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तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के प्रमुख कस्बे में स्थित है अंबासमुद्रम जोकि तमीराबारानी नदी के उत्तरी तट पर पश्चिमी घाट की तलहटी में बसा है। ये छोटा-सा सुंदर शहर विलनकुरीचि के नाम से भी जाना जाता है। इस जगह पर कई खूबसूरत जगहें हैं जो प्रकृति प्रेमियों के मन को मोह लेती हैं।
अंबासमुद्रम के दर्शनीय स्थल
मनिमाथुर बांध
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तिरुनेलवेली जिले का सबसे बड़े जलाशय मनिमाथुर बांध इससे 50 किमी की दूरी पर स्थित है। इस बांध का आकर्षक सौंदर्य और बगीचे इसे स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए परफैक्ट पिकनिक स्पॉट बनाता है। मनिमाथुर बांध से 6 किमी दूर है मनिमाथुर झरना जोकि मनिमाथुर नदी से बनता है। इस झरने का पानी 25 फीट की ऊंचाई से तालाब में आकर गिरता है।
पपनासम बांध और झरना
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अंबासमुद्रम में कई मानव-निर्मित बांध हैं जिनमें पपनासम बांध या करईयर बांध भी शामिल है। ये बांध तिरुनेलवेली से 60 किमी दूर स्थित है। पपनासम बांध के पास पपनासम झरना भी देख सकते हैं। पपनासम झरने तक पुहंचने के लिए नाव लेनी पड़ती है।
पपनासम झरने को अगस्थियार झरने के नाम से भी जाना जाता है। इस जगह से एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है जिसके अनुसार महान संत अगस्थिया से पहले हिंदू देवी-देवता भगवान शिव और मां पार्वती इस पवित्र स्थान पर प्रकट हुए थे। इसलिए इस झरने को अगस्थिया झरना भी कहा जाता है। इस झरने का पानी ताजा और औषधीय गुणों से भरपूर है।
पपनासम के नज़दीक एक गांव भी है जहां पश्चिमी घाट से तमिराभरनी नदी बहती है। इस नदी से एक छोटा-सा झरना भी बहता है। ऐसा माना जाता है कि इस झरने के पानी में स्नान करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसी वजह से इस झरने का नाम पपनासम रखा गया है जिसका मतलब होता है पाप का नाश करने वाला।
अगस्थियार मंदिर
अगस्थियार या पपनासम झरने से जुड़ा है अगस्थियार मंदिर। द्रविड़ शैली और वास्तुकला में बना ये मंदिर काफी शानदार है। इसकी दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें बनी हुई हैं। थमीराबरानी नदी के तट पर पपनासम झरने के बाद स्थित है अगस्थियार मंदिर। मान्यता है कि इसी मंदिर में संत अगस्थिया से पहले भगवान शिव और मां पार्वती प्रकट हुए थे। मां पार्वती और भगवान शिव के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही इस स्थान पर अगस्थियार मंदिर बनवाया गया था।
पापनासनाथर मंदिर
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अंबासमुद्रम के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है पापनासनाथर मंदिर। तिरुनेलवेली जिले के पपनासम गांव में स्थित ये मंदिर द्रविड़ वास्तुकला में बना है। इस मंदिर में तीन भाग, सात गेटवे टॉवर बने हैं। इस मंदिर में पापनासनाथर के रूप में भगवान शिव को और उलगाम्माई के रूप में मां पार्वती की पूजा की जाती है। ये मंदिर बहुत ही खूबसूरत है और इसमें स्थापित मूर्तियों का स्वरूप श्रद्धालुओं का मन मोह लेता है।
बाना तीरथम झरना
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पश्चिमी घाट के सामने बना बाना तीरथम झरना बहुत ही खूबसूरत और आकर्षित है। इस जगह को पवित्र स्थान भी माना जाता है। बाना तीरथम का झरना करईयर बांध के अंदर बहता है और इसका औषधीय और अध्यात्मिक महत्व भी है। माना जाता है कि अगस्थिया ऋषि इस झरने के आसपास घूमते थे और इस झरने का पानी औषधीय गुणों से भरपूर है। भारत के तमिलनाडु राज्य के तिरुनेलवेली जिले से 7 किमी दूर बाना तीरथम झरना बहता है।
तमीराभरानी नदी
पश्चिमी घाट में पेरिया पोथिगई की पहाडियों की चोटि से निकलने वाली तमीराभरानी नदी को ये नाम तमिरन से मिला है। इस नदी के पानी में औषधीय गुण माते जाते हैं जिससे कई रोगों का इलाज किया जा सकता है। यहां आने पर इस नदी के पानी में एक बार डुबकी जरूर लगाएं। इस नदी पर कई बांध भी बने हुए हैं। तमिल लोगों का मानना है कि इस नदी के पास के पर्वतों में ऋषि अगस्थिया में ध्यान किया था। ये नदी ऐतिहासिक, पारंपरिक महत्व रखती है जिसके पानी में औषधीय गुण भी मौजूद हैं।
मंजोलई हिल्स
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ये पश्चिमी घाट का एक हिल स्टेशन है जोकि कलाकड मुंडनथुरई टाइगर रिज़र्व में स्थित है। मंजोलई हिल्स दुनियाभर में अपने प्राकृतिक सौंदर्य और झरनों के लिए मशहूर है। ये जगह वाकई में बहुत खूबसूरत और मन को शांति देने वाली है।
कैसे पहुंचेअंबासमुद्रम
वायु मार्ग द्वारा: अंबासमुद्रम से नज़दीकी हवाई अड्डा त्रिवंद्रम एयरपोर्ट है। ये शहर से 160 किमी दूर स्थित है।
रेल मार्ग द्वारा: शहर के केंद्र में अंबासमुद्रम रेलवे स्टेशन स्थित है। इस स्टेशन से आसपास के शहरों और कस्बों से कई ट्रेनें आती हैं।
बस मार्ग द्वारा: अंबासमुद्रम बस स्टैंड शहर से 30 किमी दूर है। त्रिवंद्रम और तमिलनाडु के अन्य जिलों से नियमित बसें अंबासमुद्रम के लिए चलती हैं।
अंबासमुद्रम आने का सही समय
ठंड के मौसम में अक्टूबर से दिसंबर के बीच अंबासमुद्रम आना अच्छा रहेगा। इस दौरान इस शहर का मौसम बहुत सुहावना रहता है और गर्मी और उमस नहीं रहती है।