तूतुकुड़ी, प्रसिद्ध रुप से तूतीकोरिन के नाम से जाना जाता है और यह इसी नाम के जिले का नगर निगम भी है। तमिलनाडु राज्य के दक्षिण पूर्वी तट पर स्थित, यह नगर निगम एक प्रसिद्ध बंदरगाह शहर भी है। यह शहर अपने मोतियों के लिए प्रसिद्ध है, इसलिए मोतियों के शहर के रुप में नामित है।
यह शहर मछली पकड़ने के लिए और जहाज़ों के निर्माण के लिए भी प्रसिद्ध है। तूतुकुड़ी की उत्तरी और पश्चिमी दिशा में तिरुनेलवेली जिला स्थित है, और इसकी पूर्वी दिशा में रामनाथपुरम और विरुधुनगर स्थित हैं। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई तूतुकुड़ी शहर से 600 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह शहर तिरुवनंतपुरम के भी काफी करीब है जो केवल 190 किमी की दूरी पर स्थित है।
तूतुकुड़ी और इसके आसपास के पर्यटक स्थल
समुद्र तटों के प्रेमियों के लिए, तूतुकुड़ी एक आदर्श पर्यटन स्थल है। शहर के बंदरगाह सबसे महत्वपूर्ण और आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक है। यह शहर अपने उद्यान के लिए भी काफी लोकप्रिय है, उनमें से हार्बर (बंदरगाह) उद्यान, राजाजी उद्यान और रॉश उद्यान बहुत लोकप्रिय हैं।
यह शहर तिरुचेंदूर मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है जो भगवान सुब्रमण्य को समर्पित है। यह शहर केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सी.एम.एफ.आर.आई) के लिए भी प्रसिद्ध है। अन्य आकर्षणों में मनपद कलुगुमलाई, ओट्टापिड़रम इट्टयापुरम, कोरकाई अतिचनल्लूर, वांची मनियाची और पंचलंकुरीची एवं नव तिरुपति शामिल हैं।
चट्टान को काट कर बनाया गया प्रसिद्ध कलुगुमलाई जैन मंदिर तथा कोरकाई और वेट्रिवेलम्मन मंदिर भी प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण हैं। बाद के दो स्थान प्रसिद्ध पिकनिक स्थल भी हैं। इन के साथ यहां कट्टभोम्मन स्मारक किला नामक एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल भी है, जो स्वतंत्रता सेनानी वीरपांड़ियन कट्टभोम्मन को समर्पित है जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ चल रहे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था।
इतिहास के पन्नों की एक यात्रा
पहले तूतुकुड़ी नगर 'श्री मंदिर नगर' के रूप में जाना जाता था। किंवदंती के अनुसार जब हनुमान सीता की खोज में लंका जा रहें थे तो रास्ते में थोड़ी देर के लिए वे तूतुकुड़ी में रुके थे। कहते हैं कि इस शहर को यह नाम तूतीन शब्द से प्राप्त हुआ है जिसका अर्थ है 'दूत'।
माना जाता है कि यह नाम दो शब्दों को जोड़ने से बनता है, “तूर्तु” अर्थात् 'समुद्र से पुनः प्राप्त की हुई भूमि' और “कड़ी” अर्थात् ‘वास’। प्राचीन काल से यह शहर बंदरगाह शहर के रुप में प्रसिद्ध है, पांडियन शासन काल दौरान यह एक प्रसिद्ध बंदरगाह नगर के रूप में जाना जाता था।
1548 में, इस शहर को पुर्तगालियों ने पांड़ियनों से ले लिया। बाद में 1658 में इस शहर पर डच ने कब्ज़ा कर लिया और 1825 में यह शहर अंग्रेजों के अधीन हो गया। 1866 में यह शहर एक नगर पालिका के रूप में स्थापित किया गया और रॉश विक्टोरिया इस शहर के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए। बाद में 2008 में इसे एक निगम के रूप में स्थापित किया गया है।
कैसे पहुंचें तूतुकुड़ी
तूतुकुड़ी शहर राज्य एवं देश के बाकी शहरों से अच्छी तरह जुड़ा है तथा यहां तक पहुंचना बहुत आसान है। इस शहर में एक हवाई अड्ड़ा भी है जो चेन्नई से जुड़ा हुआ है। शहर का रेलवे स्टेशन दक्षिण भारत के कई शहरों से जुड़ा हुआ है। तमिलनाडु के अन्य शहरों तथा नगरों से इस शहर के लिए नियमित रूप से बसों की सेवा उपलब्ध है।
तूतुकुड़ी का मौसम
तूतुकुड़ी शहर उष्णकटिबंधीय मौसम को अनुभव करता है और यहां गर्मियां बेहद गर्म होती है। यह गर्मियों में इस शहर की यात्रा को अत्यंत कठिन बनाता है। मानसून में यहां भारी वर्षा होती है जो पर्यटन के क्रियाकलापों में बाधाएं पैदा कर सकती हैं। इसलिए इस शहर की यात्रा करने के लिए वर्ष का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से लेकर मार्च के सर्द महीने हैं, जब तापमान सुखद और मधुर बना रहता है।