रोहतक भारतीय राज्य हरियाणा का एक जिला है। यह दिल्ली के पास स्थित है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र-2 (एनसीआर) के अंतर्गत आता है। यह दिल्ली से 70 किमी दूर है और हरियाणा की राजनीतिक राजधानी है। रोहतक डेरी, कपड़ा मार्केट और शिक्षण संस्थानों के लिए भी जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि रोहतक का अस्तित्व सिंधू घाटी सभ्यता के समय से मिलता है। यहां के खोखराकोट में खुदाई के दौरान मिली मिनारें सिंधू घाटी के समय की मालूम पड़ती है। साथ ही महाभारत में इसका उल्लेख रोहितिका नाम से मिलता है।
इस बात की काफी संभावना है कि रोहतक कभी यौधेया साम्राज्य के बाहुधान्याका की राजधानी रहा होगा। यहां तीसरी-चौथी शताब्दी के यौधेया के सिक्कों के सांचे बड़ी संख्या में मिले हैं। यहां पाए गए कुषाण स्तंभ से यह साबित होता है कि इस शहर का अस्तित्व कुषाण के समय भी था। इस पीलर पर पंख वाले शेर और सवारी की खुदाई की गई है। ऐसा माना जाता है कि रोहतक 10 शताब्दी तक चकाचौंध भरी जिंदगी जी रहा था। आज यहां कई शिक्षण संस्थान हैं। साथ ही यह रेवड़ी के के लिए लिए भी जाना जाता है।
रोहतक और आसपास के पर्यटन स्थल
रोहतक में की गई खुदाई में हड़प्पा के समय का एक स्थान पाया गया है, जहां पेंट की हुई भूरे रंग की शिल्पकृतियां मिली हैं। यह जगह मादीना-समरगोपालपुर रोड पर महाभारत काल के गिरावाद नामक गांव में है। आप चाहें तो तिलयार झील भी घूम सकते हैं, जो कि दिल्ली हरियाणा सीमा से 42 किमी दूर है।
झील के आसपास का क्षेत्र इस इलाके का सबसे बड़ा हराभरा क्षेत्र है। यही वजह है कि यहां दिल्ली और आसपास के इलाके से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। यहां एक छोटा सा जू भी है, जिसमें बाघ, चीता, हिरन, बंदर और पक्षियों को देखा जा सकता है। रोहतक के अस्थल बोहर नामक आश्रम में गुरू गोरखनाथ पंथ के मानने वाले रहते हैं। इस आश्रम में ढेरों अवशेष, प्रचीन खोज, गढ़ी हुई पत्थर की मूर्तियां, धर्मग्रंथ, पुस्तक और धार्मिक महत्व की कई वस्तुएं रखी गई हैं।
मेहम स्थित राधा कृष्ण मंदिर में पूरे साल श्रद्धालू आते हैं। आप चाहें तो खोकरों द्वारा बनवाया गया खोकर किला भी घूम सकते हैं। प्रचीन समय में यह किला बेहद भव्य था। हालांकि अब यह करीब-करीब खंडहर में बदल चुका है।
रोहतक में एक जामा मस्जिद भी है, जो मेयहम शहर के बीच में स्थित है। यहां के एक मिले एक अभिलेख के अनुसार इसका निर्माण हुमायूं के शासनकाल में 1531 में किया गया था। वहीं एक अन्य अभिलेख के अनुसार इस मस्जिद को 1667-68 में औरंगजेब के शासनकाल में बनवाया गया था।
हरियाणा के दूसरे शहरों की तरह ही रोहतक में भी गौकरण नाम से एक पवित्र तालाब है। शहर के बीचों-बीच स्थित इस गौकरण तालाब के परिसर में दूसरे धार्मिक तालाब की तरह ही कई धार्मिक महत्व के स्थल हैं। इनमें विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर शामिल हैं। अगर आप रोहतक जा रहे हैं तो यहां का भिंडावास झील भी जरूर घूमिए। वीकेंड पिकनिक मनाने वालों, पक्षी प्रेमियों, फोटोग्राफरों और वीडियोग्राफरों के लिए यह एक आदर्श जगह है।
रोहतक का मौसम
रोहतक की जलवायु बदलती रहती है।
कैसे पहुंचें
सड़क, रेल और हवाई मार्ग से रोहतक अच्छे से जुड़ा हुआ है।