अरुणाचल प्रदेश के लोहित जिले में स्थित तेजू एक छोटा सा कस्बा है। यह अपनी खूबसूरत वादियों और नदियों के लिए जाना जाता है। मिशमि जनजाति के लोग यहां के प्राचीन बाशिंदे हैं। इस जनजाति का अस्तित्व महाभारत काल से मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण की पहली रानी रुक्मणी मिशमि जनजाति की ही युवती थी।
तेजू के लोग मिशमि त्योहार मनाते हैं, जिसे तमलाडू पूजा के नाम से जाना जाता है। मिशमि जनजाति का ये एक प्रमुख त्योहार है। इसका का आयोजन हर साल 15 फरवरी को किया जाता है और हर समुदाय के लोगों को निमंत्रण भेजा जाता है।
पर्यटन की दृष्टि से भी तेजू में बहुत कुछ देखने लायक है। इन्हीं में से एक है परशुराम कुंड। इस प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पर भारत और पड़ोसी देश से बड़ी संख्या में हिंदू तीर्थयात्री आते हैं। पर्यटक यहां आकर पवित्र डुबकी लगाते हैं और अपने पापों से मुक्ति पाते हैं। तेजू में जनवरी के महीने में एक मेले का भी आयोजन किया जाता है। तेजू के अन्य आकर्षणों में ग्लो झील, हवा कैंप और गर्म पानी का झरना भी महत्वपूर्ण है।
तेजू के लोग
तेजू की आबादी में करीब 2000 तिब्बती समुदाय का अहम हिस्सा है। इन लोगों ने यहां अपनी बस्ती बसा ली है, जिसे स्थानीय लोग लामा कैंप कहते हैं। यह कैंप तेजू मार्केट से 6 किमी दूर तिनडोलांग में है। यहां कुल पांच कैंप है और यह तिब्बत के अलग-अलग क्षेत्र को दर्शाते हैं। इनमें से खाम कोंगपो और पेमाको प्रमुख है।
तिब्बत में हो रहे चीनी अत्याचार से बचने के लिए ये लोग 1960 में यहां बसे थे। आज के समय में इस तिब्बती समुदाय ने अपनी रीति-रिवाज और परंपरा को बनाए रखा है। उन्होंने सरकार और अन्य स्रोतों से मिले धन से मठ, हेल्थ सेंटर, नर्सिग होम्स और स्कूल का निर्माण करवाया है।
कैसे पहुंचे
हवाई, रेल और सड़क मार्ग से तेजू आसानी से पहुंचा जा सकता है। सबसे नजदीकी रेलहेड तिनसुकया में है। इस जगह पर टैक्सी और बस आवागमन का प्रमुख साधन है।
घूमने का सबसे अच्छा समय
ठंड का समय तेजू घमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। ठंड का मौसम दिसंबर में शुरू होता है और फरवरी तक रहता है।