अगर आप ऐसी जगह घुमना चाहते है जहां महानगर जैसी सुविधाएं हों लेकिन शोरशराबा न हों, पर्यटन के हिसाब से अच्छा हो पर महंगाई की मार न पड़े तोसोलापुर सबसे बेस्ट प्लेस है। 14,850 वर्ग किमी में फैला यह क्षेत्र महाराष्ट्र राज्य का एक जिला है जोकि मुम्बई से 400 किमी. दूर और पुणे से 245 किमी.दूर बसा हुआ है। इसके उत्तरी भाग में उसमानाबाद और अहमदनगर बसा हुआ है और पश्चिमी भाग में सतारा और पुणे शहर बसे है।
सोलापुर - एक नजर में
सोलापुर का इतिहास सोलापुर का अर्थ है सोला और पुर यानि सोलह गांव। माना जाता है कि पुराने जमाने में इस क्षेत्र में 16 गांव थे जो सोलापुर के नाम से जाने जाते थे। यह इलाका,सिना नदी के तट पर फैला हुआ है जो राज्य में एक जैन धर्म के केन्द्र के रूप में विख्यात है। सोलापुर को कब और किसने बसाया, इस बारे में कोई प्रमाण नहींहैं। सोलापुर में समय और शक्ति के हिसाब से कई शासकों ने शासन किया। सोलापुर में लम्बे समय तक चालुक्य और यादवों का साम्राज्य रहा। बाद में बहमनी शासकों ने यहां की बांगडोर सभांल ली। मराठों के आने के बाद बहमनी शासकों का पतन हो गया। 1818 में सोलापुर को अहमदनगर का सब- डिवीजन बना दियागया था। बाद में 1960 में इस क्षेत्र को सोलापुर जिला घोषित कर दिया गया।
सोलापुर - ध्यान खींचता एक आकर्षक शहर
सोलापुर, भारत की दक्षिण काशी के नाम से विख्यात है। यहां स्थित भगवान विट्टोवा का मंदिर पूरे राज्य और देश में अपनी छाप बनाए हुए है। कार्तिकी और अस्हादी के पर्व के दौरान लाखों श्रद्धालु यहां पूजा करने आते है। सोलापुर में अक्कलकोट एक बहुत ही महत्वपूर्ण तीर्थ केंद्र है जो भगवान दत्तात्रेय के अवतार माने जाने वाले स्वामी समर्थ महाराजा को समर्पित है। यहां के वटवृक्ष मंदिर की यात्रा भी बहुत पवित्र मानी जाती है। सोलापुर में स्थित स्वामी मठ और तुलजा भवानी का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए अच्छा तीर्थस्थल है। यहां का सिद्धेश्वर मंदिर एक झील के बीचों- बीच स्थित है। साथ ही सोलापुर का किला बुउुकोट एक शानदार स्मारक है जिसे देखने कई पर्यटक मीलों दूर से आते है। सोनापुर में पक्षी देखने के शौकीनमोटीबाउग टैंक आएं, यह एक अद्भुत स्थल है जहां सर्दियों के मौसम में हजारों की सख्ंया में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है। यहां का रविसिद्धेश्वर मंदिर इसी टैंक के पास स्थित है। शहर में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अभयारण्य भी है जहां कई प्रकार के पक्षी मौजूद है। सोलापुर में ग्राउंड फोर्ट, मल्लिकार्जुन मंदिर, आदिनाथ मंदिर, कई मस्जिदें भी आकर्षण का केंद्र है।
सोलापुर की संस्कृति और जनजीवन
सोलापुर न केवल घूमने के लिए एक शानदार शहर है बल्कि यहां रहने के लिए भी उचित वातावरण और परिवेश है। यहां लोग मराठी, कन्न्ड़ और तमिल भाषाओं को बोलते है और विविध संस्कृतियों को अपानाते है। सोलापुर को प्राचीन काल में शिव योगी संप्रदाय के लिए जाना जाता था, यहां कई प्रकार के मंदिर हुआ करतेथे जो आज भी विद्यमान है। सोलापुर के लोग गर्ममिजाज, सहिष्णु और दृढ़ होते है। यह एक संपूर्ण वाणिज्यिक और पर्यटन हब के रूप में उभर रहा है। इस शहर में कई मेलों और त्योहारों का आयोजन किया जाता है जिसमें हर धर्म और संप्रदाय के लोग हिस्सा लेते है। यहां के थियेटर में स्थानीय कलाकारों द्वारा समय-समय पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। लोकगीत यहां के स्थानीय लोगो द्वारा पर्व और उत्सव के दौरान गाए जाते है।
सोलापुर के बारे में रोचक तथ्य
सोलापुर सभ्य संस्कृति वाला शहर है। यहां की जलवायु मौसम के हिसाब से बदलती रहती है। गर्मियों में यहां का तापमान 40 से 42 डिग्री सेल्सियस तकपहुंच जाता है। इस दौरान आने वाले पर्यटकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गर्मियों के दिनों धुप भी काफी तेज होती है ऐसे में घूमना थोड़ामुश्किल होता है। बारिश के मौसम में यहां बहार आ जाती है और तापमान में गिरावट आ जाती है। वहीं सर्दियों में तापमान गिरकर 9 डिग्री सेल्सियस तकपहुंच जाता है जब पर्यटक आसानी से शहर का भ्रमण कर सकते है। शोलापुर शहर हवाई, रेलवे और बस मार्ग से भली-भांति जुड़ा हुआ है। यहां आने के लिएहर प्रकार का साधन मिल जाता है। शहर में घूमने के लिए कैब या टैक्सी भी बुक करा सकते है। यह जिला गद्दे, पावरलूम, हथकरघा और बीड़ी उद्योगों केलिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा यहां के धार्मिक स्थल भी दुनिया भर में काफी प्रसिद्ध है। यहां अध्यात्म, धर्म, इतिहास, प्रकृति, व्यावसायीकरण, और मनोरंजनका मिलाजुला रूप देखने को मिलता है। समय मिलने पर इस पावन धरती पर जरूर घूमने आएं।