Search
  • Follow NativePlanet
Share
» »इतिहास प्रेमियों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है ओडिशा का सीताबिनजी

इतिहास प्रेमियों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है ओडिशा का सीताबिनजी

आगे पढिए ओडिशा के पुरातात्‍विक स्‍थल सीताबिनजी के बारे में।

By Namrata Shatsri

भारत में ऐसी कई प्राचीन संरचनाएं और इमारते हैं जिन्‍हें खुदाई के दौरान बाहर निकाला गया था। हर एक इमारत से कोई ना कोई कहानी जुड़ी हुई है। अप्रत्‍याशित जगहों पर अविश्‍वसनीय तरीकों से इनके बारे में पता चला है।

ऐसा ही एक स्‍थान है ओडिशा में सीताबिनजी जिसने कई सालों से अपने अंदर इतिहास को संजोकर रखा है। यह विशाल चट्टान पर बना है जोकि सैनिक की तरह प्राचीन खजाने की रक्षा कर रहा है।

Sitabinji In Odisha

इस स्‍थान को यह नाम पास ही में स्थित नदी से मिला है। इस नदी का नाम सीता है। इस छोटे से गांव सीताबिनजी में 1000 से भी कम लोग रहते हैं। इस स्‍थान से कई ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुईं हैं। किवदंती है कि भगवान राम द्वारा माता सीता को त्‍यागने के बाद देवी सीता ने यहां वास किया था और यहां पर अपनी कुटिया भी बनाई थी।

स्मारकीय भारत: प्रसिद्ध चारमीनार के प्रमुख दिलचस्प तथ्य!स्मारकीय भारत: प्रसिद्ध चारमीनार के प्रमुख दिलचस्प तथ्य!

स्‍थानीय लोगों का कहना है कि इसी स्‍थान पर देवी सीता ने अपने दो पुत्रों लव और कुश को जन्‍म दिया था। यहां पर एक छोटा सा मंदिर भी है जिसमें देवी सीता के साथ उनके दोनों पुत्रों की मूर्ति भी स्‍थापित है।

Sitabinji In Odisha

यहां एक और बड़ा सा रहस्‍यमयी पत्‍थर है जिसे भंडारगृह कहा जाता है। कहा जाता है कि इस जगह पर डकैत रत्‍नाकर चोरी किए गए खजाने को छिपाता था। उन्‍होंने ही बाद में वाल्‍मीकि बनकर रामायण जैसे महाग्रंथ की रचना की थी।

कॉलेज बजट पर करिए इन 12 रोमांचक जगहों की यात्रा!कॉलेज बजट पर करिए इन 12 रोमांचक जगहों की यात्रा!

इतिहासकारों के अनुसार यहां पर कुछ ऐसे साक्ष्‍य भी मिले हैं जो ये बताते हैं कि हिनायन समुदाय के लोग चौथी से छठी शताब्‍दी के बीच यहां बौद्ध भिक्षु बनकर रहे थे।

रावण छाया और टेंपेरा पेंटिंग
सीताबिनजी में सबसे प्रसद्धि संरचना है रावण छाया जिसका अर्थ होता है रावण की छाया। यहां पर भी दो विशाल पत्‍थर स्थित हैं जोकि एक त्रिकोणीय दरार बनाते हुए एक-दूसरे के विपरीत खड़े हैं। इनकी लंबाई 6.7 मीटर और गहराई 4.7 मीटर है। ये दो पत्‍थर सालों से इसी तरह से खड़े हैं।

Sitabinji In Odisha

मुख्‍य चट्टान आधी बंद छतरी के आकार में हैं और यह अन्‍य पत्‍थर की चट्टान के ऊपर स्थित है। कहा जाता है कि इस संरचना को बनाने में लंका नरेश यानि रावण का प्रमुख योगदान रहा है। रावण को उसकी जादुई शक्‍तियों के लिए जाना जाता था।

आभानेरी: राजस्थान में स्थित विश्व की सबसे बड़ी बावड़ी का गाँव!आभानेरी: राजस्थान में स्थित विश्व की सबसे बड़ी बावड़ी का गाँव!

चट्टान के ऊपर बनाई गई पेंटिग को सातवीं शताब्‍दी में टेंपेरा तकनीक से बनाया गया है। इसमें ग्रेनाइट की सतह को रंगने से पहले उस पर लाइम की पतली परत चढ़ाई गई है जोकि टेंपेरा पेंटिंग जैसी है।

Sitabinji In Odisha

ये पेंटिंग किसी धार्मिक चिह्न या पात्र का प्रतीक नहीं है लेकिन इसमें एक राजसी व्‍यक्‍ति के हाथ में तलवार लिए हाथी पर सवार हुए चित्रण किया गया है।

चट्टान पर लिखे अभिलेख
यहां पर आपको 1000 साल पुराने अभिलेख मिल जाएंगें। इस जगह पर ईंटों के टुकड़ों से एक अज्ञात संरचना बनी हुई है जिस पर पाली मं शिलालेख लिखे गए हैं। इसके अलावा यहां पर सिक्‍कों और सोपस्‍टोन से बनाई गई मूर्तियां भी हैं जो कुशान से संबंधित हैं। कुछ भूगोलविदों का कहना है कि इस स्‍थान पर मिली पत्‍थर की चट्टानें पृथ्‍वी की सबसे प्राचीन संरचनाओं में से एक हैं।

Sitabinji In Odisha

पत्‍थरों से घिर इस एक ही स्‍थान पर आपको एकसाथ कई चीज़ें देखने को मिलेंगीं। यहां पर कई संरचनाएं बेढ़ंगे तरीके से बनी हुई हैं।

तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X