रूद्रापाद मंदिर, ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान शिव के बांए पैर के छाप है। मंदिर में भगवान शिव के रूद्र रूप की पूजा की जाती है। रूद्र का अर्थ होता है - भगवान शिव का क्रोध रूप और पाद...
तेजपुर की यात्रा के दौरान, पदुम पुखुरी की सैर करना कतई न भूलें। केंद्र पर स्थित यह पुखुरी, एक बडी सी झील के साथ एक द्वीप पर स्थित है। द्वीप तक केवल एक छोटे से लोहे के पुल के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। पदुम पुखुरी, बच्चों के लिए आम आकर्षण है। गर्मी के...
महाभैरव मंदिर तेजपुर का सबसे अधिक प्रसिद्ध मंदिर है। शहर के उत्तरी किनारे पर स्थित महाभैरव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। किवदंती है कि मूल रूप से इस मंदिर का निर्माण राक्षसों के राजा बाणासुर ने किया था। पहले यह एक पत्थर का मंदिर था जो 1897 में आये भूकंप में नष्ट...
अग्निगढ़ की सैर किये बिना तेजपुर की सैर अधूरी है। यह स्थान राजकुमार अनिरुद्ध और राजकुमारी उषा के प्रेम का और साथ ही भगवान कृष्ण और बाणासुर के बीच हुए भयंकर युद्ध का वर्णन करता है। रोचक रूप से यह संपूर्ण कहानी आदमकद मूर्तियों के माध्यम से प्रस्तुत की गई हैं। ये...
दा परबतिया 6 वीं शताब्दी का हिन्दू मंदिर है जो भगवान् शिव को समर्पित है। इस मंदिर का संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जाता है क्योंकि इसे एक विरासत का दर्जा प्राप्त है। असम की सबसे पुरानी जीवित मूर्तिकला का नमूना होने के कारण इसे राज्य में बहुत सम्मान...
केताकेश्वर देवाल एक मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। केताकेश्वर देवाल, दुनिया के सबसे बडे शिवलिंगों में से एक है। यह आसामान्य है लेकिन इस मंदिर के दो भाग है। मंदिर का पहला भाग लिंग है और दूसरा भाग वह हिस्सा है जहां लिंग का आधार पाया गया था।...
भैरबी मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। तेजपुर के बाहर स्थित इस मंदिर से शानदार कोलिया भोमोरा पुल को देखा जा सकता है जो ब्रम्हपुत्र नदी के ऊपर बना हुआ है। भैरबी मंदिर बामुनी पहाड़ी के अवशेषों के पास स्थित है।
ऐसा विश्वास है कि बाणासुर की पुत्री राजकुमारी उषा...
बामुनी पहाड़ या बामुनी पहाड़ी तेजपुर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान पत्थर की मूर्तियों के अवशेषों के लिए प्रसिद्ध है जो ईसा पश्चात 9 वीं और 10 वीं शताब्दी की हैं। मूर्तिकला के ये अवशेष पूरी पहाड़ी पर पाए जाते हैं। इन अवशेषों को ध्यान से देखने पर पता...
हजारा पुखुरी, तेजपुर शहर का तीसरा सबसे बड़ा जलाशय या टैंक है। इस जलाशय के पानी से 70 एकड़ जमीन के क्षेत्र को पानी प्रदान किया जाता है। हजारा पुखुरी, शहर का एक भव्य आकर्षण है।
हजारा पुखुरी का नाम, हजारा वारमन के नाम पर रखा गया था और 19 वीं सदी में शायद...
यदि तेजपुर में कोई बहुत प्रभावकारी स्थान है तो वह भोमोरा सेतु है। यह वह पुल है जो नागांव जिले को सोनितपुर जिले से जोड़ता है। लगभग 3.015 किमी. की लंबाई वाला यह पुल स्थापत्य उत्कृष्टता का नमूना भी है। इस पुल के निर्माण के कारण उत्तर पूर्वी राज्यों का विकास हुआ।'
...कोल पार्क को चित्रलेखा पार्क के नाम से भी जाना जाता है (इसका नाम वर्तमान में ही परिवर्तित किया गया है।) इस पार्क का नाम पौराणिक चरित्र चित्रलेखा के नाम पर रखा गया है जो राजकुमारी उषा की सहेली थी और एक उत्कृष्ट चित्रकार भी थी। पार्क के मध्य में घोड़े की नाल के...
नाग शंकर मंदिर, तेजपुर शहर के जामूगुरी में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 4 शताब्दी ई. में नागाखा के राजा नारासंकर ने बनवाया था। 15 वीं शताब्दी ( लगभग 1480 में ) में अहोम के राजा सू - सेन - फा ने इस पुराने मंदिर की मरम्मत करवाई थी।...