वाराणसी से 13 किमी दूर सारनाथ में स्थित चौखंडी स्तूप बौद्ध समुदाय के लिए काफी पूजनीय है। यहां गौतम बुद्ध से जुड़ी कई निशानियां हैं। ऐसा माना जाता है कि चौखंडी स्तूप का निर्माण मूलत: सीढ़ीदार मंदिर के रूप में किया गया था। बोध गया से सारनाथ जाने के क्रम में गौतम...
बौद्ध धर्म के मानने वालों में डीयर पार्क का खास महत्व है। इसी जगह गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। साथ ही यहीं पहले संघ की स्थापना की गई थी। पहले अरिहंत कोंडन्ना को इस स्थान पर ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और उन्होंने बौद्ध संघ की स्थापना की।
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सारनाथ में स्थित यह विशाल स्तूप वाराणसी से 13 किमी दूर है। इसका निर्माण 500 ईस्वी में सम्राट अशोक द्वारा 249 ईसा पूर्व बनाए गए एक स्तूप व अन्य कई स्मारक के स्थान पर किया गया था। दरअसल सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में कई स्तूप बनवाए। इन स्तूपों में गौतम बुद्ध से...
मूलगंध कुटी विहार सारनाथ के नष्ट हो चुके प्रचीन निर्माणों के बीच स्थित है। इसकी वास्तुशिल्पीय शैली बेहद खास है और यह अन्य मंदिरों से बिल्कुल अलग है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह हाल ही में बना है। 1931 में इसे महा बोधि सोसाइटी ने बनवाया था। मंदिर के अंदर बेहद...
एक प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल होने के नाते पूरे विश्व से यहां श्रद्धालू आते हैं। खासकर जापान, थाईलैंड और चीन जैसे बौद्ध धर्म प्रधान देशों से। इन देशों के अधिकांश लोगों के सारनाथ में मंदिर है। थाई मंदिर का निर्माण एक थाई समुदाय ने करवाया था।
मंदिर की खासियत...
भारत में बौद्ध धर्म के उद्भव और विकास से सारनाथ का गहरा नाता है। यहीं गौतम बुद्ध ने अपने पांच शिष्यों को पहला उपदेश दिया था। साथ ही विश्व को धर्म का सिद्धांत, चार आर्य सत्य और आर्य अष्टांग मार्ग के बारे में बताया था। बाद में सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया और...
अशोक स्तंभ दरअसल उत्तर भारत में मिलने वाले श्रृंखलाबद्ध स्तंभ हैं। जैसा कि नाम से ही साफ है, इन स्तंभों को सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में तीसरी शताब्दी में बनवाया था। हर स्तंभ की ऊंचाई 40 से 50 फीट है और वजन कम से कम 50 टन है। इन स्तंभों को वाराणसी के पास स्थित...
सारनाथ में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) 1907 से खुदाई का काम कर रहा है। इस दौरान यहां बौद्ध धर्म के जन्म और विकास से जुड़ी कई चीजें मिली हैं। खुदाई के मुख्य स्थान पर कई स्मारक और ढांचे हैं।
यहां मिले प्रचीन अवशेषों पर संकेत और प्रतीक खुदे हुए हैं।...
भगवान गौतम बुद्ध ने सारनाथ में ही लोगों को धर्म की शिक्षा देने के लिए धर्म चक्र को चलाया था और चार आर्य सत्य व आर्य अष्टांग मार्ग के बारे में बताया था। सारनाथ से ही बौद्ध धर्म पनपा और पूरी दुनिया में फैला। यहां तिब्बत, चीन, जापान और थाईलैंड जैसे देशों से ढेरों...