श्री अलगिय मन्नार राजगोपाला स्वामी मंदिर कम से कम हजार साल पुराना है और दक्षिण भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के इष्टदेव की पूजा करने के लिए देश के सभी हिस्सों से बड़ी संख्या में श्रदालु आते हैं। आमतौर पर माना जाता है कि इस मंदिर के दर्शन,...
श्री वरदराजा पेरूमल मंदिर को सदियों पहले राजा कृष्णवर्मा ने बनवाया था जो श्री वरदराजा पेरूमल के एक कट्टर अनुयायी थे। पौराणिक कथा के अनुसार, जब राजा कृष्णवर्मा पर पड़ोसी राज्य के राजा ने हमला किया तो इस देवता ने वीरराघवन के रुप में इस राजा की मदद की थी।
...मेला तिरुवेंकटनाथापुरम मंदिर एक छोटे से गांव में स्थित है, जो इसी नाम से जाना जाता एक गांव भी है। यह स्थान तिरुन्नकोविल के रुप में भी जाना जाता है और एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। किंवदंती है कि महर्षि व्यास के छात्र बाबा पिलोर ने भी तामिरभरणी नदी के इसी तट पर...
तिरुनेलवेली का नेल्लईअप्पार मंदिर तमिलनाडु का सबसे बड़ा शिव मंदिर है। इसे 700 ई. में पंड्या द्वारा बनाया गया था और इस मंदिर में भगवान शिव और उनकी पत्नी देवी पार्वती के लिए दो अलग मंदिर बनाए गए हैं। ये मंदिर 17 वीं सदी में बनाए गए संगिली मंड़पम से जुड़े हुए हैं।...
कप्पल माता चर्च सेंट मैरी को समर्पित है। यह समुद्र तट पर स्थित है तथा एक जहाज के रुप में बनाई गई है। समुद्र के कटाव के कारण मूल कप्पल माता चर्च नष्ट हो गई थी। 1974 में इस मूल कप्पल माता चर्च के अवशेषों पर एक नई चर्च बनाई गई है।
इस चर्च की भी अपनी कई...
केज़्हा तिरुवेंकटनाथापुरम, तिरुनेल्वेली से 10 किली दूर स्थित एक छोटा सा गांव है। यहां स्थित इस मंदिर को "सेंगनी" के रूप में भी जाना जाता था, जिसका शाब्दिक अनुवाद लाल भूमि के रुप में होता है। लेकिन यह आज "संगनी" के नाम से जाना जाता है।
यह मंदिर भगवान शिव को...