भारत में युवाओं के बीव हीचहाइकिंग बेह मशहूर है। अगर आप भारत की विविधता और सौंदर्य को देखना चाहते हैं तो हीचहाइकिंग सबसे बेहतर तरीका है। देश में ऐसे कई स्थान हैं जो हीचहाइकिंग के लिए मशहूर हैं।
पथरीले रास्तों पर ट्रैकिंग के लिए कुछ सॉलिड टिप्स ,जो बनाये चलना आसान
हालांकि, हीचहाइकिंग करने के कई फायदे और नुकसान भी हैं। हीचहाइकिंग का मतलब होता है चलते फिरते किसी से लिफ्ट लेते हुए अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचना, इसके लिए आप किसी से भी लिफ्ट ले सकते हैं। अगर आप हीचहाईकिंग पर निकल रहे हैं तो ट्रक से लिफ्ट लेना काफी बेहतर होगा, इसमें ना ज्यादा भीड़ भाड़ होती है, और आप आराम से अपने डेस्टिनेशन पर पहुंच सकते हैं।
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हीचहाईकिंग के दौरान आप विभिन्न गांव और प्रान्तों के खाने के स्वाद भी चख सकते हैं। हालांकि इस दौरान आपको मेहमान नवाजी का गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए..इसी क्रम में आज हम आपको अपने लेख के जरिये भारत के कुछ हीचहाइकिंग रोड ट्रिप के बारे में बताने जा रहे हैं जो देशभर में काफी मशहूर हैं।
लेह से नुब्रा घाटी तक
अगर आप अपनी गाड़ी से सफर कर रहे हैं तो लेह से नुब्रा घाटी के रास्ते में आपको बहुत मज़ा आने वाला है। हालांकि, हीचहाईकर्स के लिए यहां सुविधाएं बहुत सीमित हैं। यहां पर आपको कई जगहों पर रूकना पड़ सकता है लेकिन हर जगह बेहद खास और खूबसूरत होगी।
यहां आपको कई ऐसे नज़ारे दिख सकते हैं जो आपने पहले कभी नहीं देखे होंगें। इस यात्रा में खरदुंग ला पास पड़ेगा जोकि दुनिया का सबसे ऊंचा वाहन योग्य रास्ता है। यहां आपको श्योक नदी भी दिखेगी जो सीधा नुब्रा नदी में जाकर मिलती है। इन दोनों का संगम देखना आपको आश्चर्यचकित कर सकता है। इस यात्रा में सब कुछ बेहद खूबसूरत रहने वाला है जो आपको पूरी जिंदगी याद रहेगा। इस यात्रा की सबसे खास बात है कि यहां आप शुरुआत तो मैदानी रास्ते से करेंगें लेकिन धीरे-धीरे आप हरी-भरी घास और फूलों से भरी घाटी में पहुंच जाएंगें।
अहमदाबाद से कच्छ के रण तक
ये रास्ता काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि यहां आपको पहाड़ और हरी-भरी घाटियां नहीं मिलेंगीं। रास्ते में आपको थोड़ी-थोड़ी दूरी पर रेगिस्तान और छोटे गांव मिल सकते हैं। अहमदाबाद से शुरुआत करना बेहतर रहेगा। भुज पहुंचने के बाद रास्ता आसान हो जाएगा लेकिन यहां आपको गर्मी और पसीने से जूझना पड़ेगा।
रास्ते में आपको रूकने के लिए कई जगहें मिलेंगीं और गुजराती ढाबे पर खाने का मज़ा भी उठा सकते हैं। यहां आपको कम दाम में स्वादिष्ट खाना मिलेगा। कच्छ के रण तक पहुंचने के लिए आपको कई बार गाड़ी बदलनी पड़ सकती है।
ईटानगर से जिरो तक
हीचहाइकिंग के लिए ये सबसे आसान रास्ता है और इस मार्ग की दूरी 110 किमी है। हालांकि, यहां पर आपको सुरक्षित यात्रा के लिए थोड़ा जल्दी निकलना पड़ेगा।
