मान लीजिये आप किसी जंगल में घूम रहे हों और अचानक से आपको एक पुराना, अजीब सा और देखने में बिल्कुल अलग, एक किला मिल जाये! खासकर कि उन्हें जिन्हें ऐसे एडवेंचर पसंद हों और अपने देश के ऐतिहासिक धरोहरों के प्रेमी हो, तो यह रोमांच उनके लिए सोने पे सुहागा होगा। यह तो सच है कि एक हरे-भरे घने जंगल में एक पुराने किले का साधारण पर अलग सा आकर्षण आपकी जिज्ञासा और उत्साह को और बढ़ा देता है।
अजयगढ़ महल
Image Courtesy: Sagar Das
चलिए आज हम ऐसे ही एक अनजान ख़ज़ाने की ओर चलते हैं जिसे अजयगढ़ किले के नाम से जाना जाता है, जो प्रसिद्ध पर्यटक स्थल खजुराहो से कुछ ही दूरी पर स्थित है। पन्ना टाइगर रिज़र्व और खजुराहो से एक दम विपरीत पुराने पहाड़ी किले की अपनी ही एक अनोखी कहानी है। हालाँकि इस किले की हालात अब क्षतिग्रस्त अवस्था में है, फिर भी यह पन्ना जिले की प्राचीन शोभा को दर्शाता है।
अजयगढ़ किले की सैर
अजयगढ़ किला एक रहस्मयी दुनिया की तरह है, क्योंकि इसकी शान को आप इसके अंदर जाकर ही देख और समझ पाएंगे। सिर्फ यहाँ दुःख कि बात यह है कि बाकि ऐतिहासिक धरोहरों की तरह, इसकी देखभाल और मरम्मत ठीक से नहीं की गयी है। पर ये सारी बातें यहाँ के प्रति आपके उत्साह को बिल्कुल भी कम नहीं करेंगी।
अजयगढ़ किले का क्षतिग्रस्त हो चुका मंदिर
Image Courtesy: Kuber Patel
विंध्यांचल पहाड़ियों से घिरा यह आकर्षक परिदृश्य अब तक पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचने में समर्थ है। टेढ़े-मेढ़े सीढ़ियों से होकर गुज़रता रास्ता हमें सीधे एक विशाल प्रवेश द्वार की ओर ले जाता है। पहले यहाँ पांच प्रवेशद्वार हुआ करते थे जिनमें से अब केवल दो ही बच गए हैं।
आज आप इस अजयगढ़ किले में क्षतिग्रस्त मंदिर और मूर्तियों को इधर-उधर बिखरे हुए देखेंगे। ये सारी मूर्तियां और मंदिर उस समय में चंदेला वास्तुकारों की उत्कृष्ट शिल्प कौशल की ओर इंगित करते हैं।
किले के मंदिर में स्थित भगवान गणेश जी की मूर्ति
Image Courtesy: Kuber Patel
दिलचस्प बात यह है कि इस किले में तीन जैन मंदिरों के चिन्ह भी हैं जो खजुराहो मंदिर से मिलते जुलते हैं। हालाँकि अब ये असली खजुराहो मंदिर की भव्यता की तरह नहीं हैं।
दुनिया का प्राचीन आकर्षण और खाली परिदृश्य अजयगढ़ किला, फोटोग्राफरों के लिए बिल्कुल सटीक जगह है अपनी प्रतिभा को उजागर करने के लिए। किले के अंदर एक प्राचीन मंदिर भी स्थापित है जो चंदेला के शासक, राजा परमार्डी देवा को समर्पित है।
यहाँ की सैर के दौरान आप यहाँ पर स्थित चट्टानों को काट कर बनाये गए दो भूतल टैंक जिनका नाम गंगा और यमुना है को देखना न भूलें जो अजयगढ़ किले के उत्तरी द्वार के पास ही स्थित हैं।
पत्थर पर खोद कर की गयी खूबसूरत शिल्पकारी
Image Courtesy: Kuber Patel
अजयगढ़ किले का इतिहास
सन् 1765 में अजयगढ़ वहां के शासक गुमान सिंह की राजधानी हुआ करती थी। बाद में इस पर ब्रिटिशों द्वारा आक्रमण किया गया। आज अजयगढ़ किला ध्वस्त हो चुके मंदिरों और मूर्तियों का डेरा है। इसके बावजूद इसमें कोई शक नहीं है कि ये अब तक चंदेला वंश के वास्तुशिल्प का एक सुन्दर नमूना है।
अजयगढ़ किला पहाड़ों के खूबसूरत परिदृश्य के साथ, वास्तुशिल्प के ध्वस्त निशान, और पहाड़ के नीचे ही कलकल करती केन नदी के साथ ऐसी जगह है जहाँ की यात्रा का अनुभव आपके ज़ेहन में सदा के लिए बना रहेगा।
जैसा कि इस जगह के बारे में ज़्यादा लोगों को पता नहीं है, आपके लिए सही होगा कि आप यहाँ के किसी लोकल गाइड के साथ ही यहाँ की सैर करें।
ध्वस्त मंदिर
Image Courtesy: Kuber Patel
अजयगढ़ किले के पास अन्य आकर्षक केंद्र
विश्व प्रसिद्ध खजुराहो यहाँ से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है जहाँ पर्यटकों की भीड़ पुरे साल आप देख सकते हैं। आप यहाँ के पन्ना टाइगर रिज़र्व की सैर पर भी जा सकते हैं जो यहाँ से सिर्फ 65 किलोमीटर की दूरी पर है।
हालाँकि यह बहुत दुःख की बात है कि अब ऐसे वास्तुशिल्प आकर्षक केंद्रों की देखभाल पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, पर इन सबके बावजूद अजयगढ़ किला मध्य प्रदेश के ऐसे ऑफ़बीट डेस्टिनेशन्स में से एक है जहाँ की यात्रा आपके लिए सबसे अच्छा अनुभव होगी।
अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।
Read in English: Tracking the Hidden Marvel: Ajaigarh Fort
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