ऊँचाई पर बसे झीलों के दर्शन करने के लिए वहां तक पहुँचना सही में बहुत ही मेहनत और कड़ी दृढ़ता की बात है पर ऐसी झील और जगह हमारे द्वारा की गई मेहनत के लायक भी हैं। और ऐसी ही मेहनत के काबिल हैं हिमालय की गोद में बसे झीलों के खूबसूरत नज़ारे। ऐसी झीलों में से एक है सतोपंथ झील जो कई रहस्यों और किंवदंतियों से भरा पड़ा है।
उत्तराखंड में स्थित सतोपंथ झील, यहाँ के प्राकृतिक झीलों में से एक है। यह झील न सिर्फ धार्मिक लिहाज़ से बल्कि अपने अद्वितीय प्राकृतिक सौन्दर्य की वजह से भी विश्व के पर्यटन मानचित्र में दर्ज है। अक्सर प्राकृतिक झीलों का आकार गोल या चौकोर होता है लेकिन यह अद्वितीय झील त्रिभुजाकार या तिकोने आकार में है। भारतीय पर्यटकों को तो यह अपनी ओर लुभाती ही है, विदेशी पर्यटकों को भी अपने तेज से अछूती नहीं रखती। पर्यटक यहाँ मिलने वाली अद्भुत शांति और इसकी सुंदरता के कायल हैं। कई विदेशी सैलानियों को तो यह झील इतना पसंद है कि पर्वतारोहण के लिए वे इस झील को उच्च प्राथमिकता देते हैं।
आइये चलिए आज हम ऐसे ही धार्मिक, पौराणिक और पवित्र झील के दर्शन करने चलते हैं, वहां तक पहुँचने वाले कठिन पर खूबसूरत परिदृश्य के नज़ारों के साथ।
सतोपंथ ताल
सतोपंथ झील उत्तरखंड में हिमालय पर्वत पर बसा एक हिमरूप झील है। चौखंबा शिखर की तलहटी पर बसा, यह उत्तराखंड के सुरम्य झीलों में से एक है।
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सतोपंथ झील से जुड़ी कथा
इस पवित्र धार्मिक झील से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से दो कथाएं सबसे ज़्यादा लोगों के बीच प्रसिद्द हैं। झील के नाम सतोपंथ का अर्थ है, 'सतो' मतलब 'सत्य' और 'पंथ' मतलब 'रास्ता', यानि 'सत्य का रास्ता'।
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सतोपंथ झील से जुड़ी कथा
कथाओं के अनुसार महाभारत के पांडव भाई इसी 'स्वर्ग के रास्ते' से होते हुए स्वर्ग की ओर गए थे, इसलिए इस झील का नाम सतोपंथ झील पड़ गया। इसे धरती पर स्वर्ग जाने का रास्ता भी कहा जाता है।
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सतोपंथ झील से जुड़ी कथा
ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने स्वर्गारोहिणी(स्वर्ग की सीढ़ियां) से स्वर्ग जाने से पहले इसी स्थान पर स्नान ध्यान किया था। इसलिए यह स्थान हिन्दू धर्म के लोगों के बीच विशेष महत्व रखता है।
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सतोपंथ झील से जुड़ी कथा
कहा जाता है कि युधिष्ठिर को इसी झील के समीप स्वर्ग तक जाने के लिए 'आकाशीय वाहन' की प्राप्ति हुई थी और इसलिए यह झील सत्यपंथ झील कहा जाने लगा।
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त्रिभुजाकार झील से जुड़ी एक अन्य कथा
स्थानीय लोगों के मुताबिक, त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु महेश एकादशी के दिन इस झील में पधारे थे। तीनों देवताओं ने झील के अलग-अलग कोनों पर खड़े होकर पवित्र डुबकी लगाई, इसलिए कहा जाता है कि यह झील त्रिभुज के आकार में है।
इन्हीं कथाओं की वजह से सतोपंथ झील का हिन्दू धर्म में एक खास और बड़ा महत्व है।
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सतोपंथ झील की ओर ट्रेकिंग
सतोपंथ झील सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, उत्तराखंड का ट्रेकिंग क्षेत्र भी है। सतोपंथ ग्लेशियर में ट्रेकिंग के कई मुश्किल पड़ावों से गुज़ारना पड़ता है क्यूंकि ट्रेकिंग के दौरान आपको हिमालय क्षेत्र के कई ढलान, बीहड़ और ऊँचे-नीचे क्षेत्रों से गुज़रना होता है।
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सतोपंथ झील की ओर ट्रेकिंग
यह ट्रेक माणा गाँव से शुरू होता हुआ वसुंधरा घाटी से गुज़रता है। सतोपंथ ग्लेशियर की पृष्ठभूमि में चौखंबा और स्वर्गारोहिणी पर्वत श्रेणियां यहाँ की अंजान खूबसूरत अनछुई दृश्य का निर्माण करती हैं।
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सतोपंथ में स्वच्छता अभियान
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सतोपंथ में जब तक निर्मलता व स्वच्छता रहेगी तब तक ही उस झील का पुण्य प्रभाव रहेगा। यहाँ के एडवेंचर ट्रेकिंग जोशीमठ के टूर ऑपरेटर का कहना है कि सतोपंथ के धार्मिक महत्व को देखते हुए, यहाँ यात्रियों को रात में विश्राम करने की अनुमति नहीं दी जाती है।
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सतोपंथ झील पहुँचें कैसे?
सतोपंथ झील तक केवल ट्रेकिंग मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है। यहाँ जाने से पहले आपको इनर लाइन परमिट के लिए आवेदन करना होगा क्यूंकि यह भारत-तिब्बत सीमा के नज़दीक ही स्थित है।
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सतोपंथ झील पहुँचें कैसे?
बद्रीनाथ से यह लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सतोपंथ ग्लेशियर से जोशीमठ लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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