भारत के कई मंदिरों और धार्मिक स्थलों में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है, यह तो अपने सुना ही होगा। पर क्या आपने कभी सुना है कि भारत में कुछ ऐसे भी धार्मिक स्थल हैं, जहाँ पुरुषों का भी प्रवेश वर्जित है। जी हां, अपने बिल्कुल सही सुना। भारत में कुछ ऐसे स्थान हैं, जहाँ कुछ खास दिनों पर पुरुषों का प्रवेश बिल्कुल ही वर्जित है और कई पौराणिक कथाएँ भी इस प्रतिबंध का साथ देती हैं।
चलिए चक्कर लगाते हैं ऐसे ही कुछ जगहों की, जहाँ पुरुषों का प्रवेश वर्जित है।
भगवान ब्रह्मा का मंदिर
Image Courtesy: Rashmi.parab
पुष्कर में भगवान ब्रह्मा का मंदिर, राजस्थान
कथानुसार कहा जाता है कि, एक बार भगवान ब्रह्मा को एक बड़े यज्ञ की शुरुआत करनी थी, जो वे बिना अपनी पत्नी सावित्री के आरंभ नहीं कर सकते थे। पर देवी सावित्री अपनी कुछ सखियों, अन्य देवियों को बुलाने गयी थीं, उस बड़े यज्ञ में समिल्लित करने के लिए। इस दौरान यज्ञ का समय निकला जा रहा था। इस वजह से भगवान ब्रह्मा ने जल्दी से गायत्री नाम की स्त्री के साथ विवाह कर लिया और उस भगवान ब्रह्मा को प्रारंभ किया।
उसी दौरान देवी सरस्वती वहां पहुंची और ब्रह्मा के बगल में दूसरी कन्या को बैठा देख क्रोधित हो गईं। उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि देवता होने के बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी, हालांकि बाद में इस श्राप के असर को कम करने के लिए उन्होंने यह वरदान दिया कि एक मात्र पुष्कर में उनकी उपासना संभव होगी। इसी श्राप के बाद यह भारत का ही नहीं पूरी दुनिया का इकलौता ब्रह्मा मंदिर है।
पहाड़ की उँचाई पर स्थापित सावित्री देवी मंदिर
Image Courtesy: Ekabhishek
देवी सावित्री का मंदिर भी ब्रह्मा मंदिर के पास ही पहाड़ की उँचाई पर स्थित है। परंपरा अनुसार किसी भी विवाहित पुरुष को ब्रह्मा मंदिर के अंदर वाले पवित्र स्थान में घुसने की अनुमति नहीं है।
अत्तुक्कल भगवती मंदिर, पोंगल पर्व
सबसे बड़ी संख्या में एक साथ एक ही जगह सारी औरतों का धार्मिक अनुष्ठान करने की वजह से श्री अत्तुक्कल भगवती मंदिर का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। यह धार्मिक अनुष्ठान पोंगल त्योहार में विभिन्न स्थानों से आई कई औरतों द्वारा पूरा किया जाता है। औरतें यहाँ देश के अलग-अलग हिस्सों से आ मंदिर के परिसर में पोंगल( एक मीठा व्यंजन) बनाती हैं। पुरुष इस अनुष्ठान का हिस्सा नहीं होते और ना ही वे उस समय इस मंदिर मे आते हैं। यह मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित है।
अत्तुक्कल भगवती मंदिर में पोंगल का पर्व मनाती औरतें
Image Courtesy: Maheshsudhakar
चेन्गान्नूर भगवती मंदिर
चेन्गान्नूर भगवती मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। उनमें से एक कथा में देवी के मासिक धर्म होने की कहानी भी सम्मिलित है। पौराणिक कथानुसार, भगवान शिव जी देवी पार्वती से विवाह करके चेन्गान्नूर आए। यहीं देवी पार्वती ने यौवन की तरफ कदम बढ़ाया और तब से इस मंदिर में मासिक धर्म की प्रक्रिया को महीने में एक बार निभाया जाता है।
दूसरी कथा के अनुसार एक बार इस मंदिर में पंडित को देवी के कपड़े लाल रंग से रंगे हुए मिले। उसने उस कपड़े को औरतों को जाकर दिखाया जिन्होंने देवी के मासिक धर्म से होने की पुष्टि की। यह परंपरा कई सालों से यहाँ निभाई जा रही है। यह मंदिर महीने के तीन दिनों के लिए बंद रहता है और इन तीन दिनों में यहाँ सिर्फ़ औरतें ही देवी के दर्शन को आ सकती हैं। चौथे दिन औरतें देवी को गुप्त रूप से स्नान करा पवित्र करने ले जाती हैं। उसके बाद ही पुरुष पंडित को उनका अभिषेक करने की अनुमति होती है।
चेन्गान्नूर भगवती मंदिर के पास ही स्थित चेन्गान्नूर महादेव मंदिर
Image Courtesy: RajeshUnuppally
चाक्कुलातुकावु मंदिर
अल्लापुज़ाह के चाक्कुलातुकावु मंदिर में भी हर साल पोंगल का त्योहार मनाया जाता है। यह पर्व इस मंदिर के परिसर में ही मनाया जाता है, जहाँ सिर्फ़ औरतों को ही प्रवेश करने की अनुमति होती है।
हर विश्वास और संस्कृति का अपना मूल होता है और उनके उन्मूलन में भी बहुत ज़्यादा समय लगता है। हालाँकि कहा जाता है कि, किसी भी जाति, लिंग और समाज के भेदभाव के बिना सबको सब जगह जाने की अनुमति है पर ये सारी परंपराएँ भी आदमियों द्वारा ही बनाई गयी हैं और उन्हें सिद्ध करने के लिए कहानियों को भी अच्छी तरह से गढ़ा गया है।
अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।
Click here to follow us on facebook.