एस्काट कस्तूरी मृग अभयारण्य भी जा सकते हैं। इस अभयारण्य में कई वन्य जीव जैसे तेंदआ, जंगली बिल्ली, ऊदबिलाव,कांकड़,छोटे सींगों वाला बारहसिंगा,गोराल(गोल सींगों वाले बारहसिंगा),सफेद भालू,हिमालयी तेंदुआ,कस्तूरी मृग,हिमालयी काला भालू और भरल आदि को देखा जा सकता है।इसके अलावा,यह अभयारण्य हिमालयी बर्फ में पाया जाने वाला मुर्गा, तीतर और यूरोपियन तीतर जैसे कई अन्य पक्षियों का भी आश्रय है।
शहर पिथौरागढ़ से 68 किमी की दूरी पर स्थित जौलजीबी एक प्रसिद्ध पर्यटन केन्द्र है। इस जगह गोरी और काली नामक दो नदियों का संगम होता है।यहाँ मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर एक मेला लगता है।स्थानीय लोगों के अनुसार, इस मेले का आयोजन पहली बार 1 नवंबर,1914 को हुआ था।
पिथौरागढ़ टाउन से 4 किमी की दूरी पर एक प्रसिद्ध मंदिर, नकुलेश्वर मंदिर है। यह मंदिर हिंदूओं के भगवान शिव को समर्पित है,एवं खजुराहो स्थापत्य शैली में बना हुआ है। इस गंतव्य के अन्य प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में अर्जुनेश्वर मंदिर,चंडाक, मोस्तमनु मंदिर, ध्वज मंदिर, कोटगरी देवी मंदिर, डीडीहाट,नारायण आश्रम तथा झूलाघाट शामिल हैं। यह स्थान साहसिक खेलों जैसे स्कीइंग, हैंग ग्लाइडिंग और पैराग्लाइडिंग के लिए भी लोकप्रिय है।
पिथौरागढ़ कैसे जाएं
पर्यटक वायु, रेल तथा सड़क मार्ग द्वारा आसानी से गंतव्य तक पहुँच सकते हैं। निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है एवं टनकपुर रेलवे स्टेशन इस गंतव्य का निकटतम रेलवे स्टेशन है।
पिथौरागढ़ जाने का सबसे अच्छा समय
पिथौरागढ़ की यात्रा के इच्छुक पर्यटकों को गर्मियों में यहां आना उचित रहता है, क्योंकि इस समय यहां का वातावरण शांत व सुखद होता है।