ब्रिटिश भारत का एक महत्वपूर्ण छावनी शहर रह चुका लण्ढोर मसूरी के पास स्थित उत्तराखंड का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। जिसका नाम एक गांव पर रखा गया था। हिमालय की ऊंची-ऊंची पहाड़ियों, देवदार-चीड़ के घने जंगलों के साथ यह पर्वतीय स्थल बहुत हद तक सैलानियों को प्रभावित करने का काम करता है। यह एक खास स्थल है जो औपनिवेशिक काल की याद ताज करता है। यहां का मौसम सालभर खुशनुमा रहता है, इसलिए आप यहां किसी भी वक्त आ सकते हैं।
यह एक ऐसा स्थल है जहां प्रकृति प्रेमियों और इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों को जरूर आना चाहिए। मानसून के दौरान यहां के प्राकृतिक नजारे देखने लायक होते हैं। इस लेख के माध्यम से जानिए पहाड़ी राज्य उत्तराखंड का यह हिल स्टेशन आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है।
लाल टिब्बा
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लण्ढोर भ्रमण की शुरुआत आप यहां के लाल टिब्बा स्थल से कर सकते हैं। लाल टिब्बा मसूरी की सबसे ऊंचा प्वाइंट है जो समुद्र तल से 8000 मीटर की ऊंचाई के साथ यहां स्थित है। यह टिब्बा लण्ढोर के सबसे शानदार पर्यटन स्थलों में गिना जाता है, जहां से आप पहाड़ी खूबसूरती का आनंद जी भरकर उठा सकते हैं। खासकर यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त देखने लायक होता है।
शहर भ्रमण पर निकले सैलानी यहां जरूर आते हैं। यहां का हरा-भरा क्षेत्र बहुत हद तक पर्यटकों को प्रभावित करता है। इस स्थल के पास कई दुकाने स्थित है जहां शॉपिंग भी कर सकते हैं।
सेंट पॉल चर्च
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यहां के ऐतिहासिक स्थलों में आप एंग्लिकन चर्च को देख सकते हैं। चर्च की वास्तुकला सैलानियों को काफी ज्यादा प्रभावित करती है। जानकारी के अनुसार इस चर्च का निर्माण 1893 में करवाया गया था। यह उस समय की बनाई गई एक विशाल चर्च है जहां 250 व्यक्ति आसानी से बैठ सकते हैं। ब्रिटिश आर्मी सर्विस के लिए यह चर्च काफी महत्व रखती थी। चर्च के आसपास फैली हरियाली इस प्राचीन संरचना को खास बनाने का काम करती है।
केलॉग्स मेमोरियल चर्च
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सेंट पॉल चर्च के अलावा आप यहां केलॉग्स मेमोरियल चर्च को भी देख सकते हैं। यह चर्च लाइब्रेरी बस स्टैंड से 5 कि.मी की दूरी पर, लण्ढोर के कासमांडा पैलेस के पास स्थित है। इस चर्च को 1903 में प्रेस्बिटेरियन चर्च के रूप में बनाया गया था। इस चर्च को लण्ढोर भाषा स्कूल के नाम से भी जाना जाता है, जहां ब्रिटिश लोगों को उस समय हिंदी पढ़ाई जाती थी। इस चर्च का नाम रेव, डॉ सैमुअल एच. केलॉग के नाम पर रखा गया था जो एक अमेरिकी प्रेस्बिटेरियन मिशनरी थे। इन्होंने अंग्रेजी में हिंदी के व्याकरण पर एक पुस्तक भी लिखी थी।
इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप यहां आ सकते हैं। चर्च रंगीन ग्लास खिड़कियों के साथ शानदार गोथिक वास्तुकला को प्रदर्शित करती है। पर्यटक यहां चर्च की विशिष्ट विशेषताओं और सुंदर वास्तुकला के कारण यहां आना ज्यादा पसंद करते हैं।
चार दुकान क्षेत्र
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लण्ढोर आकर अगर आपका मन कुछ खास खाने-पीने का कर रहा है तो आप यहां के चार दुकान क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं। यह स्थल शहर में शॉपिंग और लजीज व्यंजनों के लिए जाना जाता है। शहर भ्रमण पर निकले सैलानी यहां आकर खाना-पीना पसंद करते हैं। यहां की दुकानों में बैठने की अच्छी व्यवस्था है जहां आप आराम से बैठ कर जायकेदार खानों का आनंद ले सकते हैं।
अगर आप यहां आएं तो सैंडविच खाना न भूलें। पर्यटकों को यहां का सैंडविच बहुत ही ज्यादा पसंद आता है। इसके अलावा आप यहां शॉपिंग भी कर सकते हैं।
लण्ढोर लैंग्वेज स्कूल
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उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां के खास लण्ढोर लैंग्वेज स्कूल को भी देख सकते है, जहां हिंदी भाषा के साथ-साथ ऊर्दू और पंजाबी भी सिखाई जाती है। इन भारतीय भाषाओं को सीखने के लिए यहां विश्व भर से छात्र आते हैं। स्कूल की बिल्डिंग देखने लायक है।
यह लैंग्वेज स्कूल खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के साथ बसा है। यह स्कूल भारत के चुनिंदा सबसे खास लैंग्वेज स्कूलों में जाना जाता है। ये थे लण्ढोर के सबसे खूबसूरत पर्यटन आकर्षण जहां आप उत्तराखंड यात्रा के दौरान आ सकते हैं।