पूर्वोत्तर भारत प्राकृतिक सुंदरता, हिमालय की पर्वत श्रृंख्लाओं और मणिपुर की सुंदर झीलों के लिए मशहूर है। देश के इस हिस्से में प्रकृति की गोद में छुट्टियां मनाने का अनुभव कुछ अलग ही होता है। अगर आप प्राकृतिक छटाओं को करीब से देखना चाहते हैं तो आपके लिए पूर्वोत्तर भारत सबसे सही जगह है।
शिलॉंग में अद्भुत झीलों के नज़ारे!
प्रकृति का सबसे खूबसूरत और शांतिमय उपहार हैं झीलें जो हमें प्रकृति की वासत्विकता के करीब लेकर जाती हैं। पूर्वोत्तर भारत की कुछ झीलें पौराणिक कहानियों और महत्व के कारण अस्तित्व में आईं हैं। आज हम आपको प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर पूर्वोत्तर भारत की 5 झीलों के बारे में बताने जा रहे हैं।
गुरुडोंग्मर झील, सिक्किम
17,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित सिक्किम की गुरुडोंगमर झील दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित झीलों में से एक है। कहा जाता है कि आठवीं सदी में तिब्बत बौद्ध गुरु पद्मासंभवना भी इस झील पर आए थे। इस कारण इस झील का नाम उनके नाम पर ही रखा गया है।
पूर्वोत्तर भारत के सिक्किम के उत्तर में स्थित होने के कारण सर्दी के मौसम में इस झील का पानी पूरी तरह से जम जाता है। चमकती हुई इस झील का नज़ारा बेहद खूबसूरत और मनोरम रहता है।
गंगटोक से इस झील की दूरी 174 किमी है। यहां पर आप युमठांग घाटी, लाचेन और लाचुंग के अलावा उत्तरी सिक्किम के अनेक दर्शनीय स्थल देख सकते हैं।PC: soumyajit pramanick
उमियाम झील, मेघालय
मेघालय के शिलॉन्ग में स्थित उमियाम झील को बारा पानी भी कहा जाता है। इस झील का प्राकृतिक सौंदर्य अनूठा है। इस झील को पहले एक बांध के लिए जलाशय के रूप में बनाया गया था और वर्तमान में यह पूर्वोत्तर भारत के प्रथम हाइडल पॉवर प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
हरे-भरे वातावरण से घिरी से झील तस्वीरें खींचने और फोटोग्राफी के शौकीन लोगों के लिए बढिया है। यहां पर आप नौका विहार भी कर सकते हैं। इस झील को देखने हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक और आगंतुक आते हैं।
उमियाम झील के आसपास आप नोहकलिकई झरना और चेरापूंजी का लिविंग रूट ब्रिज भी देख सकते हैं।
PC: Nori Syamsunder Rao
शिलोई झील, नागालैंड
नागालैंड की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है शिलोई जोकि मानव के पैर के आकार के रूप में बनी हुई है। इस झील में मछली पकड़ना, सिंचाई करने जैसा कोई काम नहीं किया जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस झील की गहराई में एक पवित्र बच्चे की आत्मा वास करती है इसलिए इस झील के पानी का प्रयोग मनुष्यों द्वारा नहीं किया जाता है। झील का पानी बहुत साफ और चमकता हुआ है।
अगर आप प्रवासी पक्षिएयों जैसे साइबेरियन क्रेन देखना चाहते हैं तो मार्च से जून के महीने के बीच में यहां आएं। यह झील राजधानी कोहिमा से लगभग 285 किमी की दूरी पर स्थित है। वीकएंड पर घूमने के लिए ये बैस्ट जगह है।
PC: Murari521
लेाकटक झील, मणिपुर
पूर्वोत्तर भारत की मीठे पानी की सबसे बड़ी झील है लोकटक झील जोकि मणिपुर की राजधानी इंफाल शहर से 53 किमी की दूरी पर स्थित है। इस झील की अनोखी विशेषता है कि यहां पर अस्थायी दलदल भी है जिसे स्थानीय लोग फुमदी कहते हैं। झील के दलदलीय क्षेत्र में केइबुल लामजाओ नेशनल पार्क भी स्थित है। यह नेशनक पार्क दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ नेशनल पार्क है।
यहां पर आप को लुप्तप्राय संगाई की प्रजाति देखने को मिल जाएगी। यह नागालैंड का राज्य पशु है। यहां पर आपको और भी कई दुर्लभ प्रजाति के जानवर देखने को मिल जाएंगें। ये नेशनल पार्क हज़ारों जलीय पौधों, 425 जानवरों की प्रजातियों और लगभग 200 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षियों का ठिकाना है।PC:Sudiptorana
सांगेत्सर झील, अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सांगेत्सर झील का प्राकृतिक सौंदर्य आपको मंत्रमुग्ध कर सकता है। ये तवांग से 30 किमी की दूरी पर स्थित है। बॉलीवुड फिल्म कोयला की शूटिंग इस झील के पास हुई थी। इसके बाद से ही पर्यटकों के बीच इस झील की लोकप्रियता की शुरुआत हुई।
सांगेत्सर झील काफी खास है क्योंकि ये झीन बेहद ठंडे मौसम में पूरी तरह से जमती भी नहीं है और गर्मी के मौसम में पूरी तरह से इसका पानी सूखता भी नहीं है। तिब्बत के बौद्ध अनुयायियों और भारत में इस झील को काफी पवित्र माना जाता है।PC:Arup1981