इस वक्त श्रावण मास की धूम पूरे भारतवर्ष में मची हुई है, भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों में लगातार देश के विभिन्न कोनों से कांवड़ियों का आगमन हो रहा है। श्रावण का पवित्र मास भोलेनाथ की आराधना करने का सबसे शुभ समय माना जाता है। इस दौरान उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड समेत अलग-अलग राज्यों में मौजूद शिवालयों में भक्तों का भारी जमावड़ा लगता है।
वैसे तो आप भगवान शिव को समर्पित देश के अधिकांश मंदिरों के बार में जानते ही होंगे, लेकिन इस लेख में आज हम आपको शिव के एक ऐसे अज्ञात स्थल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे एक रात में वो भी एक हाथ के द्वारा बनाया गया था। इस तथ्य पर शायद आपको विश्वास न हो पर यह सच्चाई है।
जानिए भगवान शिव के के सबसे अद्भत और अभिशप्त देवालय के बारे में, जहां श्रद्धालु तो आते हैं, लेकिन वे पूजा करने से डरते हैं।
कहां है ये अद्भुत मंदिर ?
भगवान शिव का यह विचित्र और अभिशप्त से भरा मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़, बल्तिर गांव में स्थित है। इस मंदिर का नाम एक हथिया देवाल है, क्योंकि इसका निर्माण एक हाथ के द्वारा किया गया था। स्थानीय जानकारी के अनुसार बनाने वाले एक कारीगर ने भगवान शिव के इस अनोखे देवालय को अपने एक हाथ से ही बना डाला था। इस देवालय को लेकर कई दिलचस्प और रोचक कहानियां जुड़ी हुई हैं, जिसके बारे में हम नीचे जिक्र करेंगे। बता दें कि इस मंदिर को भगवान शिव के 'अभिशप्त देवालय' के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर से जुड़े इन अद्भुत तथ्यों के कारण यहां लोगों का आना जाना लगा रहता है। यह एक सोचने वाली बात है कि जहां शिवलिंग पर दुध या जल चढ़ाया जाता है, वहीं लोग यहां लोग पूजा करने से भी डरते हैं। आगे जानिए इस मंदिर के जुड़ी अजीबो गरीब बातों के बारे में।
अद्भुत वास्तुकला का नमूना
भले इस मंदिर में लोग शिव की पूजा करने से डरते हों, पर मंदिर की वास्तुकला और कलाकृतियां यहां आने वाले आगंतुकों को बहुत हद तक प्रभावित करती है। जब पर्यटकों को देवालय देखने के बाद यह पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण कारीगर के एक हाथ के द्वारा हुआ है, तो वे आश्चर्यचकित हो उठते हैं। मंदिर किसी भव्य आकृति के रूप में नहीं है, बल्कि एक चट्टान को काटकर बनाया गया छोटो सा शिवालय है।
आसपास की हरियाली इस मंदिर को खास बनाने का काम करती है। छोटे-छोटे स्तंभों के साथ कलाकृतियों से सजा शीर्ष ध्यान आकर्षित करने का काम करता है। एक छोटी आकृती के साथ यह देवालय कारीगर की दक्षता का भली भांति प्रदर्शन करता है।
मंदिर निर्माण से जुड़ी किवंदती
भगवान शिव के इस अद्भुत मंदिर से एक रोचक किवंदती जुड़ी है, माना जाता है कि इस गांव कोई शिल्पकार रहता था, जो पत्थरों को तराश कर आकर्षक मूर्तियां बनाने का काम करता था। माना जाता है कि किसी हादसे में उसका एक हाथ खराब हो था, जिसकी वजह से गांव में उसे काफी उलाहनों का सामना करना पड़ता था। उसने लोगों से तंग आकर गांव छोड़ने का निर्णय किया लेकिन जाने से पहले उसने एक देवालाय का निर्माण करने की सोची। उस रात वो अपने औजारों को लेकर गांव के पास मौजूद चट्टानी क्षेत्र में गया और अपने एक हाथ से शिवालय का निर्माण कर डाला।
माना जाता है कि उसने पूरी रात लग कर इस संरचना का निर्माण किया था। जिसके बाद वो फिर दोबारा गांव में नहीं दिखा। उसे ढूंढने की कोशिश की गई पर वो कहीं नहीं मिला। आज भी गांव में उस कारीगर का नाम सम्मान से लिया जाता है।
क्यों कहा जाता है अभिशप्त
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मूर्तिकार ने तो इस देवालय का निर्माण कर दिया था, लेकिन यहां शिव की पूजा करने से लोग डरते हैं। इसके पीछे भी एक रोचक तथ्य जुड़ा हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कारीगर ने एक रात में इस संरचना का निर्माण किया था, लेकिन उससे एक बड़ी त्रुटी हो गई थी, जल्दबाजी में उससे शिवलिंग का अरघा विपरित दिशा में बन गया था । पंडितो के अनुसार इस अवस्था में शिवलिंग की पूजा नहीं की जा सकती है, क्योंकि यह एक दोषपूर्ण मूर्ति है जो फलदायक नहीं होगी।
इसी वजह से यहां लोग पूजा करने से डरते हैं। लेकिन देवालय के दर्शन करने के लिए लोगों का आना जाना लगा रहता है। यह उस समय की बात है, जब यहां कत्यूरी राजाओं का शासन हुआ करता था। चूंकि मंदिर एक हाथ से बनाना गया था, इसलिए इस मंदिर का नाम 'एक हथिया देवालय' रखा गया था ।
कैसे करें प्रवेश
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यह मंदिर राज्य के पिथौरागढ़ से 70 कि.मी की दूरी पर थल कस्बे से 6 कि.मी के फासले पर स्थित बल्तिर गांव में मौजूद है। जहां आप देहरादून के रास्ते आसानी से पहुंच सकते हैं। पिथौरागढ़ से थल के लिए आपको सुगम सड़क परिवहन मिल जाएंगे। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा देहरादून स्थित जॉलीग्रांट है। रेल मार्ग के लिए आप टनकपुर / हल्द्वानी/पिथौरागढ़ रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं।