वास्तु की दृष्टि से राजस्थान स्थित चित्तौड़गढ़ का शुमार भारत के उन डेस्टिनेशनों में है जो अपने महलों, किलों और मौजूद वास्तुकला के कारण भारत के अलावा दुनिया भर के पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। चित्तौड़गढ़ शहर राजस्थान में स्थित है जो लगभग 700 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और अपने शानदार किलों, मंदिरों, दुर्ग और महलों के लिए जाना जाता है।
इस शहर के योद्धाओं की वीरता की कहानियों को भारत के इतिहास में सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। एक लोककथा के अनुसार हिंदू महाकाव्य के एक महत्वपूर्ण चरित्र और पांडवों में से एक, भीम ने एक साधु से अमरत्व का रहस्य जानने के लिए इस स्थान की यात्रा की थी।
PIC : वो हॉट, अमेजिंग, दिलकश और सेक्सी गोवा जो शायद आज से पहले आपने कभी न देखा हो
यदि बात पर्यटन की हो तो शहर का प्रमुख आकर्षण चित्तौड़गढ़ किला है, जो 180 मीटर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। इस किले में कई स्मारक है जिनमें से प्रत्येक के निर्माण के पीछे कुछ कहानी है। यहां आने के बाद आप सांवरियाजी मंदिर, तुलजा भवानी मंदिर, जोगिनिया माता जी मंदिर और मत्री कुंडिया मंदिर, बस्सी वन्य जीवन अभ्यारण्य, सीतामाता अभ्यारण्य, पुरातत्व संग्रहालय और मेनल की यात्रा करना न भूलें। आइये इस लेख के जरिये गहराई से जानें कि अपनी चित्तौड़गढ़ यात्रा पर क्या क्या अवश्य देखना चाहिए आपको।
कैसे जाएं चित्तौड़गढ़
चित्तौड़गढ़ का निकटतम हवाई अड्डा डबोक हवाई अड्डा है जिसे महाराणा प्रताप हवाई अड्डे के नाम से भी जाना जाता है, जो 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह हवाई अड्डा सभी प्रमुख भारतीय शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चित्तौड़गढ़ का रेलवे स्टेशन महत्वपूर्ण शहरों जैसे अजमेर, जयपुर, उदयपुर, कोटा और नई दिल्ली से जुड़ा हुआ है। इस शर तक रास्ते द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है और राज्य परिवहन और निजी बस दोनों प्रकार की सेवा यहाँ उपलब्ध है।
फोटो कर्टसी : Abhimanyu
बस्सी वन्य जीवन अभ्यारण्य
बस्सी वन्य जीवन अभ्यारण्य बस्सी गाँव के पास स्थित है जो 50 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। पश्चिम में विंध्याचल श्रेणियों द्वारा घिरा हुआ यह क्षेत्र प्रकृति प्रेमियों की खुशी के लिए एक सुरम्य दृश्य प्रस्तुत करता है। बहुत से जंगली जानवरों जैसे चीता, जंगली सूअर, नेवले और हिरणों का प्राकृतिक आवास होने के कारण यह स्थान वन्य जीवन के प्रति उत्साही लोगों के लिए आकर्षक गंतव्य स्थान है। यह स्थान अनेक प्रवासी पक्षियों को भी आकर्षित करता है।
फोटो कर्टसी : MyAngelG
चित्तौड़गढ़ किला
चित्तौड़गढ़ किला एक भव्य और शानदार संरचना है जो चित्तौड़गढ़ के शानदार इतिहास को बताता है।यह इस शहर का प्रमुख पर्यटन स्थल है। एक लोककथा के अनुसार इस किले का निर्माण मौर्य ने 7 वीं शताब्दी के दौरान किया था। यह शानदार संरचना 180 मीटर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है और लगभग 700 एकड के कषेत्र में फ़ैली हुई है। यह वास्तुकला प्रवीणता का एक प्रतीक है जो कई विध्वंसों के बाद भी बचा हुआ है।
फोटो कर्टसी : Ssjoshi111
गोमुखकुंड
गोमुखकुंड, प्रसिद्द चितौड़गढ़ किले के पश्चिमी भाग में स्थित एक पवित्र जलाशय है। गोमुख का वास्तविक अर्थ ‘गाय का मुख' होता है। पानी, चट्टानों की दरारों के बीच से बहता है व एक अवधि के पश्चात् जलाशय में गिरता है। यात्रियों को जलाशय की मछलियों को खिलाने की अनुमति है। इस जलाशय के पास स्थित रानी बिंदर सुरंग भी एक विख्यात आकर्षण है।
