आपको याद है, बचपन की वो डुगडुगी या डमरू की आवाज़? जी, वही डुगडुगी की आवाज़, भालू के नाच दिखाने वाली डुगडुगी की आवाज़। जिसे सुनते ही आप भाग पड़ते थे उसी आवाज़ की तरफ और भालू का नाच देख कूदने फाँदने लगते थे उसी की तरह। वैसे जानवरों के संरक्षण के नज़रिए से यह गैर क़ानूनी है, क्युंकि कई लोग इसके ज़रिए इन जानवरों का शोषण करते हैं। उनका शिकार कर उन्हें आहत पहुँचाते हैं।
इसकी वजह से अब भालुओं की प्रजातियाँ घोर संकट में पड़ चुकी है। अब तो शायद ही कोई भालू आपने देखे होंगे। चिड़ियाघर में भी मुश्किल से एक या दो ही भालू आप देख पाएँगे। इस संकट को ही मद्देनज़र रखते हुए भारत में कुछ ऐसे अभ्यारण्यों की स्थापना की गई है, जहाँ भालू की विभिन्न प्रजातियों को संरक्षित कर उनके अस्तित्व को बचाया जा रहा है।
Image Courtesy: Überraschungsbilder
चलिए चलते हैं कई सालों बाद फिर से भालुओं के सामने से दर्शन करने को, इन अभ्यारण्यों में।
आगरा बेयर रेस्क्यू फैसिलिटी
आगरा बेयर रेस्क्यू फैसिलिटी, सन् 1999 में वाइल्डलाइफ SOS द्वारा उत्तर प्रदेश फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के सहयोग से स्थापित किया गया था।अपने नाम के अनुसार सबसे पहले, साल 2002 के क्रिस्मस में 25 भालुओं के एक समूह को बचाया गया था। और तब से आज तक यह लगभग 300 भालुओं का वासस्थल है। यह देश का ही नहीं पूरी दुनिया का सबसे पहला और बड़ा, भालुओं का पुनर्वास केंद्र है।
आगरा बेयर रेस्क्यू फैसिलिटी
Image Courtesy: International Animal Rescue/Wildlife SOS
इस केंद्र का गठन ही हुआ था ग़ैरक़ानूनी तरीके से शिकार हुए भालुओं को बचाने के लिए। यह केंद्र स्कूली बच्चों के लिए एक एजुकेशन यात्रा का भी प्रबंध करती है, ताकि बच्चे वन्यजीवों के बारे में उनकी समस्या और उनकी सुरक्षा कैसे की जाए, जैसी सारी जानकारियाँ पा सकें। यह भालुओं के संरक्षण की सबसे पहली और शानदार पहल है।
जेस्सोर स्लॉथ बेयर अभ्यारण्य
जेस्सोर स्लॉथ बेयर अभ्यारण्य गुजरात राज्य के बानसकंठा जिले में स्थित है। थार मरुस्थल के उत्तर में अरावली पर्वत के जेस्सोर पहाड़ों में बसा यह अभ्यारण्य घने पेड़ पौधों से भरा पड़ा है। आपको भालू यहाँ पेड़ पर लटके मिलेंगे। चारों तरफ पर्वत से घिरा हुआ दृश्य और वनस्पतियों से भरा पूरा जंगल इन भालुओं के संरक्षण को बढ़ाता है।
दारोजी स्लॉथ बेयर अभ्यारण्य
Image Courtesy: L. Shyamal
दारोजी स्लॉथ बेयर अभ्यारण्य
कर्नाटक के बल्लारी जिले में बसे दारोजी स्लॉथ बेयर अभ्यारण्य की स्थापना, आगरा बेयर रेस्क्यू फैसिलिटी के सहयोग से हुई थी। यह अभ्यारण्य बल्लारी से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर और वैश्विक धरोहर हम्पी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस अभ्यारण्य में बड़े बड़े चट्टानों के बीच बने गुफ़ाओं में भालुओं का वास होता है। भालूओं के अलावा आप यहाँ बाघ, मोंगूस, तेंदुए, हिरण आदि जैसे कई अन्य जीवों को भी देख सकते हैं।
नोट: हम इंसानों की तरह जानवरों की भी अपनी निजी ज़िंदगी होती है। आप इन जगहों पर जा ध्यान रखें की आपकी वजह से इन जानवरों को कोई परेशानी या संकट ना हो। उन्हें खाने के लिए भी कुछ ना दें। उन्हें वहाँ उनके अनुसार पर्याप्त खाने की सुविधा उपलब्ध है।
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