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सोनभद्र पर्यटन - सोनभद्र पर्यटन में प्राचीन स्‍मारक

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सोनभद्र, उत्‍तर प्रदेश राज्‍य में दूसरा सबसे बड़ा जिला है। यह जिला, विंध्‍य पर्वत के दक्षिण - पूर्वी सीमा में स्थित है और यहां पूर्व से पश्चिम की ओर सोन नदी बहती है। सोनभद्र पर्यटन में विशाल सांस्‍कृतिक और ऐतिहासिक महत्‍व है और यहां कई प्राचीन स्‍मारकों, किलों और इमारतों का घर है।

सोनभद्र और उसके आसपास के क्षेत्रों में कई पर्यटन स्‍थल हैं। सोनभद्र में कई दिलचस्‍प स्‍मारक और इमारतें हैं जिन्‍हे जिले के महत्‍वपूर्ण पर्यटन स्‍थलों में से गिना जाता है। सोनभद्र जिले में स्थित विजयगढ़ किला, पांचवी सदी का है। इसे कोल राजाओं ने बनवाया था और इस किले को यहां, पत्‍थरों पर की गई नक्‍काशी, शिलालेख और गुफाओं पर की गई चित्रकारी के लिए जाना जाता है।

इसके बाद, यहां स्थित नौगढ़ किला भी काफी विख्‍यात है जिसे काशी राजा ने बनवाया था। हालांकि, वर्तमान समय में इसे सरकार के द्वारा गणमान्‍य व्‍यक्तियों के लिए एक गेस्‍ट हाउस के रूप में तब्‍दील कर दिया गया है, लेकिन फिर भी यह छोटा सा किला आज भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। यहां का अगोरी किला एक प्रतिष्ठित किला है जो तीन तरफ से तीन नदियों से घिरा हुआ है।

सोनभद्र, सलखन जीवाश्‍म पार्क के लिए भी जाना जाता है। इस पार्क का भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्‍व है। यहां स्थित जीवाश्‍म, प्रोटेरोज़ोइक काल के हैं और लगभग 1400 साल पुराने है। इसके अलावा, मुक्‍खा झरने का उल्‍लेख भी आवश्‍यक है। यह झरना यहां स्थित कुछ प्राकृतिक झरनों में से एक है।

सोनभद्र जिले को यहां के विंध्‍य क्षेत्र में पाई जाने वाली कई गुफा चित्रकला साइट के लिए भी जाना जाता है। इस जिले में स्थित लेखनिया गुफाएं, कैमूर पर्वतमाला में स्थित है और सुंदर प्राचीन काल से चली आ रही पत्‍थरों की चित्रकारी के लिए जानी जाती है। यह ऐतिहासिक चित्र लगभग 4000 साल पुराने हैं और जीवन में संस्‍कृति को लाते है व सदियों तक विश्‍वास को कायम रखते है। खोंडवा पहाड़ या गोरामंगार यहां की अन्‍य प्रचलित जगह है जहां पुराने जमाने की गुफाएं बनी हुई है। पर्यटक यहां आकर लोरिका चट्टान को भी देख सकते है जो एक ऐतिहासिक विशाल चट्टान है।

धार्मिक स्‍थलों के मामले में, यहां का शिव द्वार मंदिर सबसे प्रसिद्ध मंदिर है जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। यह मंदिर यहां स्‍थापित, 11 वीं सदी की काले पत्‍थर से बनी दो मूर्तियों के लिए खासा माना जाता है। सोनभद्र जिला, कला प्रेमियों और प्रकृति से प्रेम करने वाले पर्यटकों को सदैव यहां के भ्रमण के आमंत्रित करता है।

सोनभद्र की यात्रा का सबसे अच्‍छा समय

सोनभद्र की यात्रा का सबसे अच्‍छा समय नवंबर से मार्च के बीच का होता है। इस दौरान सोनभद्र आसानी से घूमा जा सकता है।

सोनभद्र कैसे पहुंचे

सोनभद्र तक हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

सोनभद्र इसलिए है प्रसिद्ध

सोनभद्र मौसम

घूमने का सही मौसम सोनभद्र

  • Jan
  • Feb
  • Mar
  • Apr
  • May
  • Jun
  • July
  • Aug
  • Sep
  • Oct
  • Nov
  • Dec

कैसे पहुंचें सोनभद्र

  • सड़क मार्ग
    सोनभद्र वाराणसी से 90 किमी. दूर है। एक अच्‍छी और सुविधाजनक सड़क यहां से होकर गुजरती है। यह सड़क उत्‍तर प्रदेश के कई प्रमुख शहरों को जोड़ती है। हाईवे, सोनभद्र के माध्‍यम से वाराणसी और वैद्यान दर्रे को जोड़ता है।
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  • ट्रेन द्वारा
    सोनभद्र जाने के लिए नजदीकी रेलवे स्‍टेशन मिर्जापुर रेलवे स्‍टेशन और रॉबर्टगंज रेलवे स्‍टेशन है। पास में स्थित चौपन रेलवे स्‍टेशन भी है, ये तीनों रेलवे स्‍टेशन, सोनभद्र जाने के लिए सुविधाजनक हैं। यह शहर रेल द्वारा दिल्‍ली, इलाहबाद, रांची और पटना से भली - भांति जुड़ा हुआ है।
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  • एयर द्वारा
    सोनभद्र का नजदीकी एयरपोर्ट मयूरपुर एयरपोर्ट है। यह एक प्राईवेट हवाई अड्डा है और यहां केवल निजी विमानों या चार्टर प्‍लेन की ही उड़ान भरी जाती है। वैसे पर्यटक वाराणसी के एयरपोर्ट पर उतरकर वहां से सोनभद्र तक बस या निजी वाहन से भी जा सकते है।
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