फोटो कर्टसी : Daniel Villafruela
कीर्ति स्तंभ
कीर्ति स्तंभ, जो ‘प्रसिद्धता का स्तंभ' के नाम से भी जाना जाता है, एक 22 मीटर ऊँचा, सात मंजिला स्तंभ है। यह प्रथम जैन तीर्थंकर, आदिनाथ को समर्पित है। दीवारों पर सुंदर नक्काशी और गलियारों के साथ कीर्ति स्तंभ की वास्तुकला सोलंकी शैली की है। स्तंभ की दीवारों पर आगंतुक जैन तीर्थंकरों के चित्र देख सकते हैं। इसके अलावा दूसरी मंजिल पर नक्काशी की गई भगवान आदिनाथ की भव्य प्रतिमा भी देखी जा सकती है। मंदिर की सातवीं मंजिल शानदार चित्तौड़गढ़ शहर के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करती है।
फोटो कर्टसी : Vinod bhardwaj
मीरा मंदिर
मीरा मंदिर मीराबाई, जो एक राजपूत राजकुमारी थीं से जुड़ा हुआ एक धार्मिक स्थल है। उन्होंने राजसी जीवन की सभी विलासिता को त्याग कर भगवान कृष्ण की भक्ति में अपना जीवन व्यतीत किया। मीराबाई ने अपना सारा जीवन भगवन कृष्ण के भजन और गीत गाने में बिताया। मीरा मंदिर राजपूताना शैली की वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। यह कुम्भाश्याम मंदिर के निकट स्थित है। मंदिर के निर्माण में उत्तर भारतीय शैली का प्रयोग किया गया है। यहाँ खुले गलियारे में चार मंडप हैं जो मंदिर में घेरते हैं। मीरा और भगवान कृष्ण के कई प्रभावशाली और जीवंत चित्र मंदिर के अंदरूनी भाग को सजाते हैं।
फोटो कर्टसी : Ekabhishek
पद्मिनी का महल
पद्मिनी महल सुंदर और बहादुर रानी पद्मिनी का घर था। यह महल चित्तौड़गढ़ किले में स्थित है और रानी पद्मिनी के साहस और शान की कहानी बताता है। महल के पास सुंदर कमल का एक तालाब है। ऐसा विश्वास है कि यही वह स्थान है जहाँ सुलतान अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी के प्रतिबिम्ब की एक झलक देखी थी। रानी के शाश्वत सौंदर्य से सुलतान अभिभूत हो गया और उसकी रानी को पाने की इच्छा के कारण अंततः युद्ध हुआ। इस महल की वास्तुकला अदभुत है और यहाँ का सचित्र वातावरण यहाँ का आकर्षण बढाता है। पास ही भगवान शिव को समर्पित नीलकंठ महादेव मंदिर है।
फोटो कर्टसी : Ssjoshi111
राणा कुम्भ महल
राणा कुम्भ महल एक ऐतिहासिक स्मारक है जहाँ राजपूत राजा महाराणा कुम्भ ने अपना शाही जीवन बिताया। यह शानदार किला 15 वीं शताब्दी में बना और यह भारत की बेहतरीन संरचनाओं में से एक है। यह राजपूत वास्तुकला का प्रतीक है और पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान में कई भूमिगत कोठियां हैं जहाँ रानी पद्मिनी ने अपने प्रान्त की महिलाओं के साथ जौहर (दुश्मन के द्वारा किये जाने वाले अपमान से अपने आप को बचाने के लिए किया जाने वाला मानद आत्मदाह) किया था। इस मंदिर के पास एक प्राचीन मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है।
फोटो कर्टसी : Daniel Villafruela
सीतामाता वन्यजीवन अभ्यारण्य
सीतामाता वन्यजीवन अभ्यारण्य अरावली के पहाड़ों और मालवा के पठार पर फैला हुआ है। यह अभ्यारण्य घने पर्णपाती वनों से से घिरा हुआ है, जो केवल एक अकेला ऐसा वन है जहाँ इतनी बड़ी संख्या में सागौन के वृक्ष हैं। इसके अल्वा यहाँ बाँस, साल, आँवला और बेल के वृक्ष भी है, लगभग आधे से अधिक वृक्ष सागौन के हैं। इस अभ्यारण्य से होकर जाखम और करमोई नदियाँ बहती हैं। जाखम नदी पर एक बाँध बना है जो स्थानीय लोगों की सिंचाई की आवश्यकताओं को पूरा करता है। इस अभ्यारण्य में जानवर जैसे तेंदुआ, हाइना, सियार, जंगली बिल्ली, साही, चित्तीदार हिरण, भालू और चार सींगों वाला मृग देखें जा सकते हैं। उड़ने वाली गिलहरी जो एक रोचक निशाचर प्राणी है, उसे आप यहाँ रात में वृक्षों के बीच उड़ता हुआ देख सकते हैं।
फोटो कर्टसी : Steve Garvie