क्या आप वही पुराने किलों के बारे में पढ़ पढ़कर बोर हो चुके हैं? तो परेशान ना हो, क्योंकि हम आपको आज इस लेख से बताने जा रहे हैं, भारत के कुछ ऐसे किलों के बारे में जिनके बारे में शायद आपको पता ना हो। जी हां आज हम आपको अपने इस लेख से रूबरू कराने जा रहे हैं, भारत के अज्ञात किलों के बारे में, जो देश के इतिहास में तो दर्ज हैं, लेकिन कहीं गुम हो गये हैं। तो आइये जानते हैं, भारत के इन्ही कम अज्ञात किलों के बारे में
बेसिन फोर्ट(वसई किला)
ठाणे का बेसिन फोर्ट अब वसई फोर्ट के नाम से जाना जाता है। पांच सदियों पुराने इस किले को 1532 में गुजरात के तत्कालीन सुल्तान बहादुर शाह ने बनवाया था। बाद में इस किले को मराठों ने संभाल लिया था। इस किले के शिलालेख, दरवाजे और फाटक आपका ध्यान आर्कषित करने में सफल होगें।इस किले के अंदर एक छोटा सा दुर्ग भी है जो सुव्यवस्थित ढ़ंग से पानी के टैंकों और शस्त्रागार आदि से सुसज्जित है।
वसई के किले का ऐतिहासिक महत्व है। इस किले पर पहले गुजरात के सुल्तान का राज था। बाद में पुर्तगालियों, मराठाओं और अंग्रेजों ने इस किले से अपनी हुकूमत चलाई। इस किले का विशेष महत्व यह है कि यहां से पूरे पश्चिमी समुद्र तट पर नजर रखी जा सकती थी। इसका उपयोग बंदरगाह के रूप में भी होता था। आजादी के बाद भारतीय पुरात्तव विभाग ने इस किले को अपने अधिकार में ले लिया और इसे राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिया। आज पुराने हो चुके इस किले के अंदर की अधिकांश संरचनाएं खंडहर हो चुकी हैं और जीर्णोद्धार की बाट जोह रही हैं। आज वसई किला बॉलीवुड के बीच खासा लोकप्रिय है, यहां आये दिन फिल्मों की शूटिंग होती रहती है।Pc:Gladson777
कैसे पहुंचे वसई किला?
वसई गांव मुंबई से 70 किमी दूर है और यह रेलवे के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है। पर्यटक वसई ट्रेन और बस दोनों से पहुंच सकते हैं । यात्री किले तक पहुंचने के लिए वसई रेलवे स्टेशन से ऑटो रिक्शा ले सकते हैं।Pc:Gladson777
चन्द्रगिरी किला, आंध्रप्रदेश
हम सभी को हम्पी और विजयनगर वास्तुकला के अन्य स्मारकों के बारे में जानते हैं, लेकिन शायद ही कभी चन्द्रगिरी किले के बारे में सुना हो।
शुरुआती दौर में चन्द्रगिरी विजनगर की राजधानी थी,यह किला पूरी तरह से विजयनगर की सुन्दर वास्तुकला में बनाया हुआ है। इस किले के बड़े बड़े और उचे उचे स्तम्भ हिन्दू वास्तुकला की याद दिलाते है। इस किले को बनाने में पत्थर,चूने का इस्तेमाल किया गया लेकिन इसे बनाते वक्त किसी भी लकड़ी को इस्तेमाल में नहीं लाया गया।
तिरुपति में बनाये हुए इस 11 वी शताब्दी के चंद्रगिरी किले को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है। यह किला यहाँ का आकर्षण का सबसे मुख्य स्थान है।
पुरातात्विक संग्रहालय का हिस्सा बन चुका यह किला पूरी तरह से घने जंगल के बीचों बीच स्थित है, जहां पर्यटक ट्रेकिंग का मजा भी ले सकते हैं।Pc:Kishorekj
कैसे जायें चन्द्रगिरी किला?
चन्द्रगिरी किला आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति से करीब 20 किमी दूरी पर स्थित है। चन्द्रगिरी किले तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका तिरुपति से है, क्यों कि पर्यटक यहां से किसी भी सरकारी बस से इस किले तक पहुंच
सकते हैं।Pc:Raghu Navarasala
मंज़राबाद किला
मंज़राबाद किले के एक हवाई दृश्य से पता चलता है कि यह एक सितारे के आकार में बनाया गया किला है। मंज़राबाद किला मैसूर के तत्कालीन शासक टिपू सुल्तान द्वारा बनाया गया था। दिलचस्प बात यह है कि यह संरचना फ्रेंच के आर्किटेक्ट सेबस्टियन ले प्रेस्ट्र डे वाऊबान द्वारा निर्मित रक्षा किलों से प्रेरित थी। कन्नड़ भाषा में 'मंजू' का अर्थ है कोहरे इसमें कोई संदेह नहीं है कि, मंज़राबाद किला भारत में कम ज्ञात किलों में से एक है जिसे रक्षा उद्देश्यों के लिए बनाया गया था।
कैसे जायें मंजरबाद किला?
मंजराबाद किले सक्लेशपुर के मुख्य शहर से सिर्फ 6 किमी दूर है। इस किले तक पहुंचने के लिए सक्लेशपुर से निजी वाहनों या स्थानीय वाहन से पहुंच सकते हैं।Pc:Raghuvara
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