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भारतीय इतिहास को करीब से देखना है तो इन अजायबघरों की करें सैर

भारत के चुनिंदा सबसे खास संग्रहालय । India's most famous Museums.

किसी भी देश के प्राचीन इतिहास या किसी स्थान को समझने के लिए संग्रहालय या अजायबघर काफी बड़ी भूमिका निभाते हैं। यह महत्वपूर्ण केंद्र अलग-अलग उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाए जाते हैं। कुछ संग्रहालय आपको सिर्फ इतिहास की जानकारी देंगे बल्कि बहुत से अजायबघर किसी खास स्थान के विषय में अत्यधिक जानकारी के उद्देश्य को पूरा करते हैं। आपने कई बड़े राष्ट्रीय उद्यानों में ऐसे म्यूजियम देखे होंगे जो जीव और वनस्पतियों से संबंधित जरूरी बातों के विषय में बताते हैं।

जबकि कुछ संग्रहालय किसी स्थान के इतिहास पर ज्यादा केंद्रित होते हैं। भारत में ऐसे कई छोटे-बड़े नए-पुराने अजायबघर मौजूद हैं। इसी क्रम में आज हमारे साथ जानिए भारत के कुछ सबसे खास म्यूजियम के बारे में जो कई सालों पहले बनवाए गए थे, और आज ये मुख्य पर्यटन केंद्र के रूप में जाने जाते हैं।

 पुरातत्व संग्रहालय, दिल्ली

पुरातत्व संग्रहालय, दिल्ली

PC-Nishant88dp

दिल्ली लाल किले के पास स्थित पुरातत्व संग्रहालय भारत के सबसे पुराने संग्रहालयों में गिना जाता है। यह देश के उन संग्रहालयों में है जहां आपको 1000ईसवी से लेकर मौर्य और मुगल कालीन प्राचीन वस्तुएं दिख जाएंगी। यहां प्राचीन चित्रों, वस्त्र-आभूषण, हथियारों, शिल्प आदि वस्तुओं को संग्रहित किया गया है। इस संग्रहालय का एक खंड ऐसा भी है जहां प्रथम विश्व युद्ध के दृश्यों को दर्शाया गया है।

1955 में पुराने किले में खुदाई की गई थी, जिसके बाद फिर से 1969-73 के दौरान भी खुदाई की गई थी। पुरातत्व संग्रहालय सोमवार को छोड़ बाकी हर दिन आपको खुला मिलेगा। आप दिन से 10 बजे से लेकर शाम के 5 बजे तक यहां प्रवेश कर सकते हैं।

मार्बल पैलेस, कोलकाता

मार्बल पैलेस, कोलकाता

PC- Jungpionier

मार्बल पैलेस कोलकाता के सबसे खास संग्रहालयों में गिना जाता है। वास्तव में यह एक संगमरमर का बना एक किला है जिसका निर्माण 1800 के राजा राजेंद्र मलिक द्वारा करवाया गया था। यह भारत की उन खास ऐतिहासिक संरचनाओं में गिना जाता है जिसकी भव्यता आज भी देखते ही बनती है। ये उस व्यापरी द्वारा बनाया था जिसे कला से बहुत ज्यादा प्रेम था।

इस संग्रहालय में पश्चिमी मूर्तिकला, विक्टोरियन फर्नीचर, भारत और यूरोप के कलाकारों द्वारा बनाए गए चित्रों में शामिल किया गया है।

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 गांधी भवन, बैंगलोर

गांधी भवन, बैंगलोर

कर्नाटक के बैंगलोर में स्थित गांधी भवन संग्रहाल की स्थापना 1965 में राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की देखरेख में कुमरा क्रापा रोड पर की गई थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सम्मान में बने इस संग्रहालय का उद्देश्य गांधीवादी विचारों को जन-जन तक पहुंचाना है।

इस संग्रहालय में आप राष्ट्रपिता गांधी से जुडी सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यहां चित्र गैलरी के द्वारा गांधी जी के जीवन चक्र को प्रदर्शित किया गया है। जहां आप उनके जन्म से लेकर मृत्यु तक को इन चित्रों में देख सकते हैं।

इसके अलावा यहां महात्मा गांधी मेमोरियल लाइब्रेरी, वल्लभ निकेतन, प्रकाशन अनुभाग और ऑडियो विजुअल शिक्षा के लिए भी एक इकाई बनाई गई है। रविवार को छोड़ आप यहां 10:30 से 5 बजे के बीच किसी भी दिन आ सकते हैं।

सरकारी संग्रहालय, चेन्नई

सरकारी संग्रहालय, चेन्नई

PC-L.vivian.richard

चेन्नई के एग्मोर में स्थित यह एक बहुउद्देशीय राज्य सरकार के स्वामित्व वाला संग्रहालय है। संग्रहालय परिसर में छह स्वतंत्र इमारतें हैं जिनमें 46 गैलरियां बनी हुई है। संग्रहालय में प्राचीन वस्तुओं का काफी अच्छे से संभालकर रखा गया है, जहां आप प्राचीन दक्षिण भारतीय काल की बौद्ध मूर्तियों से लेकर 16 वीं शताब्दी के विजयनगर की महत्वपूर्ण वस्तुओं को देख सकते हैं। इसके अलावा आप यहां उन विशेष कमरों को भी देख सकते हैं जो हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म को समर्पित हैं। साथ ही यहां आपको नेशनल आर्ट गैलरी, कन्टेम्परेरी आर्ट गैलरी और बच्चों के लिए भी एक संग्रहालय मौजूद है।

आप यहां शनिवार से लेकर गुरूवार साढ़े 9 बजे से लेकर शाम के 5 बजे के बीच आ सकते हैं। इस सरकारी संग्रहालय में पुरातत्व, प्राणीशास्त्र, वनस्पति विज्ञान, भूविज्ञान, मानव विज्ञान और न्यूमिज़्मेटिक्स से संबंधित विभिन्न विभाग भी बनाए गए हैं।

महाराजा रणजीत सिंह संग्रहालय, अमृतसर

महाराजा रणजीत सिंह संग्रहालय, अमृतसर

PC- Gurbar Akaal

भारत के स्वर्ण नगरी अमृतसर में स्थित महाराजा रणजीत सिंह संग्रहालय में में 18 वीं शताब्दी के चित्र, हथियार, पांडुलिपि और सिक्कों को काफी सुरक्षित तरीके से रखा गया है। शहर में तीन और आर्ट गैलरी मौजूद हैं जिनमें से एक स्वर्ण मंदिर से संबंधित है दूसरी जलियांवाला बाग और तीसरी शहर के प्रसिद्ध कलाकार ठाकर सिंह के नाम पर बनी है।

मूल्यवान पुरातन वस्तुओं और कला से संबंधित वस्तुओं को देखने के लिए यहां सैलानियों का आना जाना लगा रहता है। औपचारिक रूप से यह संग्रहालय 27 वें नवंबर, 1977 भारत के तत्कालीन केंद्रीय मंत्री श्री जगजीवन राम द्वारा स्थापित किया गया था।

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