क्या कोई इमारत अढ़ाई दिन में पूरी बन सकती है..ह्म्म्म शायद नहीं लेकिन अजमेर में स्थित अढ़ाई दिन का झोपड़ा का सिर्फ अढ़ाई दिन में बनकर तैयार हुआ है। हालांकि इस झोपड़े के बनने के पीछे एक लम्बी कहानी है।
अढ़ाई दिन का झोपड़ा राजस्थान के अजमेर में दरगाह शरीफ से कुछ ही दूरी पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह संरचना अढ़ाई दिन में बनाई गई थी। यह भवन मूल रूप से एक संस्कृत विद्यालय था जिसे मोहम्मद गोरी ने 1198 ई. में मस्जिद में बदल दिया था।
यह मस्जिद एक दीवार से घिरी हुई है जिसमें 7 मेहराबें हैं, जिन पर कुरान की आयतें लिखी गई हैं। हेरत के अबू बकर द्वारा डिजाइन की गई यह मस्जिद भारतीय- मुस्लिम वास्तुकला का एक उदाहरण है।
अजमेर में पुष्कर और ख्वाजा शरीफ की दरगाह विश्व प्रसिद्ध हैं और यहां दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। इसके बावजूद यह अढाई दिन का झोपड़ा लोगों का ध्यान आकर्षित करता है। यह पर्यटकों के लिए एक अच्छा पर्यटन स्थल है।
इतिहास
11वीं सदी के अंतिम दशक में मुहम्मद गोरी ने तराई के युद्ध में महाराजा पृथ्वीराज चौहान को परास्त कर दिया और उसकी फौजों ने अजमेर में प्रवेश के लिए कूच किया तो गोरी ने वहां नमाज अदा करने के लिए मस्जिद बनाने की इच्छा प्रकट की और इसके लिए 60 घंटे का समय दिया। तब इस मंदिर को ढाई दिन में मस्जिद बना दिया। इस तरह इसका नाम अढाई दिन का झोपड़ा पड़ा। इसका स्थापत्य हिन्दू व जैन मन्दिरों के अवशेषों से तैयार है।PC: Adityavijayavargia
जाने आखिर क्यों एक मंदिर बन गयी मस्जिद
ग्यारहवीं सदी के न्तिम दशक में मुहम्मद गोरी ने युद्ध में महाराजा पृथ्वीराज चौहान को हरा कर अजमेर में कब्जा कर लिया था,और जब उसकी फौज ने अजमेर में प्रवेश के लिए कूच किया तो गोरी ने वहां नमाज अदा करने के लिए मस्जिद बनाने की इच्छा प्रकट की और इसके लिए 60 घंटे का समय दिया। तब इस मंदिर को ढाई दिन में मस्जिद बना दिया। इस तरह इसका नाम अढाई दिन का झोपड़ा पड़ा। इसका स्थापत्य हिन्दू व जैन मन्दिरों के अवशेषों से तैयार है।PC: Arcade
दरगाह शरीफ़
दरगाह शरीफ़ राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है, जो ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का स्थान है। यह स्थान सभी धर्मों के लोगों के लिए पूजनीय है और प्रतिवर्ष यहाँ लाखों तीर्थयात्री आते हैं।महान सूफ़ी संत की याद में यहाँ हर साल एकउर्स भरता है जो 6 दिन तक चलता है।
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नसिया मंदिर
अजमेर में नसिया मंदिर नाम का 1865 में बना लाल रंग का जैन मंदिर भी है। इस दो मंजिला भवन में लकड़ी की गिल्ट पर जैन पौराणिक कथाओं की छवियां और पुरानी जैन अवधारणाओं का वर्णन है।PC: SINHA
आनासागर झील
अजमेर में स्थित आनासागर झील एक कृत्रिम झील है और ये पहाड़ियों से घिरी हुई है। इसके किनारे पर एक सुंदर बाग है जिसका नाम दौलत बाग है, यह जगह बहुत ही खूबसूरत है। PC:Logawi
