श्रीरंगापट्नम की यात्रा पर आए यात्रियों को टीपू का मुत्युस्थल अवश्य देखना चाहिए। मैसूर के शासक टीपू सुल्तान का मृत शरीर इस जगह से बरामद हुआ था। जहाँ शानदार शासक का शव मिला, उस जगह पर कर्नल वैलेस्ले ने पत्थर की एक गोली स्थापित करवा दी थी। ‘जलद्वार किले‘...
कारीघट्टा पहाड़ियों पर समुद्रतल से 2697 मी. ऊपर स्थित कारीघट्टा मंदिर देखने का सुझाव सभी यात्रियों को दिया जाता है। यह मंदिर भगवान बैकुंठ श्रीनिवास अथवा भगवान विष्णु को समर्पित है और यहाँ भगवान की छः फीट लंबी काली मूर्ति है। ऐसा माना जाता है कि यह प्रतिमा भृगु ऋषि...
पर्यटकों को श्रीरंगापट्नम आने पर 14कि.मी. दूर स्थित एक छोटा सा गाँव कैर थोन्नूर ज़रूर देखना चाहिए।यह ऊँचे वृक्षों के बीच बनी एक सुंदर झील के लिए प्रसिद्ध है जो इस जगह की खूबसूरती को बढ़ा देती है। आरंभ में टीपू सुल्तान ने इसका नाम ‘मोती तालाब‘ रखा था,...
पर्यटकों को बालमूड़ी झरना अवश्य देखना चाहिए जो कि श्रीरंगापट्नम जाते हुए बहुत सुंदर पिकनिक स्थल है। कावेरी नदी के किनारे यह जलाशय उन पर्यटकों के लिए उपयुक्त स्थान है जो पानी में तैरना चाहते हैं। यहाँ आने का अच्छा समय सर्दियाँ है जब जलस्तर ऊचाँ होता है और पर्यटक...
यात्रियों के लिए यह सुझाव है कि श्रीरंगापट्नम की ओर जाते हुए पांडवपुर अवश्य जाए।चट्टानों से बनी दो पहाडि़यों के बीच स्थित इस शहर का नाम पांडवपुर इसलिए पड़ा क्योंकि महापुराण ‘महाभारत‘ के नायक ‘पांडव‘ कुछ देर के लिए यहाँ रुके थे।ऐसा माना जाता...
श्रीरंगापट्नम के निकट कावेरी नदी के किनारे स्थित ‘रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य‘, इस क्षेत्र का एक प्रमुख आकर्षण है। छः उपद्वीपों के समूह से बना यह अभयारण्य 67कि.मी. वर्ग क्षेत्र में फैला हुआ है। 1940 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया यह स्थान जून से...
श्रीरंगापट्नम की यात्रा पर आए यात्रियों को श्रीरंगापट्नम का किला अवश्य देखना चाहिए जो कि 1537 में सामंत देवगौड़ा ने बनवाया था।यह किला कावेरी नदी के बीच एक उपद्वीप पर बना है जिसे टीपू सुल्तान का किला भी कहते हैं और यह भारतीय-इस्लामिक वास्तुकला शैली को दर्शाता है।...
श्रीरंगापट्नम की यात्रा पर ‘टीपू का किला‘ नाम से प्रसिद्ध गुंबज अवश्य देखें। यह 20मीटर ऊँची इमारत मुख्य रूप से टीपू सुल्तान, उनके माता-पिता, फ़ातिमा बेग़म और हैदर अली की कब्रगाह है। टीपू सुल्तान के अनेक रिश्तेदारों व खास लोगों को भी यहाँ दफनाया गया। इस...
श्रीरंगापट्नम की ओर जाते हुए यात्रियों को गंगा नदी के किनारे नौवीं शताब्दी में बना श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर अवश्य देखना चाहिए।यह मंदिर उन सबसे बड़े मंदिरों में से एक है जो बाद में विजयनगर और होयसला वंश के शासकों द्वारा सुधारें गए। भगवान विष्णु का एक रूप, भगवान...
मस्जिद-ए-आला के नाम से प्रसिद्ध जामा मस्जिद, श्रीरंगापट्नम आने पर अवश्य देखें। यह मस्जिद 1784 में मैसूर पर कब्जा करने के बाद टीपू सुल्तान ने बनवाया था। ऐसा माना जाता है कि टीपू सुल्तान ने स्वयं इस मस्जिद में सबसे पहली नमाज़ पढ़ी थी। यह जगह टीपू सुल्तान के पसंदीदा...
1784 में बना दरिया दौलत बाग टीपू सुल्तान के ‘ग्रीष्म महल‘ के नाम से प्रसिद्ध है।हैदर अली ने इस इमारत का निर्माण शुरु करवाया जिसे उसके बेटे टीपू सुल्तान ने पूरा करवाया। इस क्षेत्र के ‘अवश्य देखें‘ स्थलों में शुमार इस महल को 1959 में...
यात्रियों के लिए यह सुझाव है कि श्रीरंगापट्नम की ओर जाते हुए महादेवपुर अवश्य जाए।यह सुंदर गाँव एक पिकनिक स्थल है जहाँ कावेरी नदी घने जंगलों के बीच से बहती है। इस गाँव का प्रमुख आकर्षण केंद्र है-‘गैंड होसल्ली पक्षी अभयारण्य‘। इसी गाँव में 600 साल पुराना...