इस जगह को 1971 में लोकप्रिय बी एस कुलकर्णी ने पहचान दी और नंनाज- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अभयारण्य नाम दिया। दरअसल, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड एक स्थानीय पक्षी का नाम है जोकि इस इलाके में पाया जाता है।
पक्षी जगत में यह एक अत्यंत दुर्लभ पक्षी है। यह...
कुदाल संगम एक ऐतिहासिक तीर्थ स्थल है जो सिना और भीम नदिंयों के तट पर स्थित है। यह सोलापुर की सुंदर जगहों में से एक है। यहां का कुदाल मंदिर सबसे पुराना मंदिर है जिसका निर्माण हेमंतपाथी शैली में किया गया था। इस मंदिर में रखा लिंगम पूज्यनीय और अद्वितीय है...
असर महल का निर्माण 1646 में मोहम्मद आदिल शाह ने करवाया था। इस महल में एक न्याय हॉल बना हुआ है जिसमें कई चित्र सजे हुए हैजो उस काल की कलाकारी और सादगी को बयां करते है। महल के पीछे एक मस्जिद भी है जिसमें महिलाओं को जाने की आज्ञा नहीं थी। फिलहाल असर महल की...
करमाला गांव में कई ऐतिहासिक मंदिर है जो काफी प्रसिद्ध है। यहां का मंदिर वास्तुकला में अद्वितीय माना जाता है जो 96 प्रकार के महत्वों केसाथ जुड़ा हुआ है। यहां का कमला भवानी मंदिर सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है जिसका निर्माण 1727 ई. में राव राजे...
महाराष्ट्र राज्य में उस्मानाबाद जिले में स्थित नलदुर्ग सोलापुर से 45 किमी. दूर है। नलदुर्ग में सुंदर झरने और किले अपनी अनोखी छटा बिखेरते है। बारिश के मौसम में नलदुर्ग घुमने का अलग मजा है।
यह किला एक ऐतिहासिक आश्चर्य बना हुआ है जो इंडो- क्लासिक...
सोलापुर में हिप्पारागा एक झील है और इकरूख एक टैंक है जो पास - पास होने के कारण एक पर्यटन स्थल का निर्माण करते हैं।इस टैंक का निर्माण ब्रिटिश शासन काल में कर्नल फाइफ ने करवाया था।
इस तालाब में प्रचुर मात्रा में पानी है जिससे पूरे सोलापुर में पानी...
यह सोलापुर जिले की एक पुरानी जगह है जहां पूजा की जाती है। इसके पास में ही नंनाज और मोती बाग स्थित है। मंदिर परिसर के पास में एक भारतीय बस्टर्ड अभयारण्य भी है, यह सभी जगह मिलकर एक आदर्श पर्यटक स्थल बनाते है। यह मंदिर एक महान संत रिवानसिद्धेश्वर के...
भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर सोलापुर जिले में स्थित है जो काफी प्राचीन है। इस मंदिर का निर्माण 1245 ई. में किया गया था। 800 साल पुराने इस मंदिर की वास्तुकला की शैली हेंमतपादी शैली है जो उत्तर भारत के कई मंदिरों में देखी जा सकती है। इस मंदिर में...
इंद्र भवन का निर्माण 1907 में स्वर्गीय श्री अप्पासाहेब वारेड़ ने करवाया था। यह भवन तीन मंजिला बना हुआ है। वर्तमान में सोलापुर नगरनिगम द्वारा इस भवन की देखभाल की जा रही है।
सुबह 11 से शाम 7 बजे तक इस भवन को घुमा जा सकता है।
सोलापुर नगरपालिका परिषद सोलापुर जिले के नागरिकों के बीच गर्व करने के लिए एक कारण है। सोलापुर, भारत का ऐसा शहर है जहांआजादी के काफी साल पहले ही तीन दिनों की आजादी मनाई गई थी।
यह वाकया 1930 का है। इस दौरान ही सोलापुर नगरपालिका परिषद का निर्माण करवाया गया।...
सोलापुर शहर से 100 किमी. की दूरी पर मोहम्मद आदिल शाह की समाधि बनी हुई है जिसे गोल गुम्बद के नाम से जाना जाता है। इस गुम्बद के अन्दर एक फुसफुसा गैलरी बनी हुई है जिसमें हर तरफ से आवाज सुनाई देती है। यह गुम्बद पूरी दुनिया में सबसे शानदार है...
सोलापुर में सिद्धेश्वर मंदिर झील से घिरा एक रमणीय स्थल है। यहां भगवान श्री मल्लिकार्जुन, श्री सिद्धरामेश्वर, श्री शैलम, भगवान शिव और भगवान विष्णु की मूर्ति लगी हुई है। यह शहर के सबसे खुबसूरत और रमणीय स्थलों में से एक है। इस मंदिर में जाने के लिए झील...
प्रकृति प्रेमी देर न करते हुए फटाफट मोती बाग झील जाएं। यहां आपको सफेद और गुलाबी कमल से भरा हुआ कमबर तालाब मिलेगा जो बेहद सुंदर लगता है। इस जगह को देखने वाला हर शख्स इसे स्वर्ग का टुकड़ा कहता है। स्थानीय लोग इसे कम्बर तलाव भी कहते है। यहां एक...
श्री दहीगुन तीर्थ, तुलजापुर गांव में एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जो शहर में ही स्थित है। इस स्थल में महात्मा बुद्ध की 244 सेमी. ऊंची काले रंग की मूर्ति रखी हुई है। मूर्ति पद्मासन करते हुए रूप में है।
जैन धर्म के अनुयायी हर साल यहां पूजा...
यह मंदिर शहर से 70 किमी. दूर स्थित है जो पूरी तरह से शांतिपूर्ण इलाके में बना हुआ है। इस मंदिर के आसपास पर्यटक परिवार केसाथ अच्छा समय बिता सकते है।