रूट : बनाशंकरी - राजनकुंटे - दोड्डाबलापुर - मकालिदुर्ग
परिवहन का साधन : यशवंतपुर से सुबह 7.30 बजे की ट्रेन
अन्य साधन : केएसआरटीसी बसें और निजी वाहनइस पूरे ट्रैक में कितना समय लगेगा : 6 घंटे
मुश्किल स्तर : आसान से मुश्किल
बेंगलुरू के पास स्थित मकालिदुर्ग पर ट्रैक करना किसी का सपना का होता है। मोनोलिथिक पहाड़ी पर चढ़ाई करना उतना आसान नहीं होता जितना आप सोच रहे हैं। वैसे तो ये ट्रैक सिर्फ 8 किमी का है लेकिन इसमें आपको पथरीले रास्तों से होकर गुज़रना पड़ेगा जोकि काफी मुश्किल है।
मकालदिुर्ग रेलवे स्टेशन से उतरने के बाद ही रेलवे ट्रैक से ट्रैकिंग के ट्रैक की शुरुआत हो जाती है। कुछ किलोमीटर पैदल चलने के बाद आप तल बिंदु पर पहुंच जाएंगें। बेस कैंप पहुंचने के बाद आप चाहें तो भगवान कृष्ण के मंदिर में आराम कर सकते हैं। यहां पर आप ग्रामीण जीवन की झलक भी देख सकते हैं।
मकालिदुर्ग किले का इतिहास
किवदंती है कि सदियों पहले विजयनगर शासन की सेना को यहां पर प्रशिक्षण दिया जाता था। इससे पहले ये किला शिवाजी के पिता के कब्जे में था। इसके बाद इस पर बैंगलोर शहर के संस्थापक केंपेगोवड़ा का शासन हुआ। इस किले में भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर भी है और पहाड़ी की चोटी पर नंदी का मंदिर भी है।
ट्रैकिंग ट्रेल
ये ट्रैकिंग ट्रेल 4 हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है। ट्रैक रेलवे ट्रैक से शुरु होता है। इसके बाद कृष्ण मंदिर के तल पर आकर रूकना है। तीसरी जगह है पत्थरों और पेड़ों से घिरा चढ़ाई का मध्य भाग। यहां पर चढ़ाई ज्यादा मुश्किल तो नहीं है लेकिन फिर भी आपको सावधानी बरतनी चाहिए। आखिरी जगह है किला जोकि काफी खूबसूरत है।
यहां पर आप रास्ते को पहचानने के लिए पत्थरों पर चॉक से निशान बना सकते हैं। यहां पर ग्रेनाइट के पत्थर हैं इसलिए अगर आपने सावधानी नहीं बरती तो आप फिसल भी सकते हैं। पर्वत की चोटि से नज़ारा काफी खूबसूरत दिखाई देता है। यहां पर कुछ किलों और मंदिरों के साथ गुफाएं भी देख सकते हैं। नीचे उतरने पर आपको लगेगा जैसे सूरज भी आपके साथ नीचे आ रहा है।
PC : Brunda Nagaraj
स्कंदगिरी ट्रैक
इस जगह पर आप नाइट ट्रैकिंग भी कर सकते हैं। रात के समय ये जगह और भी ज्यादा खूबसूरत दिखाई देती है। गर्मी के मौसम में ये जगह बहुत गर्म रहती है इयसलिए बेहतर होगा कि आप सुबह जल्द से जल्द अपनी ट्रैकिंग शुरु कर दें।
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मकालिदुर्ग ट्रैक पर जरूर करें ये काम
-चढ़ाई करते समय अपने पीछे जरूर देखते चलें, आप पाएंगें कि हर कदम पर वातावरण बदल रहा है।
-आसमान में बादलों का झुंड बेहद खूबसूरत दिखाई देगा।
-इस जगह के सौंदर्य को महसूस करने के लिए यहां के पत्थरों और मिट्टी को छू कर देखें।
-इस जगह पर बंदरों का भी डेरा रहता है।
-मकालदिुर्ग में आप ढेरों तस्वीरें खिंचवा सकते हैं। पेड़ों के बीच खुले आसमान के नीचे फोटोग्राफी का कुछ और ही मज़ा होता है।
-अगर आप रोमांच का मज़ा लेना चाहते हैं तो गुफाओं को देखना या रॉक क्लाइंबिंग भी कर सकते हैं। पहाड़ी की चोटि से सूर्यास्त का नज़ारा बहुत ही सुंदर दिखाई देता है। रास्ते में आप मोर और मोरनी भी देख सकते हैं।PC : Brunda Nagaraj
साथ क्या लेकर जाएं
- कम से कम 2 लीटर के पानी की बोतल जरूर साथ लेकर जाएं।
- अपने साथ खाने का सामान और स्नैक्स जरूर रखें क्योंकि दोड्डाबलपुरा तक जाकर कोई होटल नहीं है।
- नाइट ट्रैक के लिए अपने साथ टॉर्च जरूर रखें।
- मौसम में कभी भी बदलाव हो सकता है इसलिए अपने साथ जैकेट और रेन जैकेट जरूर रखें।
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मकालिदुर्ग पर आपको क्या मिलेगा ?
- रेलवे स्टेशन के पास कुछ स्टोर्स पर बिस्कुट, चॉकलेट और पानी मिल जाएगा।
- ट्रैक की शुरुआत में सूखा नारियल भी मिल जाएगा।
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इन बातों का रखें ध्यान
- चूंके रास्ते में बंदर मिल सकते हैं इसलिए अपने खाने-पीने के सामान का ध्यान रखें।
- ट्रैकिंग के दौरान आरामदायक कपड़े और जूते पहनना जरूरी है।
- अपने साथ अपनी वॉटर बॉटल जरूर रखें।
- ट्रैकिंग मुश्किल हो सकती है इसलिए कैमरा और अन्य किसी गैजेट का खास ध्यान रखें।
इस एडवेंचर ट्रैक पर आएं और प्राकृतिक सौंदर्य का मज़ा लें।
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