Search
  • Follow NativePlanet
Share
» »अप्रैल-मई में बनाएं चमोली के इन खूबसूरत गंतव्यों का प्लान

अप्रैल-मई में बनाएं चमोली के इन खूबसूरत गंतव्यों का प्लान

खूबसूरत पर्यटनों स्थलों का घर उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल का चमोली जिला। Chamoli district of Garhwal division of Uttarakhand, home of beautiful tourist sites.

दूर-दूर तक नम्र घास की चादर, पहाड़ी घाटियों से होकर गुजरती शीतल पवने और साथ में बहती नदियों का संगीतमय आगाज....अगर आपको प्रकृति का यह अनुपम नजारा देखना है तो इन गर्मियों उत्तराखंड के चमोली जिले की यात्रा का प्लान जरूर बनाएं। चमोली गढ़वाल मंडल का एक खूबसूरत पहाड़ी जिला है जो अपने अंदर कई प्राकृतिक भंडारों को लिए बैठा है।

असंख्य पर्यटन गंतव्यों से सजा ये पर्वतीय जिला उत्तराखंड की शान माना जाता है। राज्य के कई प्रमुख धार्मिक स्थान इसी जिले के अंतर्गत आते हैं। फूलों की घाटी से लेकर बद्रीनाथ जैसे तीर्थ स्थान चमोली के मुख्य आकर्षणों में गिने जाते हैं। आइए जानते हैं पर्यटन के लिहाज से उत्तराखंड का यह खूबसूरत जिला आपके लिए कितना खास है।

वसुंधरा जल प्रपात

वसुंधरा जल प्रपात

PC- Gouravmsh

गढ़वाल के चमोली जिले में कई छोटे-बड़े जल जल प्रपात मौजूद हैं लेकिन चुनिंदा सबसे खास जल प्रपातों में वसुंधरा फॉल का नाम आता है। यहां तक पहुंचने के लिए बद्रीनाथ का सफर करना होगा। यह खूबसूरत जल प्रपात अलकनंदा नदी पर बना है।
बद्रीनाथ से यहां तक की दूरी मात्र 9 किमी की है। इसके लिए आपको सबसे पहले सड़क रास्तों के द्वारा (3 किमी) माणा गांव तक का सफर तय करना होगा। जिसके बाद अंतिम 6 किमी आपको ट्रेकिंग के जरिए पूरे करने होंगे। इस जल प्रपात की ऊंचाई लगभग 400 फीट की है। चमोली के भ्रमण के दौरान वसुंधरा फॉल एक आद्रश विकल्प है।

औली

औली

PC- Amit Shaw

चमोली स्थित औली हिल स्टेशन उत्तराखंड के चुनिंदा सबसे खास पर्वतीय गंतव्यों में गिना जाता है। 5-7 किमी के क्षेत्र में फैला यह स्थल स्की-रिसार्ट के नाम से भी जाना जाता है। औली अपनी बर्फ से ढकीं चोटियों के लिए जाना जाता है, जो लगभग देवदार के जंगलों से घिरी हुई हैं। उत्तर भारत की चिलचिलाती गर्मी से राहत पाने के लिए औली का भ्रमण एक आदर्श विकल्प है। जहां आप दोस्तों के साथ-साथ अपने परिवार के साथ भी एक क्वालिटी टाइम स्पेंड कर सकते हैं।

गर्मियों में भी सद्दियों का एहसासा लेना है तो आप यहां का प्लान जरूर बनाए। फोटोग्राफी और प्रकृति की सौंदर्यता के शौकीनों को लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं। गर्मियों दौरान आप यहां किसी भी समय आ सकते हैं।

पूर्वी हिमालय के बीच बसा खूबसूरत कुर्सेओंग, जानिए इसकी खासियतपूर्वी हिमालय के बीच बसा खूबसूरत कुर्सेओंग, जानिए इसकी खासियत

