1906 में पोर्ट ब्लेयर के काला पानी कारागार से पहले विपर द्वीप अपने कारागार के लिए प्रसिद्ध था। पोर्ट ब्लेयर से 8 कि.मी दूर और उत्तरी पश्चिमी दिशा में स्थित इस द्वीप तक किसी बोट या फैरी द्वारा पहुंचा जा सकता है। इस द्वीप की नाम की उत्पति के पीछे 2 कहानियां बताई जाती है।
एक कहानी अनुसार 1789 में आर्किबाल्ड ब्लेयर नमक जाहक यहाँ पहुंचा जिसके नाम पर इस द्वीप का नाम रखा गया। दूसरी कहानी अनुसार इस द्वीप पर अधिक मात्र में पाए जाते वाईपर सापों के कारण इसका नाम वाईपर द्वीप रखा गया।
भारत स्वतंत्र आन्दोलन में भाग लेने वाले कई स्वतंत्र सेनानियों ने अपने जीवन के अंतिम दिन वाईपर जेल में बिताये हैं। कुछ दस्तावेजों अनुसार यहाँ महाराजाओं को नौकरों के बराबर रखा जाता था और अंग्रेज़ हुकूमत के खिलाफ जाने कि कड़ी सजा मिलती। सैलानी इतिहास को मैसुस करने और खंडरों में बदले जेलों को देखने जाते हैं।
इसके अलावा यह एक प्रमुख पिकनिक स्पॉट भी है। सैलानी फोनिक्स बे जेट्टी द्वारा होते 20 मिनट में इस द्वीप तक पहुँच जायेंगे। कुछ टूर ओपरेटर बोट में यहाँ का कारागार और द्वीप के अलग अलग नज़ारे देखते हैं।