नर्मदा नदी के साथ साथ सोन और जोहिला नदियों का उदगम स्थान कितना अद्भुत होगा ना? जी हाँ, मध्य प्रदेश का अमरकंटक जितना ही अद्भुत है उतना ही पवित्र भी। इसलिए यह हिंदुओं के तीर्थस्थानों में से एक है। मध्य प्रदेश के अनुपपुर शहर का यह क्षेत्र, नगर पंचायत भी है। यह क्षेत्र प्राकृतिक धरोहर और मैकल पहाड़ के साथ विंध्या और सतपुड़ा पर्वतमालाओं का मिलन स्थल है। कई सुंदर प्राकृतिक झरनों के साथ यह जगह मनोरम दृश्य का एक ज़बरदस्त नमूना है।
चलिए हम आपको इसी प्राकृतिक पवित्र धरोहर की यात्रा पर लिए चलते हैं जहाँ की खूबसूरती आपके मन को और शरीर दोनों को ही सुकून दिलाएगी।
त्रीनदियों का उदगम स्थल
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अमरकंटक के मुख्य आकर्षण:
नर्मदा कुंड और मंदिर:
नर्मदाकुंड नर्मदा नदी का उदगम स्थल है। इसके चारों ओर अनेक मंदिर बने हुए हैं। इन मंदिरों में नर्मदा और शिव मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, श्रीराम जानकी मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, गुरू गोरखनाथ मंदिर, श्री सूर्यनारायण मंदिर, वंगेश्वर महादेव मंदिर आदि प्रमुख हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव और उनकी पुत्री नर्मदा यहां निवास करते थे। माना जाता है कि नर्मदा उदगम की उत्पत्ति शिव की जटाओं से हुई है, इसीलिए शिव को जटाशंकर कहा जाता है।
नर्मदा कुंड मंदिर और नर्मदा नदी का मूल स्थान
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कलचूरी काल के मंदिर:
नर्मदाकुंड के दक्षिण में कलचुरी काल के प्राचीन मंदिर बने हुए हैं। इन मंदिरों को कलचुरी महाराजा कामदेव ने 1042-1072 के दौरान बनवाया था। मछेन्द्रथान और पटालेश्वर मंदिर इस काल मंदिर निर्माण कला के बेहतरीन उदाहरण हैं।
शिव मंदिर
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श्रीज्वालेश्वर महादेव:
श्रीज्वालेश्वर मंदिर अमरकंटक से 8 किमी. दूर शहडोल रोड पर स्थित है। यह खूबसूरत मंदिर भगवान शिव का समर्पित है। यहीं से अमरकंटक की तीसरी जोहिला नदी की उत्पत्ति होती है। विन्ध्य वैभव के अनुसार भगवान शिव ने यहां स्वयं अपने हाथों से शिवलिंग स्थापित किया था और मैकाल की पहाडि़यों में असंख्य शिवलिंग के रूप में बिखर गए थे। माना जाता है कि भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती से साथ इस स्थान पर निवास करते थे।
पतलेश्वर मंदिर
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कपिलाधारा:
लगभग 100 फीट की ऊंचाई से गिरने वाला कपिलाधारा झरना बहुत सुंदर और लोकप्रिय है। धर्मग्रंथों में कहा गया है कि कपिल मुनी यहां रहते थे। यहाँ घने जुंगल,पर्वत और प्रकृति के सुंदर नजारे और अनेक गुफाएं हैं जहां साधु संत ध्यानमग्न मुद्रा में देखे जा सकते हैं।
कपिलाधारा
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दूधधारा:
अमरकंटक में दूधधारा नाम का यह झरना काफी लोकप्रिय है। ऊंचाई से गिरते इसे झरने का जल दूध के समान प्रतीत होता है इसीलिए इसे दूधधारा के नाम से जाना जाता है।
अमरकंटक का प्राचीन मंदिर
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धुनी पानी:
अमरकंटक का यह, गर्म पानी का झरना है। कहा जाता है कि यह झरना औषधीय गुणों से संपन्न है और इसमें स्नान करने शरीर के असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं। दूर-दूर से लोग इस झरने के पवित्र पानी में स्नान करने के उद्देश्य से आते हैं, ताकि उनके तमाम दुखों का निवारण हो सके।
कर्ण मंदिर
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कबीर चबूतरा:
स्थानीय निवासियों और कबीरपंथियों के लिए कबीर चबूतरे का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि संत कबीर ने कई वर्षों तक इसी चबूतरे पर ध्यान लगाया था। कहा जाता है कि इसी स्थान पर भक्त कबीर जी और सिक्खों के पहले गुरु श्री गुरु नानकदेव जी मिलते थे।
कई आकर्षण वाले केंद्र होने के साथ साथ अमरकंटक बहुत से आयुर्वेदिक पौधों मे लिए भी प्रसिद्ध है, जिन्हें किंवदंतियों के अनुसार जीवनदायी गुणों से भरपूर माना जाता है।
अमरकंटक की औषधीय वनस्पतियाँ
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अमरकंटक पहुँचें कैसे?
अमरकंटक मध्य प्रदेश राज्य के अनुपपुर जिले में समुद्र तल से 1065 मीटर की उँचाई पर स्थित है।
सड़क मार्ग: अमरकंटक मध्य प्रदेश और निकटवर्ती शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। पेंड्रा रोड, बिलासपुर और शहडोल से यहां के लिए नियमित बसों की व्यवस्था है।
रेल मार्ग: पेंड्रा रोड अमरकंटक का नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो लगभग 35 किमी. दूर है। सुविधा के लिहाज से अनूपपुर रेलवे स्टेशन अधिक बेहतर है जो अमरकंटक से 72 किमी. दूर है।
वायु मार्ग: अमरकंटक का निकटतम एयरपोर्ट जबलपुर में है, जो लगभग 245 किमी.की दूरी पर है।
तो इस बार आप अमरनाथ और बाकी तीर्थस्थान की यात्रा करने के साथ साथ इस पवित्र तीर्थस्थल की भी यात्रा करना ना भूलें जो आपके तीर्थस्थलों के सफ़र को सफल बनाएगा।
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