गोपेश्वर

गोपेश्वर

PC- ArmouredCyborg


प्राकृतिक दृश्यों के अलावा आप चाहें तो चमोली स्थित धार्मिक स्थलों के दर्शन का प्लान बना सकते हैं। गोपेश्वर जिले के खास तीर्थ स्थानों में गिना जाता है, बद्रीनाथ और केदारनाथ जाने वाले सैलानी और श्रद्धालु यहां रूककर गोपश्वर शिव मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं। बद्रीनाथ से केदारनाथ के सफर ते दौरान गोपेश्वर पड़ता है। इस स्थान को वो सीमा क्षेत्र कह सकते हैं जहां भगवान विष्णु के बाद शिव स्थलों की शुरूआत होती है।

गोपेश्वर में भगवान भोलेनाथ का एक प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर भी मौजूद हैं, जहां रोजाना भक्तों का आवागमन लगा रहता है। चमोली भ्रमण के दौरान आप इस खास तीर्थ स्थान के दर्शन कर सकते हैं।

फूलों का घाटी

फूलों का घाटी

PC- Rashmigspai

500 से ज्यादा फूलों की प्रजातियों के लिए मशहूर फूलों की घाटी उत्तराखंड के मुख्य आकर्षणों में गिनी जाती है। जिसकी खोज का श्रेय एक विदेशी ट्रेवलर फ्रैंक. एस-स्मिथ को जाता है। जिन्होंने इस घाटी से प्रभावित होकर 'वैली ऑफ फ्लावर' के नाम से एक पुस्तक भी लिखी थी। फूलों की घाटी एक प्रमुख ट्रेक रूट के लिए भी प्रसिद्ध है जिसकी शुरुआता गोविंद घाट से होती। अपनी प्राकृतिक आबोहवा के लिए प्रसिद्ध फूलों की घाटी को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर भी घोषित किया जा चुका है।

गर्मियों के दौरान कुदरती खूबसूरती का आनंद लेने के लिए आप यहां आ सकते हैं। आपको यहां अद्भुत पहाड़ी वनस्पतियों को करीब से देखने का मौका मिलेगा। कुछ वनस्पतियां ऐसी भी हैं जिनका स्वरूप किसी जीव सा प्रतीत होता है।

बद्रीनाथ

बद्रीनाथ

PC- ShashankMalathisha

बद्रीनाथ भारत के प्रमुख तीर्थ स्थानों में गिना जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित यह पौराणिक मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। हिन्दुओं के चार धामों में बद्रीनाथ शामिल है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब पवित्र गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई तो वे 12 धाराओं में विभक्त हो गई थीं जिनमें से एक धारा अंलकनंदा के रूप में प्रसिद्ध हुई। बद्रीनाथ के पीछे भी एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है, माना जाता है कि भगवान विष्ण ने कई वर्षों तक कठोर तप किया था उनके तप के दौरान हिमपात होने लगा था।

भगवान विष्णु को हिमपात से बचाने के लिए माता लक्ष्मी ने बदरी(बेर) पेड़ का रूप ले लिया था। जब तपस्या के बाद जब भगवान विष्णु को पता चला कि देवी लक्ष्मी ने उनकी रक्षा की हो तो उन्होने कहा कि आज से मेरे साथ देवी लक्ष्मी भी बदरी के नाम से पूजी जाएंगी।

 नंदप्रयाग

नंदप्रयाग

PC- Fowler&fowler

मन्दाकिनी तथा अलकनंदा नदी का संगम स्थल नंदप्रयाग हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। समुद्र तल से इस पर्वतीयस्थल की ऊंचाई लगभग 2805 फीट की है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध पंच प्रयागों में नंद प्रयाग भी शामिल है। चमोली जिले के भ्रमण के दौरान अगर आप चाहें तो इस खूबसूरत तीर्थ स्थल के दर्शन कर सकते हैं। आप यहां स्थित गोपाल जी के मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।

माना जाता है कि आज का नंदप्रयाग कभी यदु वंश का हिस्सा हुआ करता था। धार्मिक पर्यटन के लिहाज से नंदप्रयाग एक महत्वपूर्ण गंतव्य माना जाता है। नंदप्रयाग को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं जो इसे एक विशेष स्थान बनाने का काम करते हैं।

कोलकाता से उठाएं इन रिफ्रेशिंग हिल स्टेशन का आनंदकोलकाता से उठाएं इन रिफ्रेशिंग हिल स्टेशन का आनंद

तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X