सिमडेगा एक शहर होने के साथ-साथ झारखंड के सिमडेगा जिले का जिला मुख्यालय भी है। यहां आप जनजातीय लोगों की जीवनशैली को काफी करीब से महसूस कर सकते हैं। हालांकि अब सिमडेगा धीरे-धीरे सेमी-टाउनशिप के रूप में सामने आ रहा है, बावजूद इसके यहां की प्राकृतिक संपदा अभी तक प्रभावित नहीं हुई है।
यहां बड़ी संख्या में आदिवासी लोग रहते हैं। पर्यटक इन आदिवासियों के रहन-सहन को देखने के साथ सिमडेगा के घने जंगलों की खूबसूरती का आनंद लेने के लिए भी यहां आते हैं। यहां के जंगलों में कैंप लगाना और दूसरी गतिविधियां काफी सामान्य बात है।
सिमडेगा और आसपास के पर्यटन स्थल
सिमडेगा में घूमने लायक कुछ ही चीजें हैं। इनमें से एक है केलाघाघ डेम। यह डेम पहाड़ों की श्रृंखला से घिरा हुआ है, जिससे यहां का नजारा मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है। सिमडेगा के दूसरे चर्चित पर्यटन स्थलों में रामरेखा धाम, दानगाड़ी, केतुंगा धाम, भंवार पहाड़ और अंजार पीर साहिब का मजार शामिल है।
इतिहास पर एक नजर
चूंकि सिमडेगा पर कई राजाओं ने शासन किया है, इसलिए इसका इतिहास बेहद समृद्ध है। पहले इस जगह को बीहू-कैसलपुर परगना नाम से जाना जाता था, जो राजा कंतगदेव का राज्य था। राजा कंतगदेव के निधन के बाद महाराजा शिवकर्ण ने यहां शासन किया। इसके बाद यहां उरांव जनाजाती के साथ-साथ मुंडा और खारिया जनजाती ने भी रहना शुरू किया। 1503 के आसपास सिमडेगा कलिंग साम्राज्य का भी हिस्सा था। शाही परिवार के पूर्वज आज भी सिमडेगा में रहते हैं।
सिमडेगा घूमने का सबसे अच्छा समय
फरवरी से अप्रैल के बीच कभी भी सिमडेगा घूमा जा सकता है।
कैसे पहुंचें
झारखंड के प्रमुख शहरों से सिमडेगा अच्छे से जुड़ा हुआ है। सबसे नजदीकी एयरपोर्ट रांची में है, जो 162 किमी दूर है। आसपस के शहरों से सिमडेगा के लिए बसें भी चलती हैं।