उत्तर प्रदेश का छोटा-सा जिला है महोबा जहां पर कई सालों तक चंदेलों ने राज किया था। महोबा का संबंध चंदेल राजपूत राजा से है जिन्होंने दसवीं से सोलहवीं शताब्दी तक बुंदेलखंड क्षेत्र पर शासन किया था। ये छोटा-सा शहर प्रांचीन चंदेल काल में शक्तिशाली राजधानी हुआ करती थी और इस जगह पर अनेक वास्तुशिल्प की इमारते हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित महोबा झांसी से 140 किमी की दूरी पर स्थित है। महोबा की सांस्कृतिक जड़ें खजुराहो से जुड़ी हुई हैं। आपको बता दें कि खजुराहो में चंदेल शासकों द्वारा अनेक शानदार गुफाएं और इमारते बनाई गई थीं।
चंदेलों को बहादुर योद्धा और महान शासक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने महोबा में कई दिलचस्प इमारतें, भवन और धार्मिक स्थल बनवाए थे। पहले इस जगह को पटनपुर, केकईपुर और रतनपुर जैसे कई नामों से जाना जाता था। महोबा शब्द महोत्सव नगर से आया है जिसका मतलब उत्सवों का शहर है। ऐसी समृद्ध और शानदार इतिहास से युक्त महोबा पर्यटकों के दिल में एक खास जगह रखता है। संस्कृति और वास्तुशैली से समृद्ध महोबा में अनेक दर्शनीय स्थल मौजूद हैं।
कैसे पहुंचे महोबा
वायु मार्ग: महोबा के लिए निकटतम हवाई अड्डा खजुराहो में स्थित है, जो यहां से लगभग 54 किमी की दूरी पर है। हवाई अड्डे से नियमित कैब सेवाएं उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग: महोबा का रेलवे स्टेशन महोबा जंक्शन देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां देश के सभी प्रमुख हिस्सों से नियमित ट्रेनें आती हैं।
सड़क द्वारा: भारत के अन्य प्रमुख शहरों से महोबा के लिए नियमित बसें चलती हैं। शहर के केंद्र में स्थित इसके बस टर्मिनस से नियमित बसें चलती हैं।
महोबा आने का सही समय
महोबा आने का सबसे सही समय सर्दी का होता है। नवंबर से फरवरी तक महोबा का मौसम सुहावना रहता है और इस दौरान यहां का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।
ककरामठ मंदिर
महोबा का ककरामठ मंदिर सांस्कृतिक केंद्र है और इसका इतिहास भी काफी समृद्ध है। इस पूरे मंदिर को ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है और आज भी इसका सौंदर्य नया जैसा लगता है। वर्तमान समय में भी इस मंदिर में अनेक श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर की वास्तुशैली खजुराहो के मंदिर से काफी मिलती है। ककरामठ मंदिर में हिंदू देवता भगवान शिव की पूजा होती है और इस मंदिर का वातावरण पूरी तरह से अध्यात्म में डूबा हुआ है। पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच ये मंदिर बहुत मशहूर है। इस मंदिर में अन्य देवरी-देवताओं की भी अनेक मूर्तियां स्थापित हैं। इस मंदिर में रोज़ाना दुनियाभर से हज़ारों पर्यटक और श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। ये महोबा का सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन चुका है।
विजय सागर पक्षी विहार
हरियाली से सजे विजय सागर पक्षी विहार को इस शहर का सबसे खूबसूरत हिस्सा कहा जाता है। ये प्रमुख शहर से 5 किमी दूर स्थित है। विजय सागर पक्षी विहार में आपको पक्षियों की कई प्रजातियां देखने को मिलेंगी इसलिए पक्षी प्रेमियों के लिए ये जगह बहुत खास मानी जाती है। ये सुंदर पक्षी अभ्यारण्य कई प्रवासी पक्षियों का भी निवास स्थान है। यहां पर आपको कई किस्मों और प्रजातियों के पक्षी देखने को मिल जाएंगे। इस अभ्यारण्य को मानव निर्मित विजय सागर झील के पास बनाया गया है। इसे 1035 से 1060 ईस्वी के बीच विजय पाल चंदेला ने बनवाया था। इतिहास और प्रकृति का अनूठा संगम देखने के लिए आपको इस जगह पर जाना चाहिए।
सूर्य मंदिर
कई सालों पहले चंदेला शासक ने सूर्य मंदिर बनवाया था। ये ऊंचा और शानदार मंदिर रहिला सागर के पश्चिम में स्थित है। 890 से 910 ईस्वी के बीच रहिला में चंदेल राजाओं का शासन हुआ करता था, उसी समय इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था। 9वीं शताब्दी के इस मंदिर को ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया था और ये प्रतिहारा वास्तुशैली का अद्भुत उदाहरण है। इस ऐतिहासिक स्थल में अब तक कई बदलाव किए जा चुके हैं। पिछले कुछ सालों में इस मंदिर पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है जिसकी वजह से इसका सौंदर्य धूमिल सा होता नज़र आ रहा है। अगर आप भी प्रतिहारा वास्तुशैली के अद्भुत नमून को देखना चाहते हैं तो महोबा चले आइए।
राजा का तल
राजा का तल महोबा का प्रमुख पर्यटन स्थन है। स्थानीय लोग इसे बड़ा तल कहते हैं और ये जगह एक विशाल मानव निर्मित झील है जिसे राजा सेनापति द्वारा बनवाया गया था जोकि महाराजा छत्रसाल के पोते थे। इस स्थान को 1707 ईस्वी में बनवाया गया था। 18वीं सदी में बना ये जलाशय 2 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस झील को क्षेत्रीय लोगों की पीने की पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए बनवाया गया था। झील का शांत वातावरण इसे पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बनाता है। शाम के समय परिवार के साथ घूमने के लिए ये जगह बहुत बढिया है।