चलो बुलावा आया है... माता ने बुलाया है...जय माता दी...
हर नवरात्र मां को ही क्यों घर लाना... कभी आप भी मां के घर जाओ।
क्या? आपको नहीं मालुम कहां है मां का घर?
अरे तो पहले बताना था। चलो फिर इस लेख में आपको मां के घर का पता बताते हैं वो भी एक नहीं तीन-तीन... जाना ज़रूर। और सबसे अच्छी बात है कि ये सारे मंदिर एक ही राज्य, उड़ीसा में है।
[ओडिशा के वो 11 मंदिर जिनकी सुन्दरता और वास्तु किसी भी ट्रैवलर को कर दें मंत्र मुग्ध]
उड़ीसा को मुख्यतः भगवान जगन्नाथ की भूमि माना जाता है। जगन्नाथ की इसी भूमि पर देवियों की सबसे ज़्यादा मान्यता है, खासकर कि जगन्नाथ भगवान की मौसी गुंडिचा मंदिर की। गुंडिचा मंदिर के साथ ही देवियों के अन्य दो मंदिर भी हैं जिनकी नवरात्रे में छटा देखने लायक होती है।
आइए चलते हैं देवियों की इन्ही दैव्य महिमा के दर्शन करने उड़ीसा राज्य में।
तारा तारिणी मंदिर
पूरे देश में देवी के छोटे-बड़े 51 पीठ हैं जिसमें से चार पीठ को आदिशक्ति पीठ माना गया है। ये चारों पीठ देश के पूर्व में स्थित है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर, गुवाहाटी के कामख्या मंदिर और कोलकाता के काली मंदिर के बारे में तो सबकोई जानता है, लेकिन क्या आपको मालुम है कि चौथा आदिशक्ति पीठ कहां है? आदिशक्ति की ये चौथी पीठ उड़िसा के तारा तारिणी मंदिर में स्थित है।
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तारा तारिणी मंदिर
यह देवी मंदिर इसलिए अनोखा व बहुत ख़ास है क्योंकि यह मंदिर दो जुड़वां देवियों तारा और तारिणी को समर्पित है। इस मन्दिर की विशेषता यह है कि यह मंदिर देवी सती के 4 शक्ति पीठों के मध्य में स्थापित है, अर्थात इस मंदिर के चारों दिशाओं में एक-एक शक्ति पीठ है।
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तारा तारिणी मंदिर पहुंचें कैसे?
तारा तारिणी मंदिर ऋषिकुल्या नदी(जिसे वेदों में गंगा नदी की बड़ी बहन की उपाधि प्राप्त है) के किनारे ही स्थापित है। ऋषिकुल्या नदी के किनारे ही बेस होने के कारण इस मंदिर की धार्मिक व सांस्कृतिक महत्ता और बढ़ गई है। मंदिर पहुँचने के लिए सबसे नज़दीकी हवाई अड्डे हैं, भुवनेश्वर जो 174 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और दूसरा विशाखापत्तनम जो यहाँ से लगभग 240 किलोमीटर की दूरी पर है।
तारा तारिणी मंदिर पहुंचें कैसे?
मंदिर का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है, ब्रह्मपुरा रेलवे स्टेशन जहाँ से कोई भी बस या टैक्सी सर्विस द्वारा इस मंदिर तक पहुंच जाता है। उड़िसा के अन्य प्रमुख शहरों,ब्रह्मपुरा, भुवनेश्वर और पुरी से बस और टैक्सी की रोज़ाना सेवाएं उपलब्ध हैं।
चौसठ योगिनी मंदिर
ये मंदिर भुवनेश्वर से 15 किमी दूर हीरापुर नाम के छोटे से गांव में स्थित है। इस गांव में 64 योगिनियों का देवी का मंदिर है। ये देवी माँ की 64 योगिनी सेविकाओं का गृहनिवास है जहां ये सेविकाएं मां की पूजा करती थीं। ब्रह्मांड पुराण के अनुसार 1 करोड़ योगिनिओ में एक प्रधान योगिनी है। जब कभी यहाँ चंडी हवन या यज्ञ आयोजित किया जाता है तब योगिनी पूजा अवश्य होती है।
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चौसठ योगिनी मंदिर
ये मंदिर हरे भरे खेतों के बीच स्थित है और देवी महामाया (चंडी देवी) और 64 योगिनियों को समर्पित है। इस कारण स्थानीय निवासी इसे महामाया मंदिर भी कहते हैं। वेदों के अनुसार शक्ति पूजा तथा नवीनतम मूर्ति पूजा सम्बंधित विचार रखने वाले लोगों का यह मंदिर भ्रमण करना अनिवार्य है।
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चौसठ योगिनी मंदिर पहुँचें कैसे?
चौसठ योगिनी मंदिर भुवनेश्वर से लगभग 20 किलोमीटर ही दूर हीरापुर गाँव में स्थित है। यहाँ से सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है भुवनेश्वर का बीजू पटनायक हवाई अड्डा, जो यहाँ से केवल 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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चौसठ योगिनी मंदिर पहुँचें कैसे?
भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जो यहाँ से सिर्फ 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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गुंडिचा मंदिर
ये भगवान जगन्नाथ की मौसी गुंडिचा का मंदिर है। गुंडिचा मंदिर को जगन्नाथ स्वामी का "जन्मस्थान" भी कहा जाता है, क्योंकी यहाँ "महावेदी" नामक एक विशेष मंच पर दिव्य शिल्पकार विश्वकर्मा ने राजा इन्द्रध्युम्न की इच्छानुसार जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा के विग्रहों को दारु ब्रम्ह से प्रकट किया।
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गुंडिचा मंदिर
यह मंदिर राजा इन्द्रध्युम्न की पत्नी, गुंडिचा महारानी के नाम पर है। इस क्षेत्र में राजा इन्द्रध्युम्न ने एक हजार अश्वमेध यज्ञ किया था। इसे गार्डन हाउस भी कहा जाता है, क्यूंकि यह मंदिर एक बाग के अंदर बना है, जो चारों ओर से ऊँची-ऊँची चारदीवारों से घिरा हुआ है।
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गुंडिचा मंदिर कैसे पहुँचें?
गुंडिचा मंदिर उड़िसा में मंदिरों के नगर, पुरी में स्थापित है। यह पुरी के श्रीमंदिर, जगन्नाथ के मुख्य मंदिर से सिर्फ़ 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है, भुवनेश्वर का बिरजु पटनायक हवाई अड्डा। पुरी रेलवे स्टेशन, यहाँ तक पहुँचने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है।
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