दिल्ली - अलवर - जयपुर सड़क मार्ग पर स्थित सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान, जो सरिस्का टाइगर रिजर्व भी है,राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। यह स्थान जो कभी अलवर राज्य में एक शिकारगाह थी,1955 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित हुआ तथा 1979 में इसे एक राष्ट्रीय पार्क का दर्जा मिला।
यह राष्ट्रीय उद्यान सुंदर अरावली की पहाड़ियों में स्थित है तथा 800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां घास, शुष्क पर्णपाती वन,चट्टानें और चट्टानी परिदृश्य दिखाई पड़ते हैं। इस क्षेत्र के बड़े हिस्से में धाक के वृक्ष पाये जाते है और यहां विभिन्न वन्यजीव प्रजातियं रहती हैं। सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान विविध प्रजातियों के जंगली जानवरों-तेंदुए, चीतल, सांभर, नीलगाय, चार सींग वाला हिरण, जंगली सुअर, रीसस मकाक, लंगूर, लकड़बग्घा और जंगली बिल्लियों का शरणस्थल है। इस राष्ट्रीय उद्यान में बड़ी संख्या में मोर,सैंडग्राउस, स्वर्ण कठफोड़वा और कलगी नागिन ईगल भी हैं।
10 वीं और 11 वीं सदी के गढ़ - राजौर के मध्ययुगीन मंदिरों के अवशेष भी पार्क में हैं। सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में एक पहाड़ी की चोटी पर एक 17 वीं सदी का महल भी मौजूद है,तथा यह गिद्धों और चील की उड़ान का एक मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है।
टाइगर रिजर्व तेंदुआ, जंगली कुत्ता, जंगली बिल्ली, लकड़बग्घा, सियार, और चीता सहित अन्य मांसाहारी जानवरों का भी शरणस्थल है।