दक्षिण भारत अपने गोपुरम युक्त मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यही कारण है कि यहां हर छोटे-बड़े शहरों के तमाम मंदिरों में आपको गोपुरम जरूर दिखेगा। दक्षिण भारतीय शैली वाले इन्हीं मंदिरों के बीच जब राजस्थानी शैली का कोई मंदिर दिख जाये, तो हर किसी की आंखें एक बार रुक जरूर जाती हैं। ऐसा ही एक मंदिर बेंगलुरु में बना है, जो इतना आकर्षक है कि वहां जाने वाले लोग जब व्हॉट्सऐप या फेसबुक में स्टेटस लगाते हैं, तो लोग उनसे एक ही सवाल करते हैं- ये मंदिर कहां है? जी हां, हमारे साथ भी यही हुआ, यकीन मानिये करीब 40 से अधिक लोगों ने यह सवाल मुझसे भी किया। दरअसल यह मंदिर है "श्री आशापूर्णा माताजी तीरथ धाम।"
अगर आप बेंगलुरु में रहते हैं, तो किसी भी दिन वाहन उठाइये और परिवार के साथ चले जाइये। बनरगट्टा नेशनल पार्क से ठीक पहले दाहिने मुड़ने वाली सड़क पर करीब चार किलोमीटर अंदर स्थित इस मंदिर के आस-पास भले ही आवासीय क्षेत्र है, लेकिन यहां आने के बाद आपको एक अलग ही सुकून मिलेगा। ऐसी मान्यता है मॉं दुर्गा की अवतार देवी आशा पूर्णा मंदिर में आने वाले लोगों की आशा को जरूर पूरा करती हैं।
कैसे पहुंचें आशापुरा मंदिर
कार/बाइक से - बनरगट्टा रोड स्थित मीनाक्षी मंदिर होते हुए सीधे बनरगट्टा नेशनल पार्क के ठीक पहले वाले चौराहे तक पहुंचें, वहां से दाहिने मुड़ें और चलते रहें। वन क्षेत्र के बीच से होते हुए यह रास्ता आपको सीधे आशापुरा माता जी के मंदिर लेकर जाएगा।
बस/ऑटो से- अगर मैजेस्टिक से 365 नंबर बस और के आर मार्केट से 366 नंबर बस आपको नेशनल पार्क के ठीक पहले वाले चौराहे तक पहुंचा देगी। यहां से आप ऑटो लेकर मंदिर तक जा सकते हैं।
मंदिर का समय : यह मंदिर सुबह 5 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक और उसके बाद शाम 4 बजे से रात्रि 8 बजे तक खुलता है। यहां पर पूजा-पाठ के अलावा बड़े धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन भी किया जाता है।
मंदिर का इतिहास
वैसे तो यह मंदिर 2022 में ही बनकर तैयार हुआ है, लेकिन यहां के पुजारी बताते हैं यह मंदिर राजस्थान के जोधपुर स्थित आशापुरा माताजी के मंदिर की तर्ज पर ही बना है। इस मंदिर की शैली ठीक जोधपुर वाले मंदिर के जैसी ही है। यहां तक दोनों मंदिरों के द्वार भी एक जैसे दिखते हैं। इतिहास की बात करें तो यहां के पंडित जी ने बताया कि जोधपुर में स्थित आशापुरा माताजी का मंदिर चौहान साम्राज्य के राजा लखन सिंह चौहान ने बनवाया गया था। दरअसल आशापुरा माता शखंबरी के चौहान शाही परिवार की कुल देवी हैं। जिस तरह जोधपुर में भाद्रपद और चैत्र मास की अष्टमी पर भव्य महोत्सव का आयोजन होता है, उसी प्रकार यहां बेंगलुरु में भी इन दो महीनों में अष्टमी के दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
आपको बता दें कि गुजरातके कच्छ जिले में स्थित आशापुरा मंदिर का निर्माण भी इसी शैली में हुआ था। यह वही मंदिर है, जहां 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मत्था टेकने गए थे।