संग्रहालय
मुगल काल में यह किला सैन्य गतिविधियों की एक जगह थी। अकबर ने इसे 1570 में बनवाया था, बाद में यह ब्रिटिश अस्पताल के तौर पर इस्तेमाल होने लगा। लाल बलुआ पत्थरों से बना अकबर का यह शाही महल आज के दौर में एकसंग्रहालय में बदल चुका है और इसमें मुगल और राजपूत शस्त्रागार का शानदार संग्रह है।
तारागढ़ का किला
अकाल राहत कार्यक्रम के दौरान बना और इसके निर्माण के बाद इसके इंजीनियर के नाम पर इसका नाम रखा गया, इसकी सुंदर झील पहाड़ से देखने पर बहुत खूबसूरत नज़ारा देती है। अजमेर का तारागढ़ किला अढाई दिन का झोपड़ा से डेढ़ घंटे की सीधी चढ़ाई पर एक पहाड़ी पर है। यहां से आपको शहर का बहुत शानदार नज़ारा मिलता है।
PC: Singh92karan
पचेश्वर
अजमेर से 90 किलोमीटर दूर राजस्थान का छोटा सा गांव पचेश्वर अजमेर और जयपुर के बीच यात्रा करने वालों के लिए रास्ते का सबसे बढि़या ठहराव है। पचेश्वर की झील में सर्दियों में हजारों की तादाद में प्रवासी पक्षी आते हैं और यह नज़ारा सैलानियों को बहुत भाता है।
पुष्कर
पुष्कर अजमेर से 15 किमी की दूरी पर स्थित है...देशी और विदेशी पर्यटक यहां हर साल होने वाले पुष्कर मेले को देखने आते है। कार्तिक के महीने में लगने वाले पुष्कर मेले में पुष्कर शहर बहुत ही रंगीन और हलचल भरा हो जाता है। हिंदू तीर्थयात्री कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर की झील में पवित्र डुबकी लगाने आते हैं। इस मेले में लगने वाला उंट मेला भी बहुत मशहूर है, इसमें उंटों का व्यापार होता है।
400 मन्दिरों से सुसज्जित है पुष्कर
पुष्कर में करीब 400 मंदिर हैं और यह एक आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के तौर पर मशहूर है। यहां सबसे मशहूर जगत पिता श्री ब्रम्हा मंदिर है। माना जाता है कि भगवान ब्रम्हा को समर्पित यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है। इसके अलावा पुष्कर झील की ओर मुंह वाला एक सावित्री मंदिर, वराह मंदिर, महादेव मंदिर और रामवैकुंठ मंदिर हैं। यहां पवित्र पुष्कर झील पर कई घाट हैं जहां का पानी जीवन भर के पाप धोने के लिए प्रसिद्ध है।
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कैसे पहुंचे अजमेर
अजमेर सड़क, रेल एवं वायुमार्ग से पहुंचा जा सकता है।
हवाईजहाज
वायुयान से यहां आने पर आपको जयपुर हवाई अड्डे पर उतरना होगा। वहां से टैक्सी या बस से आप अजमेर पहुंच सकते हैं।
ट्रेन द्वारा
अजमेर जंक्शन अजमेर का रेलवे स्टेशन है..यहां से देश के हर हिस्से की ट्रेन उपलब्ध है।PC:SINHA
सड़क मार्ग से
सड़क मार्ग से आसानी से अजमेर पहुंचा जा सकता है..अजमेर की प्रमुख शहरों से दूरी..
जयपुर से 145 किमी
कोटा से 220 किमी
जोधपुर से 205 किमी
दिल्ली से 415 किमी
PC:Varun Shiv Kapur
कब जायें अजमेर
यूं तो अजमेर किसी भी सीजन में जाया जा सकता है, लेकिन घूमने का उचित समय अक्टूबर से अप्रैल तक का है।PC: Jaseem Hamza