मैसूर को आधिकारिक तौर पर माइसुरू के नाम से भी जाना जाता है। यह कर्नाटक के सबसे जनसंख्या वाले राज्यों में तीसरे नंबर पर आता है। ये शहर चामुंडी पर्वत की तलहटी में स्थित है।
यह शहर तकरीबन 600 साल पहले वोडायर राजवंश की राजधानी हुआ करता था। इसके बाद हैदर अली और टीपू सुल्तान का इस शहर पर कब्जा हो गया था। सांस्कृतिक रूप और उपलब्धियों के कारण इस शहर को कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है।
मैसूर यात्रा के कुछ खुबसूरत स्थल
मैसूर को इसकी प्राचीन संरचनाओं और महलों के लिए भी जाना जाता है जिसमें मैसूर महल और चामुंडी पर्वत जैसे कई नाम शामिल हैं। ये शहर दसारा उत्सव के लिए प्रसिद्ध है। इस त्योहार की तैयारी यहां एक सप्ताह पूर्व ही शुरु हो जाती हैं। माईसुरू दसारा, माईसुरू पेंटिंग के साथ-साथ माईसुरू पाक के लिए भी ये शहर लोकप्रिय है। यहां का मैसूर सैंडल सोप, माईसुरू सिल्क साड़ी जैसी कई चीज़ें भी मशहूर हैं।
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शिवानसमुद्रा झरना
ये मैसूर से 78 किमी दूर है। शिवानसमुद्रा का अर्थ होता है शिव का समुद्र। इस झरने में एकसाथ कई धाराएं बहती हैं। ये झरना कावेरी नदी से बहता है। शिवानसमुद्रा एक द्वीप शहर है जो दो झरनों गगनचक्की और भाराचक्की में बंट जाता है। इस झरने के पास एक प्राचीन मंदिर भी स्थापित है। इसके साथ ही शिवानसमुद्रा में एशिया का पहला हाइड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर स्टेशन है जिसे 1902 में स्थापित किया गया था। शिवानसमुद्रा को कर्नाटक का नायग्रा भी कहा जाता है क्योंकि ये देखने में बिलकुल कनाडा के नायग्रा फॉल जैसा ही है।
PC:Tridib Bhattacharya
नागरहोल
नागरहोल नेशनल पार्क, मैसूर से 90 किमी दूर है और इस सफर में आपको 2 से 3 घंटे का समय लगेगा। नागरहोल का ये नाम यहां सांप की तरह बहने वाली नदी के नाम पर पड़ा है। इस पार्क में कई खूबसूरत पशु रहते हैं। इसके घने जंगलों में कई झरने और जादुई झीलें बहती हैं।
इस नेशनल पार्क में जीप सफारी का मज़ा भी लिया जा सकता है। यहां एलीफैंड और नाव की सवारी भी कर सकते हैं। इसके अलावा यहां ट्रैकिंग भी की जाती है। काबिनी नदी के तट पर हाथियों के झुंड देख सकते हैं।PC:Ashwin Kamath
कुर्ग
मैसूर से कुर्ग 118 किमी दूर है और इस सफर में आपको 2 से 3 घंटे का समय लगेगा। कुर्ग को औपचारिक तौर पर कोडागु कहा जाता है। कॉफी और और मसालों के बागानों से भरी इस जगह पर कॉफी और मसालों की खुशबू फैली रहती है। इस पहाड़ी क्षेत्र में घुमावदार मैदान, सुहावना मौसम, झरने और घने जंगल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। प्रकृति की गोद में बसे कुर्ग शहर में प्राकृतिक सौंदर्य के बीच कैंपिंग का मज़ा ले सकते हैं।
यहां पर आप एब्बे झरना, नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, तलाकावेरी आदि दर्शनीय स्थल हैं। इसके साथ ही यहां कैंपिंग के अलावा एडवेंचरस स्पोर्ट्स का मज़ा ले सकते हैं।PC:Ashwin Kumar
बेलूर
मैसूर से बेलूर की दूरी 158 किमी और इस दूरी को तय करने में 3 से 4 घंटे का समय लगेगा। अपने समृद्ध इतिहास के कारण यह जगह दक्षिण भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल है। प्राचीन समय में बेलूर होयसला साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। बेलूर में आप इस साम्राज्य की स्थापत्यकला की झलक देखी जा सकती है। इस शहर में पाए गए शिलालेखों के अनुसार इस शहर को वेलापुरी कहा जाता था।
होयसला काल के दो शहरों बेलूर और हालेबिदु में मार्च के महीने में होयसला महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस उत्सव में पारंपरिक नर्तकियों द्वारा प्रस्तुति दी जाती है। दोनों शहरों में दीपकों से रोशनी की जाती है और बड़े उत्साह के साथ इस त्योहार को मनाया जाता है। बेलूर आने का सही समय अक्टूबर से फरवरी तक है। हालांकि, अगर आप होयसला महोत्सव देखना चाहते हैं तो मार्च के महीने में आएं।
PC:UDUPI
चिकमगलूर
मैसूर से चिकमगलूर की दूरी 180 किमी और इस दूरी को तय करने में 3 से 4 घंटे का समय लगेगा। 3400 फीट की ऊंचाई पर स्थित चिकमगलूर सबसे ऊंचा हिल स्टेशन है और यहां पर अनेक दर्शनीय स्थल हैं। कॉफी के बागानों से घिरा मुल्यानागिरी पर्वत की तलहटी में बसा चिकमगलूर बेहद खूबसूरत जगह है।
यहां पर कई पर्वत शिखर हैं। चिकमगलूर की कई पर्वत चोटियां ट्रैकिंग के लिए मशहूर हैं जैसे मुल्यानागिरी, केम्मानागुंडी और कुद्रेमुख आदि। प्रकृति के करीब टीम के साथ चिकमगलूर में आप बॉनफायर, नेचर कैंप, बारबीक्यू और थोड़ा बहुत ट्रैकिंग का मज़ा भी ले सकते हैं। इस जगह पर सिलाइनिंग, भद्रा नदी पर रिवर राफ्टिंग, रैपेलिंग और कुएड बाइकिंग कर सकते हैं। इस खूबसूरत जगह पर कई हेरिटेज स्पॉट और एडवेंचर के विकल्प हैं जहां आप वन्यजीव और प्रकृति का आनंद ले सकते हैं।
PC:Vikram Vetrivel
बैंगलोर
बैंगलोर से मैसूर का रोड ट्रिप सबसे ज्यादा लेाकप्रिय है। मैसूर से 150 किमी दूर है बैंगलोर और इस दूरी को तय करने में 3 से 4 घंटे का समय लग सकता है। मैसूर से रोड ट्रिप पर गार्डन सिटी घूमना कुछ अलग ही अनुभव देता है। रास्ते में आप मद्दूर में स्वादिष्ट मदुर वड़ा खाने के लिए रूक सकते हैं।
इसके अलावा इस सफर में चन्नापाटना में लकड़ी से बने खिलौने और रामनगर में शानदार पत्थरों से बने शहर देख सकते हैं।PC:Kiran Reddy