सुबह के समय ही सभी ट्रक यहां से जिरो के लिए निकलते हैं। अपने साथ आंतरिक सीमा का परमिट जरूर लेकर चलें। राज्य की सीमा पर पहुंचते ही कई बार आपको सुरक्षा कारणों से चैकिंग से गुज़रना पड़ सकता है। इस रास्ते की सबसे खास बात ये है कि ये ऊंचे-ऊचे पर्वतों से घिरा होगा। आगे चलकर आपको 90 डिग्री का तापमान मिल सकता है इसलिए इसके लिए आपको तैयार रहना है।
श्रीनगर से लेह तक
लेह तक पहुंचने का दूसरा सबसे बढिया रास्ता है। श्रीनगर-लेह हाईवे। इस रास्ते के बीच में हिमालय की खूबसूरद पहाडियां भी देखने को मिलती हैं।
इस बीच कई शहर और गांव भी पड़ते हैं जहां आप रूक सकते हैं और यहां आपको नियमित सार्वजनिक वाहन भी मिल जाएंगें। लेह तक पहुंचने का ये सबसे बढिया मार्ग है। कश्मीर घाटी में घुसते ही आप अपने आप ही एनर्जी से भर जाएंगें। अगर आप मांसाहारी हैं तो यहां कई ढाबों पर आपको सस्ता और बढिया खाना मिल जाएगा।
मनाली से स्पीति
लेह तक जाने वाला ये भी समान रास्ता है लेकिन यहां आपको मनाली-लेह हाईवे पर ग्रंफू से मुड़ना पड़ेगा। स्पीति घाटी तक पहुंचने का ये सबसेी छोटा रास्ता है और ये घाटी ज्यादा ऊंची भी नहीं है। आपको इस रास्ते में खुद को एएमएस के लिए तैयार रखना पड़ेगा। स्पीति तक पहुंचने वाले अन्य रास्तों के मुकाबलें यहां ज्यादा भूस्खलन होता है, खासतौर पर किन्नौर घाटी पर। इस रास्ते पर निजी और सार्वजनिक परिवहन दोनों तरह से पहुंचा जा सकता है। ये आपके लिए आसान भी होगा।
मनाली से लेह
मनाली से लेह तक हीचहाइकिंग करने वाले बहुत लोग मिल जाएंगें। आप चाहें तो ट्रक में भी जा सकते हैं। पब्लिक ट्रांस्पोर्ट यहां उपलब्ध तो है लेकिन बहुत कम। इसलिए यहां आपको अपने निजी वाहन से ही आना चाहिए। यहां की सबसे अच्छी बात है कि यहां के ट्रक ड्राइवर आपको अपने साथ ले जाने में ज़रा भी आनाकानी नहीं करते हैं।
रास्ते में आपको अनेक मठ और गोम्पा मिलेंगें जहां आप रात बिता सकते हैं। इस मार्ग पर कीलॉन्ग भी मुख्य जगह है जहां आप रूक सकते हैं। इस मार्ग पर सरचू से हिमाचल प्रदेश और फिर जम्मू कश्मीर आएगा।
गुवाहाटी से तवांग
पर्वतीय क्षेत्र के इस रास्ते के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। पूर्वोत्तर भारत का ये हिस्सा आज भी पर्यटन से काफी दूर है। गुवाहाटी से तवांग तक का सीधा कोई रास्ता नहीं है। इसके लिए आपको बीच में कई रास्तों से होकर गुज़रना पड़ेगा। इस रास्ते पर आपको कई ट्रक मिल जाएंगें। यहां पर लोग आपकी हर संभव मदद कर सकते हैं।
हालांकि, आपके पास अरुणाचल प्रदेश राज्य की सीमा को पार करने का परमिट जरूर होना चाहिए। आईडी प्रूफ के बिना आपको यहां प्रवेश बिलकुल भी नहीं दिया जा सकजा है। अगर आपको यहां रोक लिया जाता है तो ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये हमारे देश के प्रोटोकॉल का एक हिस्सा है।