भारत की सात बहनों के साथ साथ उनके भाई सिक्किम की अगर आपने अब तक यात्रा नहीं की है तो हम आपको वहाँ की कुछ ऐसी जगहों से रूबरू करते हैं जहाँ आप स्वर्ग के एक हिस्से का मज़ा ले सकते हैं। कुछ ऐसी ही जगहों के लिस्ट हम आपके लिए लाए हैं जहाँ की प्राकृतिक सुंदरता आपको मंत्रमुग्ध कर देगी।
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माजुली, असम:
माजुली द्वीप असम के पवित्र नदी ब्रह्मपुत्र का एक द्वीप है। खेरकुटिया क्शूति में गठित यह द्वीप सुबंसिरी नदी द्वारा मिलकर बनी है। यह द्वीप पक्षियों का स्वर्ग कहलाता है और यहाँ आप इसके दक्षिण पूर्वी, दक्षिण पश्चिमी और उत्तरी भाग में विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों को देखने का मज़ा ले सजते हैं।
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मेचुका, अरुणाचल प्रदेश:
मेचुका अरुणाचल प्रदेश में मेंबा, रामो और बोकार जैसी जनजातियों का घर और जंगलों से भरे पहाड़ों, चीड़ के पेड़ों और कटीली झाड़ियों से घिरा एक छोटा सा नगर है। यह जगह अपने विभिन्न प्रजातियों, प्राकृतिक सौंदर्य, बर्फ़ीली पहाड़ियों, सियोम नदी और 400 साल पहले बसे बौद्ध मठ के लिए प्रसिद्ध है। मेचुका इंडो-चीन बॉर्डर से सिर्फ़ 29 किलोमीटर की दूरी पर है।
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डॉकी, मेघालय:
डॉकी जैंतिया के पहाड़ों मे बसा एक छोटा सा नगर है जो डॉकी-टॅमबिल, भारत बंगलादेश की सड़क सीमा के पास बसा है। डॉकी पुल ब्रिटिशर्स द्वारा उम्न्गोत नदी पर बनाया गया था। इस नदी में हर साल के मार्च महीने में वार्षिक नौका दौड़ प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
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मोन, नागालैंड:
मोन कोनयाक नागास जो अपने फेस पे टैटू बनाते और सरों मे पंख लगाते हैं, का घर है। मेघालय के इस जिले के शांज्ञयू, चुइ और लोन्ग्वा गांव अपनी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। लकड़ियों में नक्काशी, वहाँ के जनजातियों द्वारा मारे गये उनके दुश्मनों की खोपडियाँ यहाँ टूरिस्ट्स के लिए दर्शाए गये हैं।लोन्ग्वा गांव का आधा हिस्सा भारत के क्षेत्र में और आधा म्यान्मार के क्षेत्र में आता है।
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मोइरांग,मणिपुर:
मोइरांग मेघालय के बिश्नुपुर जिले का नगर पालिका परिषद क्षेत्र है। यह शहर ताज़े पानी के झील, लोकत्क झील और किबल लांजाओ नॅशनल पार्क के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ आपको अभी भी द्वितीय विश्व युद्ध के अवशेष देखने को मिल जाएँगे।
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फव्न्ग्पुइ,मिज़ोरम:
फव्न्ग्पुइ, म्यांमार के बॉर्डर के पास लोन्ग्त्लै जिले के लुशाई पर्वत पर स्थित सबसे उँचा पर्वत शिखर है जिसे ब्लू माउंटन भी कहा जाता है। कहा जाता है की यहाँ की चट्टानें आत्माओं की वजह से कुख्यात हैं। यहाँ पर आपको बैमबूस के कुछ नये प्रजातियाँ देखने को मिलेंगे। अलग अलग जातियों की तितलियाँ इस पहाड़ की खूबसूरती को और भी ज़्यादा निखारती हैं।
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उनाकोटी,त्रिपुरा:
उनाकोटी पर्वत का बंगाली मे मतलब होता है, भगवान शिव जी की कुटी(घर)। इस पर्वत के पत्थरों को काटकर विभिन्न देवी देवताओं के रूप दिए गये हैं। इस पर्वत से गिरता हुआ झरना इसके दृश्य को और भी मनोरम बनाता है।
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क्योंगनोस्ला,सिक्किम:
क्योंगनोस्ला आल्पाइन अभ्यारण्य, त्सोन्ग्मो झील और बर्फ़ीले पहाड़ों के पास पूर्वी सिक्किम में बसा है।यह अभ्यारण्य मुख्यतः विभिन्न प्रजातियों के वनस्पतियों और लुप्तप्राय हो चुके ग्राउंड ऑर्किड्स, रोडोडेनड्रन्स और स्यपरीपेड्यिम तिबेतिकम जैसे वनस्पतियों से भरा पूरा है।