उत्तरप्रदेश में वाराणसी के पास सारनाथ एक छोटा सा गांव है। इसकी प्रसिद्धि की सबसे बड़ी वजह यहां स्थित डीयर पार्क है, जहां गौतम बुद्ध ने प्रथम उपदेश दिया था। पहले बौद्ध संघ की स्थापना भी यहीं की गई थी। सारनाथ का बौद्ध धर्म से गहरा नाता है और यह भारत के चार प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थलों में एक है।
सारनाथ में ही महान भारतीय सम्राट अशोक ने कई स्तूप बनवाए थे। उन्होंने यहां प्रसिद्ध अशोक स्तंभ का भी निर्माण करवाया, जिनमें से अब कुछ ही शेष बचे हैं। इन स्तंभों पर बने चार शेर आज भारत का राष्ट्रीय चिन्ह है। वहीं स्तंभ के चक्र को राष्ट्रीय ध्वज में देखा जा सकता है।
1907 से यहां कई खुदाई की गई हैं। इसमें कई प्राचीन स्मारक और ढांचे मिले, जिससे उत्तर भारत में बौद्ध धर्म के आरंभ और विकास का पता चलता है।
सारनाथ और आसपास के पर्यटन स्थल
सारनाथ में कई बौद्ध ढांचे और स्मारक हैं। इनमें से कई ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के हैं। यह गांव बौद्ध तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण है। इसके अलावा यहां इतिहासकार और पुरातत्वविद् भी आते हैं, जो यहां के स्मारकों और ढांचों पर अंकित प्रचीन लिपि का अध्ययन करते हैं और उन्हें सुलझाते हैं।
डीयर पार्क भी बड़ी संख्या में पर्यटकों का अपनी ओर खींचता है। यही वह जगह है जहां गौतम बुद्ध ने पहला उपदेश दिया था। इतना ही नहीं, डीयर पार्क में स्थित धमेख स्तूप वो जगह है, जहां पर गौतम बुद्ध ने ‘आर्य अष्टांग मार्ग’ का संदेश दिया था।
सारनाथ में कई स्तूप हैं। इन्हीं में से एक है चौखंडी स्तूप, जहां बुद्ध की हड्डियां रखी गई हैं। पुरातात्विक और खुदाई के क्षेत्र में जमीन से कई प्रचीन स्मारक निकलीं हैं, जिनमें से अशोक स्तंभ भी एक है।
सारनाथ म्यूजियम में भी खुदाई के दौरान मिली शिल्पकृतियों को रखा गया है। यहां के पर्यटन स्थलों में एक नाम हाल ही में जुड़ा है। यह है मूलगंध कुटी बिहार, जिसे 1931 में महा बोधि सोसाइटी ने बनवाया था। इसके अलावा यहां थाई मंदिर और काग्यु तिब्बती मठ भी घूमने लायक जगह है।
कैसे पहुंचे सारनाथ
सारनाथ रेल और सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है।
सारनाथ घूमने का सबसे अच्छा समय
नवंबर से मार्च का समय सारनाथ घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस समय यहां का मौसम काफी खुशगवार रहता है। यहां कड़ाके की गर्मी पड़ती है। इसलिए गर्मी के समय यहां जाना ठीक नहीं रहता।