मूसी नदी के किनारे स्थित हैदराबाद, दक्षिण भारत के तेलंगाना राज्य का एक खूबसूरत प्राचीन शहर है, जहां कभी निजामों का राज चलता था। आजाद भारत में शामिल होने से पहले हैदराबाद एक स्वतंत्र रियासत थी। इस शहर के बनने के पीछे भी बड़ी दिलचस्प कहानी जुड़ी हैं, जानकारी के अनुसार कुतुबशाही साम्राज्य के पांचवे शासक मुहम्मद कुली कुतुबशाह ने उपहार के रूप में इस शहर को अपनी प्रेमिका भागमती को दिया था।
इस प्राचीन दक्षिणी भूखंड को कई अन्य उपनामों से भी संबोधित किया जाता है, जैसे निजामों का शहर या मोतियों का शहर। यह शहर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से काफी खास माना जाता है। देश-विदेश से पर्यटक यहां मौजूद प्राचीन किले, महल, मस्जिद, मीनारे आदि संरचनाओं को देखने के लिए आते हैं।
गोलकुंडा का किला, पुरानी हवेली, चार मीनार, हुसैन सागर, सालरजंग संग्रहालय, मक्का मस्जिद आदि यहां के पर्यटन आकर्षण हैं। इन सब में चार मीनार सबसे ज्यादा देखे जाने वाले स्थानों में से है, जो शहर का प्रतिनिधित्व करता है। इस ऐतिाहसिक संरचना से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं, जिन्हें आप इस लेख के माध्यम से जान सकते हैं।
चारमीनार बनाने की वजह ?
चार मीनार, देश की चुनिंदा सबसे खास प्राचीन संरचनाओं में से एक है जिसके बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। चार मीनारों वाली इस सरंचना को कुतुबशाही साम्राज्य के पांचवे निजाम मुहम्मद कुली कुतुबशाह ने गोलकुंडा से अपनी राजधानी हैदराबाद स्थानांतरित करने के बाद 1591 में बनाया था। हालांकि इसके बनाने के पीछे कई मिथक भी जुड़े हैं, लेकिन फिर भी माना जाता है कि इस सरंचना को शहर से हैजा के उन्मूलन की खुशी में बनाया गया था। उस दौरान शहर के अधिकतर जगहों में हैजा का प्रकोप ज्यादा था। शहर को हैजा से मुक्त करने के लिए मुहम्मद कुली कुतुबशाह ने प्रार्थना की थी, और मस्जिद बनाने का प्रण लिया था।
गुप्त सुरंग का राज
PC- Vasukrishnan57
खूबसूरत और आकर्षक दिखने वाला चार मीनार अपने अंदर कई राज़ समेटे हुए है। बहुत से दिलचस्प तथ्य इस प्राचीन संरचना के नाम दर्ज है। बहुत कम लोग इस तथ्य से वाकिफ होंगे कि चार मीनार के नीचे एक भूमिगत सुंरग मौजूद है, जो यहां से शुरु होकर गोलकुंडा के किले से जुड़ती है। माना जाता है कि इसका निर्माण कुतुब शाही सम्राटों ने आपातकालीन निकासी के लिए किया था। लेकिन यह किसी को नहीं पता कि इस सुरंग को मुख कौन से कोने पर है।
मौजूद है एक मस्जिद
चार मीनार एक चार मंजिला संरचना है, जिसके ऊपरी माले पर एक मस्जिद बनी हुई है, जिसे आप वहां जाकर अच्छे से देक सकते हैं। यह मस्जिद खुली छत के पश्चिमी कोने पर बनी है। छत का बाकी का हिस्सा कुतुब शाही शासनकाल के दौरान दरबार के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। चार मीनार मस्जिद एक वर्गाकार संरचना है, जिसकी चारो दीवारें 20 मीटर लंबी हैं। अगर आप यहां आएं तो इस मस्जिद को जरूर देखें।
घुमावदार सीढ़ियां
PC- Chinmayee Mishra
इस संरचना की सभी चार मीनारें इस्लामिक वास्तुकला के उत्कृष्ट रूप को प्रदर्शित करती हैं। दीवारों पर की गई बारीक नक्काशी और गुंबद पर्यटकों को काफी ज्यादा प्रभावित करने का काम करते हैं। इन मीनारों को ताजमहल से बिलकुल अलग बनाया गया है। ऊपरी मंजिल पर पहुंचने के लिए 149 कदमों की घुमावदार सीढ़ियां बनाई गई थीं। पर्यटक इन सीढ़ियां के सहारे ऊपर जा सकते हैं। बता दें कि लंबे समय इस सरंचना के मरम्मत का काम चल रहा है, इसलिए पर्यटकों को अभी ऊपर जाने की मनाही है, आप मीनार को बाहर से देख सकते हैं।
सांप्रदायिक सौहार्द्र
PC- Drjskatre
यह संरचना सांप्रदायिक सौहार्द्र को भी भली भांति प्रदर्शित करती है, जिसका सबसे अच्छा उदाहरण चार मीनार के पास, मौजूद मक्का मस्जिद और भाग्यलक्ष्मी मंदिर हैं। इस मीनार को देखने के लिए हर धर्म के लोग आते हैं।
घड़ी
PC- Bernard Gagnon
1889 में चारमीनार की चारों दिशाओं में घड़ियां भी जोड़ी गई थीं। ये बड़ी घडियां हैं, जिन्हें दूर से भी देखा सकता है। यहां एक छोटा सा जलाशय भी बना है, जिसका इस्तेमाल प्रार्थना से पहले वजू करने के लिए किया जाता है। आप यहां एक छोटा सा फव्वारा भी देख सकते हैं।